श्री शिव महापुराण
श्रीउमा संहिता (प्रथम खंड)
शिव-भक्तों का आख्यान… (भाग 1)
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श्रीकृष्ण जी ने उपमन्यु से पूछा- हे ब्राह्मण राज ! भगवान शिव के पूजन से जिन शिवभक्तों का उद्धार हुआ है अर्थात शिवजी की विशेष कृपा जिन्हें प्राप्त हुई है, उनके विषय में बताइए।
श्रीकृष्ण के प्रश्न को सुनकर उपमन्यु बोले- हे कृष्ण ! राक्षसराज हिरण्यकशिपु ने शिवजी को अपनी घोर तपस्या से प्रसन्न किया, तब उन्होंने उसे ऐश्वर्य संपन्न राज्य प्रदान किया।
उसी का पुत्र नंदन भी शिवजी से वरदान पाकर युद्ध में विजयी हुआ और उसने देवराज इंद्र को दस हजार वर्षों तक अपना दास बनाए रखा।
इसी प्रकार सतमुख राक्षस ने शिव पूजन कर हजार पुत्र प्राप्त किए। जब ऋषि याज्ञवल्क्य ने शिवजी की आराधना से उन्हें प्रसन्न किया, तो वे वेदों के महान ज्ञाता हुए। व्यास मुनि को भी शिव कृपा से वेद, पुराण, इतिहास एवं शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त हुआ।
एक बार की बात है, शिवजी के क्रोध से पृथ्वी का सब जल सूख गया था, तब सब देवताओं ने शिवजी को उनकी आराधना करके प्रसन्न किया। उस समय शिवजी ने अपने कपाल से जल प्रकट किया था।
राजा चित्रसेन की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें निर्भय कर दिया। शिव भक्ति से एक साधारण से गोप श्रीकर को परम सिद्धि प्राप्त हुई। सीमंतिनी के सोमवार के व्रत के पुण्य एवं भक्ति फल से शिवजी ने उसके पति चित्रांगद की रक्षा की।
चंचुला नामक व्यभिचारिणी स्त्री के गोकर्ण में कथा सुनने से भक्तवत्सल भगवान शिव ने उसके सभी पापों का नाश कर दिया और उसके पति विंदुग को भी सद्गति प्रदान की।
महाकाय नामक व्याध ने शिव भक्ति से सद्गति पाई। महामुनि दुर्वासा को शिव भक्ति से मोक्ष की प्राप्ति हुई। यही नहीं, ब्रह्माजी ने शिव आराधना द्वारा इस पूरी सृष्टि की रचना की।
मार्कण्डेय जी भगवान शिव की कृपा से ही दीर्घायु हुए। भगवान शिव के वर से ही शांडिल्य जगत प्रसिद्ध एवं पूजनीय हुए।
इस प्रकार मैंने आपको शिवजी के अनेकों भक्तों के बारे में बताया, जिन्हें शिव कृपा से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति हुई।