श्री शिव महापुराण -श्रीउमा संहिता (प्रथम खंड)
(अध्याय अठारह)
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सातों द्वीपों का वर्णन… (भाग 1)
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व्यास जी बोले- हे ब्रह्मापुत्र सनत्कुमार जी! अब आप हमें सातों द्वीपों के विषय में बताइए। यह सुनकर सनत्कुमार जी बोले- हे व्यास जी! मैं आपको सातों द्वीपों के बारे में बताता हूं।
जंबूद्वीप-हिमालय के दक्षिण समुद्र से उत्तर की ओर फैला नौ हजार योजन जंबूद्वीप है। यह कर्मभूमि भी कहलाता है।
यहीं पर मनुष्यों को अपने द्वारा किए गए अच्छे और बुरे कर्मों का फल भोगना होता है। इंद्रद्युम्न, कसेरु, ताम्रवर्ण, गमस्तिमान नाग, द्वीप, सौम्य, गंधर्व वारुण व भारत खंड है।
इसके दक्षिण में ऋषि-मुनि निवास करते हैं। जंबूद्वीप के बीच में क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य एवं शूद्रों का निवास है। यहीं पर मलय, महेंद्र, सह्य, सुदामा, ऋक्ष, विंध्याचल और पारियात्र सात विशाल पर्वत हैं। पारियात्र पर्वत पर वेद स्मृति एवं पुराण प्रकट हुए। ये सभी सद्ग्रंथ पापों का नाश करने वाले हैं।
ऋक्षद्वीप ऋक्ष पर्वत का विशाल क्षेत्र ऋक्षद्वीप के नाम से जाना जाता है। इसी स्थान से समस्त पापों का नाश करने वाली गोदावरी, भीमरथी, ताप्ती व अन्य नदियां बहती हैं। कृष्णा वेणी नदियां सह्य पर्वत से, कृतमाला और ताम्रवर्णी मलयाचल पर्वत से बहती हैं। महेंद्र पर्वत से त्रिमाया, ऋषिकुल्या और कुमारी नदियां बहती हैं।
इन पवित्र नदियों के मार्ग में अनेक शहर, गांव आदि पड़ते हैं। ये पवित्र नदियां वहां निवास करने वालों की प्यास को शांत करती हैं। यही नहीं, उनके पापों का नाश भी इनके जल स्पर्श से हो जाता है। प्लक्षद्वीप-प्लक्षद्वीप क्षार समुद्र से घिरा हुआ है।
इसी द्वीप पर गोमंत, चंद्र, नारद, दर्दुर, सोनक, सुमन, बैभ्राज नामक पर्वत हैं। अनुतप्त, शिखी, पापहनी, त्रिदिवा, कृपा, अमृता, सुकृभा नामक सात नदियां प्लक्षद्वीप की शोभा बढ़ाती हैं।
यहां के मनोहर वातावरण में देवता और गंधर्वों सहित अनेक जातियां निवास करती हैं। इस द्वीप में निवास करने वाले प्राणियों की रक्षा के लिए देवाधिदेव महादेव का ब्रह्मा और विष्णु भी पूजन किया करते हैं।
शाल्मलिद्वीप-शाल्मलिद्वीप के बीचों-बीच सेमल का एक विशाल वृक्ष है। यहां पर श्वेत, हरित, जीमूत, रोहित, बैकल, मानस, सुप्रभु नामक वृक्ष हैं। इसी द्वीप पर शुक्ला, रक्ता, हिरण्या, चंद्रा, शुभ्रा, विमोचना, निवृता नाम की सुंदर नदियां बहती हैं।
ये पवित्र एवं निर्मल नदियां भक्तगणों की प्यास बुझाती हैं। अपना कार्य पूर्ण करते हुए यहां के निवासी ब्रह्मा, विष्णु व शिवजी का पूजन करते हैं। क्रौंचद्वीप क्रौंचद्वीप घृतोद समुद्र से बाहर दही से घिरा है।
विशाल क्षेत्र में फैला द्वीप है। यहां पर क्रौंच, वामन, अंशकारक दिवावृत्ति, मन पुण्डरीक, दुंदुभि आदि पर्वत एवं गौरी, कुमुद्धती, संध्या, मनोजवा, शांति पुण्डरीक नामक अनेक बड़ी नदियां स्थित हैं।
शाकद्वीप-शाकद्वीप दही समुद्र के बाहर दूध के सागर से घिरा है। यहां पर शाक का बहुत बड़ा वृक्ष स्थित है। उदयाचल, अस्ताचल, जलन्धार, विवेक, केसरी नामक पर्वत हैं।
सुकुमारी, नलिनी, कुमारी, वेणुका, इक्षु, रेणुका और गर्भास्त नामक नदियां स्थित हैं। यहां के सुंदर मनोरम स्थलों पर सभी जाति के लोग रहते हैं।
पुष्पकर द्वीप क्षीर समुद्र से बाहर का जो क्षेत्र मधुर जल से घिरा है वह पुष्पकर द्वीप कहलाता है। यहीं पर मानस पर्वत स्थित है। यहां निवास करने वाले मनुष्य सभी प्रकार के रोगों से दूर रहते हैं।
वे लंबी आयु वाले होते हैं और आनंदपूर्वक निवास करते हैं। पुष्पकर द्वीप के महावीत खण्ड में ब्रह्माजी का निवास माना जाता है और यहां रहने वाले देवता और दानव उनको पूजते हैं।
इस प्रकार मनुष्यों के निवास करने हेतु पृथ्वी पर सात लोक स्थित हैं जिन्हें सात द्वीपों के नाम से जाना जाता है।
क्रमशः शेष अगले अंक में…
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