श्री शिव महापुराण
श्रीउमा संहिता (प्रथम खंड)
(तैंतालीसवा अध्याय)

आचार्य पूजन का नियम… (भाग 1)
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शौनक जी बोले- हे सूत जी! अब आप मुझ पर कृपा करके मुझे आचार्य के पूजन की उत्तम विधि बताइए।
साथ ही ग्रंथ सुनने के बाद मनुष्यगण के कर्तव्य के बारे में भी विस्तार से बताइए। शौनक जी की प्रार्थना सुनकर सूत जी ने बताना प्रारंभ किया।
सूत जी बोले- हे मुनिवर ! किसी को भी शिव पुराण एवं महाग्रंथ सुनने के पश्चात आचार्य का पूजन करना अति आवश्यक माना गया है। आचार्य का श्रद्धाभाव से पूजन करने के पश्चात उसे सामर्थ्य के अनुसार दान अवश्य ही देना चाहिए।

शिव पुराण का श्रवण करने के पश्चात, त्रिलोकीनाथ भगवान शिव का पूजन करके ब्राह्मण आचार्य को बछड़े वाली गाय का दान करें।
जिस स्वर्ण के आसन पर पुराण को स्थापित करें उसे भी विनम्रतापूर्वक आचार्य को समर्पित करें। इस प्रकार वह बंधन मुक्त हो जाता है। पुराण वक्ता को महात्मा माना जाता है।
उन्हें राज्य, घोड़ा, हाथी, गांव आदि उत्तम एवं उपयुक्त वस्तुएं तथा शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार दान देने से कल्याण होता है। इस पवित्र शिव पुराण नामक ग्रंथ को सुनने से समस्त अभीष्ट फलों की प्राप्ति होती है।

क्रमशः शेष अगले अंक में…
*🔅🔆🚩चिंतन प्रवाह🚩🔆🔅*
_*🌻 किसी भी परिस्थिति से डरना अपनी छाया से डरने के समान है।*_
_*🌻 भक्ति एक ऐसा रसायन है जो दुःख से सुखस्वरूप ईश्वर को प्रकट कर देता है। जैसे खाद दिखती तो साधारण है, किंतु खेत में डाली जाने पर फल-फूल बन जाती है। ऐसे ही भक्ति भगवद्सत्ता को प्रकट कर देती है। भक्ति नब्बे प्रतिशत दुःखों को मिटाने में सक्षम है और तत्त्वज्ञान सौ प्रतिशत दुःखों को सदा के लिए बाधित कर देता है।*_
*🕉️शुभ प्रभात🕉️*
*🙏मंगलमय दिवस की शुभकामनाएं🙏*
*राम राम जी*