Warning: Attempt to read property "base" on null in /home/u599592017/domains/sanatan.techtunecentre.com/public_html/wp-content/plugins/wp-to-buffer/lib/includes/class-wp-to-social-pro-screen.php on line 89
साधना, ध्यान, मन्त्र जप आदि के नियम - Sanatan-Forever

साधना, ध्यान, मन्त्र जप आदि के नियम

साधना, ध्यान, मन्त्र जप आदि के नियम

*🌄🌄 प्रभात वंदन 🌄🌄*

*जब तक किसी को शुद्ध भक्त की कृपा प्राप्त न हो जाए, तब तक वह भक्ति सेवा के स्तर को प्राप्त नहीं कर सकता। कृष्ण-भक्ति की तो बात ही क्या, वह भौतिक संसार के बंधन से भी मुक्त नहीं हो सकता।*_

. _हमें ऐसे महात्मा की संगति करनी चाहिए , जिसने कृष्ण को समस्त सृष्टि का सर्वोच्च स्रोत मान लिया हो। महात्मा बने बिना हम कृष्ण की परम स्थिति को नहीं समझ सकते। महात्मा दुर्लभ और दिव्य होते हैं, तथा वे भगवान कृष्ण के शुद्ध भक्त होते हैं। मूर्ख लोग कृष्ण को मनुष्य मानते हैं, तथा वे भगवान कृष्ण के शुद्ध भक्त को भी एक साधारण मनुष्य ही मानते हैं। चाहे कोई भी हो, हमें भक्त महात्मा के चरण कमलों की शरण लेनी चाहिए तथा उन्हें समस्त मानव समाज का सबसे श्रेष्ठ शुभचिंतक मानना चाहिए। हमें ऐसे महात्मा की शरण लेनी चाहिए तथा उनकी अहैतुकी कृपा की याचना करनी चाहिए। केवल उनके आशीर्वाद से ही मनुष्य भौतिकवादी जीवन शैली के प्रति आसक्ति से मुक्त हो सकता है। जब मनुष्य इस प्रकार मुक्त हो जाता है, तो वह महात्मा की कृपा से भगवान की दिव्य प्रेममयी सेवा में लग सकता है।

साधना, ध्यान, मन्त्र जप आदि के नियम

〰️〰️🌷〰️〰️🌷〰️〰️🌷〰️〰️

01👉  जिस आसन पर आप अनुष्ठान, पूजा या साधना करते है उसे कभी पैर से नहीं सरकाना चाहिए, कुछ लोगो कि आदत होती है कि आसन पर बैठने के पहले खड़े खड़े ही आसन को पैर से सरका कर अपने बैठने के लिए व्यवस्थित करते है, ऐसा करने से आसन दोष लगता है और उस आसन पर कि जाने वाली साधनाये सफल नहीं होती है,अतः आसन को केवल हाथो से ही बिछाये।

02👉  अपनी जप माला को कभी खुटी या कील पर न टांगे, इससे माला कि सिद्धि समाप्त हो जाती है, जप के पश्चात् या तो माला को किसी डिब्बी में रखे,गौ मुखी में रखे या किसी वस्त्र आदि में भी लपेट कर रखी जा सकती है, जिस माला पर आप जाप कर रहे है उस पर किसी अन्य कि दृष्टि या स्पर्श न हो इसलिए उसे साधना के बाद वस्त्र में लपेट कर रखे, इससे वो दोष मुक्त रहेगी, साथ ही कुछ लोगो कि आदत होती है जिस माला से जप करते है उसे ही दिन भर गले में धारण करके भी रहते है, जब तक किसी साधना में धारण करने का आदेश न हो जप माला को कभी धारण ना करे।

03👉  साधना के मध्य जम्हाई आना,छिक आना,गैस के कारन वायु दोष होना,इन सभी से दोष लगता है, और जाप का पुण्य क्षीण होता है। इस दोष से मुक्ति हेतु आप जप करते समय किसी ताम्र पात्र में थोडा जल तथा कुछ तुलसी पत्र डालकर रखे, जब भी आपको जम्हाई या छीक आये या वायु प्रवाह कि समस्या हो,तो इसके तुरंत बाद पात्र में रखे जल को मस्तक तथा दोनों नेत्रो से लगाये इससे ये दोष समाप्त हो जाता है साथ ही साधको को नित्य सूर्य दर्शन कर साधना में उत्पन्न हुए दोषो कि निवृति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। इससे भी दोष समाप्त हो जाते है, साथ ही यदि साधना काल में हल्का भोजन लिया जाये तो इस प्रकार कि समस्या कम ही उत्पन्न होती है।

04👉 ज्यादातर देखा जाता है कि कुछ लोग बैठे बैठे बिना कारन पैर हिलाते रहते है या एक पैर के पंजे से दूसरे पैर के पंजे या पैर को आपस में अकारण रगड़ते रहते है ऐसा करने से साधको को सदा बचना चाहिए, क्युकी जप के समय आपकी ऊर्जा मूलाधार से सहस्त्रार कि और बढ़ती है परन्तु सतत पैर हिलाने या आपस में रगड़ने से वो ऊर्जा मूलाधार पर पुनः गिरने लगती है क्युकी आप देह के निचले हिस्से में मर्दन कर रहे है और ऊर्जा का सिद्धांत है जहा अधिक ध्यान दिया जाये ऊर्जा वहाँ जाकर स्थिर हो जाती है इसलिए ही तो कहा जाता है कि जप करते समय आज्ञा चक्र या मणिपुर चक्र पर ध्यान लगाना चाहिए। अतः अपने इस दोष को सुधारे।

05👉  साधना काल में अकारण क्रोध करने से बचे,साथ ही यथा सम्भव मौन धारण करे और क्रोध में अधिक ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने से बचे इससे संचित ऊर्जा का नाश होता है और सफलता शंका के घेरे में आ जाती है।

06👉  साधक जितना भोजन खा सकते है उतना ही थाली में ले यदि आपकी आदत है अन्न जूठा फेकने कि है तो इस आदत में सुधार करे क्युकी अन्नपूर्णा शक्ति तत्त्व है, अन्न जूठा फेकने वालो से शक्ति तत्त्व सदा रुष्ट रहता है और शक्ति तत्त्व कि जिसके जीवन में कमी हो जाये वो साधना में सफल हो ही न नहीं सकता है क्युकी शक्ति ही सफलता का आधार है।

07👉  हाथ पैर कि हड्डियों को बार बार चटकाने से बचे ऐसा करने वाले व्यक्ति अधिक मात्रा में जाप नहीं कर पाते है क्युकी, उनकी उंगलिया माला के भार को अधिक समय तक सहन करने में सक्षम नहीं होती है और थोड़े जाप के बाद ही उंगलिओ में दर्द आरम्भ हो जाता है साथ ही पुराणो के अनुसार बार बार हड्डियों को चटकाने वाला  रोगी तथा दरिद्री होता है अतः ऐसा करने से बचे ।

08👉  मल त्याग करते समय बोलने से बचे,आज के समय में लोग मल त्याग करते समय भी बोलते है, गाने गुन गुनाते है, गुटखा खाते है, या मोबाइल से बाते करते है आपकी आदत ऐसी है तो ये सब करने से बचे क्युकी ऐसा करने से जिव्हा संस्कार समाप्त हो जाता है और ऐसी जिव्हा से जपे गए मंत्र कभी सफल नहीं होते है। आयुर्वेद तथा स्वास्थ्य कि दृष्टि से भी ऐसा करना ठीक नहीं है

अतः ऐसा ना करे।

09👉  यदि आप कोई ऐसी साधना कर रहे है, जिसमे त्राटक करने का नियम है तो आप नित्य बादाम के तैल कि मालिश अपने सर में करे और नाक के दोनों नथुनो में एक एक बूंद बादाम का तेल डाले। इससे सर में गर्मी उत्पन्न नहीं होगी और नेत्रो पर पड़े अतिरक्त भार कि थकान भी समाप्त हो जायेगी। साथ ही आवला या त्रिफला चूर्ण का सेवन भी नित्य करे तो सोने पर सुहागा।

10👉  जप करते समय अपने गुप्तांगो को स्पर्श करने से बचे साथ ही माला को भूमि से स्पर्श न होने दे , यदि आप ऐसा करते है तो जाप कि तथा माला कि ऊर्जा भूमि में समा जाती है ।

11👉  जब जाप समाप्त हो जाये तो आसन से उठने के पहले आसन के निचे थोडा जल डाले और इस जल को मस्तक तथा दोनों नेत्रो पर अवश्य लगाये। ऐसा करने से आपके जप का सफल होता है।

〰️〰️🌷〰️〰️🌷〰️〰️🌷〰️〰️🌷〰️〰️

ध्यानपूते ज्ञानजले

रागद्वेषमलापहे।

यः स्नाति मानसे तीर्थे

स याति परमां गतिम्।।

(स्कन्द महापुराण, काशी खण्ड – ६/४१)

अर्थात् 👉 ध्यान के द्वारा पवित्र तथा ज्ञानरूपी जल से भरे हुए, राग-द्वेषरूप मल को दूर करने वाले मानस-तीर्थ में जो पुरुष स्नान करता है, वह परमगति मोक्ष को प्राप्त होता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com
Scroll to Top
Verified by MonsterInsights