Warning: Attempt to read property "base" on null in /home/u599592017/domains/sanatan.techtunecentre.com/public_html/wp-content/plugins/wp-to-buffer/lib/includes/class-wp-to-social-pro-screen.php on line 89
श्री शिव महापुराण श्रीउमा संहिता (प्रथम खंड)-(चौदहवा अध्याय) - Sanatan-Forever

श्री शिव महापुराण श्रीउमा संहिता (प्रथम खंड)-(चौदहवा अध्याय)

श्री शिव महापुराण श्रीउमा संहिता (प्रथम खंड)-(चौदहवा अध्याय)

श्री शिव महापुराण

श्रीउमा संहिता (प्रथम खंड)

(चौदहवा अध्याय)

〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️

विभिन्न दानों का वर्णन… (भाग 1)

〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️

सनत्कुमार जी बोले- हे व्यास जी! मनुष्य यदि दान के लिए सुपात्रों को ही चुने, तभी उसका परम कल्याण होता है।

गौ, पृथ्वी, विद्या और तुला का दान सर्वोत्तम माना जाता है। अपने घर के द्वार पर आए मांगने वाले अर्थात याचकों को दूध देने वाली गाय, वस्त्र, जूते, अन्न, छाता अथवा भक्तिभाव से श्रद्धापूर्वक जो भी यथासंभव दान दिया जाए वह परम कल्याणकारी होता है।

यही नहीं, स्वर्ण, तिल, हाथी, कन्यादासी, घर, रथ, मणि, गौ, कपिला और अन्न इन दस दानों को महादान माना जाता है। इन दस महादानों को जो भी मनुष्य भक्तिभावना से करता है वह इस भवसागर से अवश्य ही पार हो जाता है।

वह सत्पुरुष जीवन और मरण के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाता है। त्रिलोकीनाथ देवाधिदेव महादेव जी की परम कृपा पाकर उसे भोग और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

सोने में सींग रूप में खुर मढ़ाकर वस्त्र, आभूषण एवं अन्य वस्तुओं सहित गाय और बछड़े का दान जो मनुष्य सुपात्र विद्वान ब्राह्मण को करता है, उसके सभी मनोरथों की सिद्धि हो जाती है।

वह जीव इस लोक में सभी सुख भोगकर शिवलोक को जाता है। उसे लोक- परलोक में सभी इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति होती है। मन में मुक्ति की इच्छा लेकर किया गया दान अवश्य ही हितकर होता है।

इस जगत में तुला के दान को भी उत्तम माना जाता है। तुला दान करने वाले मनुष्य को चाहिए कि वह मन ही मन शिवजी का स्मरण करके उनसे प्रार्थना करे कि वे उसका कल्याण करें।

तराजू के एक पलड़े में बैठकर दूसरे पलड़े में अपनी शक्ति के अनुसार द्रव्य भरें और जब दोनों तरफ वजन बराबर हो जाए तो उस द्रव्य को किसी सुपात्र ब्राह्मण को दान करें।

ऐसा दान करते समय शुद्ध हृदय से कल्याणकारी भगवान शिव से प्रार्थना करें कि हे प्रभु! मैंने बचपन से लेकर अब तक अपने जीवन में जाने-अनजाने जो भी पाप किए हों उन्हें आप अपनी कृपादृष्टि से भस्म कर दें।

हे ऋषिगणो! इस प्रकार तुला दान से जीव सभी पापों से मुक्त हो जाता है तथा सीधे स्वर्गलोक को जाता है और वहीं निवास करता हुआ सभी उत्तम भोगों को भोगता है।

क्रमशः शेष अगले अंक में…

〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com
Scroll to Top
Verified by MonsterInsights