स्मोक्ड कॉर्न (भुट्टा)कथा

बरसात, भुट्टे व माइक्रोसॉफ्ट
हाल ही में एक मित्र अमेरिका से आए थे। वह बीस साल से वहां हैं, माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में बड़े इंजीनियर हैं। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा मक्का अमेरिका में उगाया जाता है। वहां इससे ईंधन भी बनता है और इसके तरह-तरह के व्यंजन बनते हैं।
मक्के का गुणगान सुनकर मैंने उनसे कहा, चलिए भुट्टा खाने चलते हैं। उन्होंने पूछा, भुट्टा क्या होता है? मैंने कहा, भुट्टा यानी मक्के का सलोना रूप, जिसे आप ‘कोर्न’ कहते हैं। जब तक आपने भुट्टा नहीं खाया, तब तक आपने मक्के के असली स्वाद को जाना ही नहीं। खेतों से निकली ताजी फसल, जिसमें दाने अपने स्रोत से अलग नहीं किए जाते।
वह थोड़े संदेहग्रस्त हुए । उनके मन में शायद हुआ हो कि बिना कांटे चम्मच के हाथ से खाना, प्रदूषण और संक्रमण को न्योता देना तो नहीं है? उन्होंने पूछा, यह किस होटल में मिलता है? मैंने कहा, भुट्टे होटल में नहीं, उसके बाहर मिलते हैं और वहीं खड़े होकर खाने का मजा है।

कुछ दोस्तों के साथ हम जब भुट्टे की रेड़ी के पास पहुंचे, तो बारिश शुरू हो गई थी। छाते खुल गए। छातों का आनंद भी तभी आता है, जब लोग ज्यादा और छाते कम हों। एक छाते में दो लोग, बारिश से बचते हुए, बारिश में भीगते हुए, आधे सूखे और आधे गीले।
खैर, सड़क किनारे खड़े हो, ठंडी हवा के झोंकों और हल्की सी सिहरन के बीच सामने दहकते हुए कोयलों की आग बेहद सुखद लग रही थी। हमारे अमेरिकी दोस्त सब कुछ भूलकर उस जादुई पल में मौजूद हो गए। चलती सड़क पर गुजरते वाहनों का शोर भी संगीत मालूम होने लगा।
रेड़ी पर कोयले के छोटे-छोटे काले टुकड़े लाल अंगारों में बदलने लगे। उनके बीच भुट्टे को सिंकते हुए देखना, मक्के के हल्के पीले दानों को भुनकर काले होते देखना, जलने की सोंधी गंध हवा में फैलने लगी थी। फिर भुट्टे पर लाल मिर्च और काला या सेंधा नमक लगाकर, ऊपर से नींबू निचोड़कर रेड़ीवाले ने हाथ में दे दिया। कोयले की राख और धुआं भी उन दानों में लिपटा आ गया होगा।

भुट्टे में ऐसी क्या खास बात है, जो मक्के के दानों में नहीं ? भुट्टे में दाने जड़ों से जुड़े होते हैं । उनको अलग करते ही वे बेघर हो जाते हैं । इसीलिए प्राकृतिक स्वाद दोबारा नहीं मिलता ।
इसे फाइव स्टार की भाषा में ‘स्मोक्ड कोर्न’ कहें, तो इसका दर्जा बढ़ जाएगा।मैंने सोचा, भुट्टे में ऐसी क्या खास बात है, जो मक्के के दानों में नहीं होती? वास्तव में, भुट्टे में दाने अपनी जड़ों से जुड़े हुए होते हैं, जैसे मां की कोख दुबके हों। दानों को अलग करते ही वे बेघर हो जाते हैं। शायद इसीलिए धरती मां का प्राकृतिक स्वाद अलग किए गए मक्के के दानों से दोबारा नहीं मिलता। फिर उनमें चाहे कितने ही मसाले डालो, उसका कुदरती स्वाद तो मर ही गया।

इसलिए आप भी दुआ मांगिए कि भुट्टा कभी फाइव स्टार न बने। वह तो अपने आप में एक स्टार है।