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श्री शिव महापुराण-श्रीवायवीय संहिता (पूर्वार्द्ध) - Sanatan-Forever

श्री शिव महापुराण-श्रीवायवीय संहिता (पूर्वार्द्ध)

श्री शिव महापुराण-श्रीवायवीय संहिता (पूर्वार्द्ध)

श्री शिव महापुराण

श्रीवायवीय संहिता (पूर्वार्द्ध)

दूसरा अध्याय

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ब्रह्माजी से मुनियों का प्रश्न पूछना… (भाग 1)

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सूत जी बोले- हे ऋषियो! वराह कल्प में ऋषिगणों के मध्य विवाद छिड़ गया कि परब्रह्म कौन है? जब इस बात का निर्णय न हो सका तब सब ब्रह्माजी के पास गए। उन्होंने ब्रह्माजी को प्रणाम करके उनकी स्तुति आरंभ कर दी। तब ब्रह्माजी ने उनसे पूछा, हे ऋषिगण ! आपके यहां आने का क्या प्रयोजन है?

ब्रह्माजी के प्रश्न को सुनकर ऋषिगण बोले- हे ब्रह्माजी! हम संदेह रूपी अज्ञान के अंधेरे में पड़ गए हैं। इसलिए हम सब बहुत व्याकुल हैं। हम पर कृपा करके हमारे संदेह को दूर करें। हम सब यह जानना चाहते हैं कि अविनाशी, नित्य, शुद्ध चित्त स्वरूप परब्रह्म परमात्मा कौन है? अपनी लीला से संसार को रचकर इस संसार का सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता कौन है?

ऋषिगणों का यह प्रश्न सुनकर ब्रह्माजी ने त्रिलोकीनाथ कल्याणकारी देवाधिदेव महादेव जी का स्मरण करके उन्हें बताया।

क्रमशः शेष अगले अंक में…

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