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श्री राम कथा | पूज्य राजन जी - Sanatan-Forever

श्री राम कथा | पूज्य राजन जी

[संगीत]

0:13राम रामा कीर सय

0:20प की रामायण

0:26जी की

0:32गावत [संगीत] ब्रह दिक

0:40मुनि नारद

0:46ज्ञान वि सारद सुख सन

0:54[संगीत] का श

1:04शारद बरनी पवन

1:10सुत कीरति ने की

1:18[संगीत] रामायण जी

1:24की गावत वे

1:31[संगीत] पुराण अष्ट

1:37दस छ हो शास्त्र

1:44स ग्रंथन

1:51कोरस मुनि जन धन संतन

2:01को [संगीत] सर्वस

2:07सार अंस

2:12समत सही

2:18[संगीत] [प्रशंसा]

2:24रामाय गावत सं

2:30[संगीत] शंभु

2:37भवानी अरु घट सम

2:44भव मुनि भी

2:50ज्ञानी व्यास [संगीत] आ

2:57कवि वर्ज

3:03बखानी काग

3:09ुस गरुण के की

3:18रामायण जी की कली

3:25मल हरनी

3:30विषय रस फी की

3:36[संगीत] सुभग [संगीत]

3:41सिंगार मुक्ति युवती

3:48की दलन रोग

3:54भव मोरी अमी की

4:03तात मात सब विधि

4:10[संगीत] तुलसी

4:18रामायण आरती ी

4:24रा मायण [संगीत]

4:33रामायण की कीरती

4:41कलित ललित [संगीत] सिय की

4:48रामायण जी की

4:54रामायन जी [संगीत]

5:31हरि ओम यज्ञन यज्ञम जंत देवा स्थानी धर्मा

5:39प्रथमा सन्नते हना कम महिमानंद

5:46पूर्व साध्या संति देवा सेवंत काव कुल चपक पाट लाजे पुग जाति

5:58करवीर पुष्प वि प्रवाल तुलसी धर

6:05मंजरी वाम पूज याम जगदीश्वर में

6:11प्रसिद्ध नाना सुगंधि पुष्पानी यथा कालो भवानी च

6:20पुष्पांजलि मया दत्त गहाण

6:26परमेश्वर मंत्र पुष्पांजलि समर्पयामि नमस

6:51करो सादर जय सियाराम परम पूज्य सदगुरुदेव भगवान के

6:57श्री चरणों में साष्टांग प्रणिपात श्री पंचदेव भगवान को कोटि सह

7:02बंदन मंच पर पावन पवित्र दिव्य व्यासपीठ पर

7:09शोभायमान ब्रह्मांड वंदनीय समस्त लोगों के ठाकुर श्री

7:17राघवेंद्र सरकार के श्री चरणों में साष्टांग प्रणिपात श्री रामचरित मानस भगवान को कोटि सह वंदन

7:25और व्यासपीठ पर शोभायमान परम पूज्य व्यास भगवान पूज्य महाराज श्री के श्री चरणों

7:30में साष्टांग प्रणिपात करते हुए उपस्थित आप समस्त देवता तुल्य जनता जनार्दन देवी

7:36तुल्य माताएं बहने आप सभी को सादर जय सियाराम कल हम सबने अत्यंत हर्षो उल्लास

7:45के साथ श्री सीताराम विवाह महा महोत्सव का दर्शन किया और खूब खूब आनंद हुआ यहां

7:54समस्त ग्रामवासी समस्त क्षेत्रवासी जहां-जहां दूर दराज से समस्त भक्त आए सबने

8:00अपने अपने जीवन को धन्य बनाया है यह भगवान की कृपा के परिणाम स्वरूप ऐसा अवसर

8:08प्राप्त हुआ आप सभी का अभिनंदन है स्वागत है

8:13आज इस महा महोत्सव का दर्शन करने के लिए श्री राम कथा गंगा में अवगाहन करने के लिए

8:21और श्री राम कथामृत की वर्षा में अपने अंतर मन को भिगोने के लिए हमारे इस महा

8:28महोत्सव में कुछ अतिथि गण उपस्थित है हम आदर पूर्वक आपको आमंत्रित करेंगे कृपया आप

8:35मंच पर आवेंगे और ठाकुर जी का दर्शन करेंगे सरकार से

8:41आशीष ग्रहण करेंगे श्रीमान शंभूनाथ सिंह जी जो समस्तीपुर

8:47मटौर से पधारे हैं श्री पुरुषोत्तम तिवारी जी जोनापुर समस्तीपुर से पधारे हैं श्री

8:53राम नारायण सिंह जी मटर समस्तीपुर से पधारे हैं श्री गोपाल सिंह जी मटर

8:58समस्तीपुर से पधारे हैं आप महानुभावों से आग्रह है कृपया आप मंच पर आवे ठाकुर जी का

9:06दर्शन करें और पूज्य सरकार से आशीष ग्रहण करें इसी क्रम में बेतिया से श्री

9:12अमरेंद्र तिवारी जी लव कुमार श्रीवास्तव जी जयशंकर जी मंजीत कुमार जी और जय प्रकाश

9:20जी आप सभी महानुभाव बेतिया से पधारे हैं आपसे भी आग्रह है कृपया आप मंच पर आवे

9:29ठाकुर जी का दर्शन करें और पूज्य सरकार से आशीष ग्रहण करें भारत के कोने कोने से

9:37श्रद्धालु भक्त भगवान के इस कथा महा महोत्सव में

9:42पहुंचते हैं और जो लोग भी पहुंच जाते हैं उनके ऊपर भगवान की बड़ी कृपा है और

9:49कृपा के परिणाम से ही वह कथा में पहुंचते हैं जिसके ऊपर सरकार की कृपा नहीं होती वह

9:57कथा स्थल पर नहीं आ सकते कथा उनको प्राप्त नहीं हो

10:03सकती आप सब बड़े श्रद्धा और भाव के साथ भगवत कथा श्रवण करते हैं भगवत कथा अमृत का

10:11पान करते हैं और आनंद मनाते हैं मैंने पहले दिन भी निवेदन किया था ये

10:19अवसर अत्यंत पुण्य जागृत होने के पश्चात ही प्राप्त होता है और अगर यह अवसर

10:26प्राप्त हुआ है तो इस अवसर को महोत्सव में बदल दीजिए पूरे श्रद्धा भक्ति के साथ पूरे

10:35हृदय से पूरे मन से लग करके इस महोत्सव में अपने आप को धन्य बनाइए श्रीमान मदन

10:41चौधरी जी और पूरा चौधरी परिवार आप सबके स्वागत स्नेह के लिए

10:49उपस्थित है श्रीमान मदन चौधरी जी के पावन संकल्प के परिणाम स्वरूप हमारे पूज्य

10:55सरकार ने आपकी इस पावन धरती पर ठाकुर जी के साथ

11:01पधार करके भगवत कथा गंगा को प्रकट किया जिसमें हम सबको अवगाहन करने का सौभाग्य

11:09मिल रहा है आइए पूज्य सरकार के मुख बिंदु से श्री भगवत कथा का दर्शन करते हैं सादर

11:16जय सियाराम [संगीत]

11:34[संगीत]

12:28[संगीत]

12:51श्री राम श्री राम [संगीत]

13:16बंद है बंद हो श्री

13:21रामचंद्र भगवान की जय

13:32[संगीत] स्वस्ति श्री

13:38गणेशाय नमः

13:44[संगीत] श्री सरस्वती

13:51नमः श्री परमात्मने नमः

13:58[संगीत]

14:04श्री जानकी वल्लभ

14:10विजयते [संगीत]

14:18तरा श्री राम कथा रस रसिक प्रभु

14:29[संगीत] शंभुनाथ [संगीत]

14:37हनुमान प्रेम सहित

14:44आसन [संगीत] धरम सुनहु

14:53कथा करूंगा

15:00सियावर रामचंद्र

15:06भगवान की जय श्री

15:12[संगीत] सीतानाथ समारंभ श्री

15:20रामानंद मध्यमा अस्म चार्य पर्यंत

15:32वंदे श्री गुरु

15:39परंपरा श्री सदगुरु देव भगवान की

15:49जय [संगीत]

15:55लोकाभिरामम रण रंगधी

16:01[संगीत] रम राजीव

16:10त्रमं नाथ

16:16कारु रूपम

16:24करुणा करम तम

16:29श्री [संगीत]

16:34रामचंद्र शरणम प्रप

16:41दे श्री [संगीत]

16:46रामम शरणम

16:53प्रप करपूर ग

17:00रम करुणावताराम

17:09संसार सारम

17:16भुजगेंद्र हारम सदा वसंतम

17:30र विंदे भव

17:38[संगीत] भवानि सहित

17:46नमाम भव

17:52भवानी सहित

17:57[संगीत]

18:03मनोजवम मारुत तुल्य

18:13वेगम जिते इंद्रियम

18:19[संगीत] बुद्धिमता

18:25वषम वाता मजम [संगीत]

18:32वानर यथ

18:39मुख्यम श्री राम

18:45दूतम शरणम प्रप

18:51दे श्याम तोतम

18:59शरणम प्रप सीता राम

19:06राम राम सीता राम

19:13राम राम सीता राम

19:20राम राम सीता राम

19:26राम राम सीता राम

19:32राम राम सीता राम

19:39राम राम सीता राम

19:46राम राम सीता राम

19:54रामरा सीता राम

19:59राम राम सीता राम

20:05राम राम सीता राम राम राम राम राम

20:15सीता राम राम रा राजा

20:22राम राम राम राजा

20:29राम राम राम राजा

20:35राम राम राम

20:41राजा राम राम राम

20:47राजा राम राम राम

20:54राजा राम राम

21:00राजा राम राम राम

21:07रा राम राम राम सीता

21:14राम राम राम

21:20सीता राम राम राम सीताराम

21:28राम राम सीता राम

21:35राम राम

21:42सीता रामम चरण

21:48रति मोरे

21:53[संगीत] सीता राम

21:59चरण रति

22:04मो अनु दिना

22:11बढ़ाऊ अनुग्रह [संगीत]

22:17तोरे अनु दिन

22:23बढ़ अनुग्रह को

22:31जही विधि

22:36नाथा होई हित

22:42मोरा जही बी

22:48नाथ होई गीत

22:55मोरा करहो सो [संगीत]

23:01बेगी दास मैं

23:07तोरा करहु

23:13सुबेग दास में सीता राम

23:21राम राम सीता राम राम

23:29राम सीता राम राम राम

23:36सीता राम राम राम

23:42सीता राम राम राम

23:48सीता राम राम राम सीता राम राम राराम

23:59सीता राम रारा सीता

24:05राम राम राम सीता राम

24:12राम राम सीता राम राम राम

24:20सीता राम राम राम राजा राम राम राम राम

24:31राजा राम राम राम राजा राम राम राम

24:41राजा राम राम राम सीता राम राम

24:50राम सीता राम राम राम राजा राम राम राम

25:00राम राजा राम राम राम सीता राम राम राम

25:09सीता राम राम राम सीता राम राम राम सीता राम राम राम

25:21सीता राम राम राम सीता राम राम राम सीता

25:28राम राम राम सीता राम राम राम सीता राम

25:36राम राम सीता राम राम राम सीता राम राम

25:44राम सीता राम राम रामम सीता राम राम राम

25:51सीता राम राम राम सीता राम राम राम सीता

25:59राम राम

26:07राम माता रामो मत पिता

26:15रामचंद्र स्वामी रामो मत सखा

26:23रामचंद्र सर्वस्वम में रामचंद्र दयालु

26:30नारम जाने नव जाने न

26:37जाने बंदु श्री तुलसी के

26:43चरण जिनकी जग

26:49खा कली समुद्र बढत लखे

26:56[संगीत] प्रगट सप्त

27:04[प्रशंसा] जहा सियाराम मय सब जग

27:14जानी करम प्रणाम

27:20जोरी जुग पा

27:33सियावर रामचंद्र भगवान की

27:40[संगीत] जय श्री बाल कृष्ण भगवान की

27:49जय श्री उमापति महादेव की जय

27:58सुत हनुमान की जय पूज्य पाद गोस्वामी श्री

28:07तुलसीदास जी महाराज की जय श्री

28:14रामचरित मानस भगवान की

28:20जय ओ नमः पार्वती

28:25पतय हर हर

28:37[संगीत]

28:43[प्रशंसा]

28:54महादेव अनंता आनंत कोटि ब्रह्मांड नायक [संगीत]

29:02अकारण करुणा वरुणा य परात्पर ब्रह्म भगवान श्री राघवेंद्र सरकार के

29:10श्री चरणों में बारंबार वंदन देवाधि देव भगवान

29:18महादेव मां भवानी एवं अनंत बलवंत श्री हनुमंत लाल जी महाराज

29:27के श्री चरण साष्टांग

29:33दंडवत कली पावना अवतार कवियों के शरम और प्रात स्मरणीय परम

29:41पूज्य पाद गोस्वामी श्री तुलसीदास जी महाराज के श्री चरणों में बारंबार

29:51वंदन जगत जननी मां श्री जानकी के परम पुनीत

29:58धरा धाम मिथिला क्षेत्र में बिहार के मुजफ्फरपुर जनपद में स्थित

30:06आपका यह ग्राम डुमरी जिसके परम पुनीत इस स्थल पर बैठकर

30:13हम और आप इस अष्ट दिवसीय श्री राम कथा महोत्सव

30:18के आज खटम सत्र में यहां पर सभी लोग विराजमान हुए

30:25हैं इस पूरे आयोजन के केंद्र में परम आदरणीय भैया श्रीमान मदन चौधरी जी इनका

30:32पूरा परिवार बड़े भैया श्रीमान अमर चौधरी जी छोटे भैया श्रीमान

30:40गिरीश चौधरी जी बच्चे बहु पूरा परिवार जो तन मन धन सब प्रकार से

30:47इस आयोजन में अपने को समर्पित किया हुआ है आसपास सुदूर क्षेत्र से उपस्थित आप

30:56समस्त कथा के रसिक शता बंधु माताएं

31:03बहने समस्तीपुर जनपद में मोहि उद्दीन नगर के पास

31:09से मटर ग्राम से चलकर आए हमारे परम आदरणीय चाचा जी श्रीमान शंभूनाथ सिंह

31:17जी बगल के गांव जोनापुर से श्रीमान पुरुषोत्तम तिवारी

31:23जी मटर से श्रीमान राम नारायण सिंह जी एव मटर से श्रीमान गोपाल सिंह जी आए अभी

31:30पिछले वर्ष हम लोग दिसंबर के महीने में हमारे चाचा जी के विवाह की पवी वर्ष

31:37गाट के अवसर पर राम कथा नौ दिन वहां पर गाए खूब आनंद की वर्षा हुई सभी लोग तन मन

31:45धन से सब प्रकार से लगे रहे बतिया में 2000 26 में संभवत अप्रैल

31:54के महीने में 20 अप्रैल से 28 अप्रैल राम कथा है तो उस कथा के करता

32:04धरता श्रीमान अमरद तिवारी जी बतिया से आए हैं श्रीमान लव कुमार श्रीवास्तव जी

32:10श्रीमान जयशंकर जी श्रीमान मंजीत कुमार जी श्रीमान जय प्रकाश जी रांची से बाबू के

32:18साथ चलकर आए हमारे भैया प्रेमचंद जी पिछले तीन दिनों से और भी बहुत सारे लोग आए हैं

32:24सबके नाम तो मुझे स्मरण नहीं है परंतु आप जितने लोग मुझे देख पा रहे

32:31हैं जितने लोगों को मैं देख पा रहा हूं इनके साथ-साथ

32:37एव फेसु के माध्यम से पूरे विश्व में जहां जहां भी लोग इस कथा के प्रसारण को देख सुन

32:44रहे हैं आप सभी लोगों को मेरा सादर जय

32:52सियाराम ऊर्जा से कहिए जय सियाराम जय सियाराम

33:01कल हमने और [संगीत] आपने विवाह महोत्सव

33:07मनाया कितना आनंद आया हो सखियां कहती

33:14हैं जैसन पहुना हमारो

33:20सन के करा

33:25क जन जीजा हमारो

33:31सं करा कहीं मन में होखे इनके संगे संग

33:43लागल रही जैसन पहुना

33:50हमारो सन करा किसको कहे कौन है इनके

33:59बराबर नख केहु तीन लोक

34:0514 भुवन में नहीं केहु तीन

34:13लो भुवन में दो बरी बरो बरी न

34:21पसन कण में दो बरी बरोवरी

34:26[संगीत] पसन कण में पूरे मिथिला वासी कहे लगल की ए

34:36बबुआ रही जा यही जैसन पहुना

34:43हमा सन करा जैसन जीजा

34:52हमा कर मिथिला

34:59विचला की धरती पर हम और आप बैठे हैं और आज परम सौभाग्य हमारा

35:06आपका आज जगत जननी मां श्री जानकी मैया का प्रादुर्भाव दिवस है आज जानकी नवमी है आप

35:14सभी को श्री जान की नवमी की बहुत-बहुत [प्रशंसा]

35:22बधाई मदन बाबू आपको बहुत-बहुत धन्यवाद

35:27तो गानी ही थी कहीं और गाते लेकिन आपका संकल्प और आपके सौभाग्य से जानकी नवमी के

35:36समय मिथिला में कथा गाने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है यह बड़ी

35:41कृपा य कृपा है आज दोपहर में मैं दरभंगा चला

35:49गया पूरा दिन लगभग उधर ही थे हम लोग वहां

35:54पर पूज्य श्री मौनी बाबा की पस्या से मुख्य शहर में ही पहली

36:02बार कोहबर बिहारी बिहारिणी ज सरकार का मंदिर बन रहा है श्री दुल्हा सरकार और दुलहिन महारानी

36:11का मंदिर बन रहा है उस मंदिर के फाउंडेशन का आज ढलाई होने वाला था तो उसी मुहूर्त

36:17में मेरी भी हाजिरी लग गई और बड़ा आनंद मिथिला क्षेत्र क्या कहना आप बड़भागी है

36:25कि श्री किशोरी जी की मिथिला में आपको जन्म प्राप्त हुआ है यह सौभाग्य

36:30[प्रशंसा]

36:36है मिथिला में परंपरा है कि यहां पर विदाई की कथा नहीं

36:42होती मिथिला वासी मिथिला के रसिक आचार्य संत कहते हैं कि हमारे दूल्हा सरकार कोहबर

36:50में गए तो हम अपने सरकार को कोहबर में ही बंद करके रख

36:55लिए उनको ही नहीं अयोध्या क्यों ना राम जी अयोध्या जाएंगे ना राम जी को बन जाना

37:02पड़ेगा हमारे सरकार यही रह गए एक आपको एक एक कथा सुनाऊं दक्षिण भारत

37:09के एक महापुरुष [संगीत]

37:15हुए भगवान की कथा के बड़े

37:21रसिक केवल कथा पढ़ते रहते थे परंतु जैसे श्री अयोध्या कांड का

37:29प्रसंग प्रारंभ हो भगवान के बन जाने की कथा प्रारंभ हो व

37:35रोना प्रारंभ कर देते थे और इतने भाव में प्रवेश कर जाते थे इतने भावा वेश हो जाते

37:42थे इतने रुदन करने लगते थे कि कंठ अवरुद्ध हो जाते थे आंख में इतने अशु निकल जाते थे

37:50कि अक्षर दिखाई देने बंद हो जाते पढ़ नहीं पाते थे पढ़े बिना र नहीं पाते थे और भगवान के

37:59वनवास की कथा पढ़ नहीं पाते थे ऐसे ही दुविधा में फसे रहे एक दिन पोथी जी खोल के

38:07बैठे घंटों से रो रहे थे उनके विलाप को देखकर साक्षात श्री

38:14रघुनाथ जी उनके सन्मुख प्रकट हो गए प्रकट हो गए हो यह भारत के दक्षिण भारत

38:21की कथा है प्रकट हो गए भगवान के श्री चरणों को पकड़कर लिपट के लगे

38:28रोने कहे प्रभु मैं आपकी कथा को पढ़े बिना रह नहीं पाता

38:35हूं परंतु जब वनवास का प्रसंग आता है तो उसको मैं पढ़ नहीं पाता हूं मैं करूं

38:42क्या क्या किसी आप तो हर कल्प में अवतार लेते हैं कल्प कल्प

38:49प्रति प्रभु अवतर ह चार चरित नाना

38:54विधि आप तो प्रत्येक कल्प में अवतार ले नाथ क्या कभी ऐसा

39:00हुआ कि किसी कल्प में आप अवतार लिए और आपको बन न जाना

39:06पड़ा भगवान बोले एक बार ऐसा हुआ

39:12है एक कल्प का नाम था सत्यलोक कल्प उस कल्प में जब मैंने रामावतार लिया

39:20तो मैं बन नहीं गया था उस महापुरुष ने कहा प्रभु मुझे बस उसी

39:26कल्प की कथा चाहिए नाथ जिसमें आपका बनवास ना होना तो राम जी ने अपने दाहिने पांव के

39:34अंगूठे से धरति को दबाया और वहीं पर एक वृक्ष प्रकट

39:40हुआ और उस वृक्ष के प्रत्येक पत्ते पर भगवान की एक लीला लिखी हुई

39:47थी वृक्ष प्रकट हुआ भगवान अंतर ध्यान हुए उस महापुरुष ने सभी पत्तों को उतारा क्रम

39:55से लगाया और उसमें जो लीलाएं वर्णित थी उसको ग्रंथ का स्वरूप प्रदान किया और उसका

40:02पठन पारण प्रारंभ किया उस उस ग्रंथ में केवल भगवान की बाल लीला है

40:09बस भगवान के बाल लीलाओं का विस्तार है तो मिथिला में परंपरा है कि यहां दो कथाएं

40:17नहीं गाई जाती एक भगवान के वनवास की कथा और एक किशोरी जी की विदाई की कथा

40:26इसलिए कल मैंने सरकार को वही रख दिया मिथिला में ही आज हम और आप श्री अयोध्या

40:33कांड की कथा में प्रवेश करेंगे श्री अयोध्या कांड के प्रारंभ में

40:41पूज्य पाद गोस्वामी श्री तुलसीदास जी महाराज ने

40:49तीन श्लोक लिखे हैं पहले श्लोक में भूत भावन भगवान शिव को

40:55वंदन किया है दूसरे श्लोक में भगवान श्री राम के मुख को

41:01वंदन किया है और तीसरे श्लोक में जो मेरे पीछे आप स्वरूप देख रहे हैं इस स्वरूप की

41:08वंदना की है अब अयोध्या कांड के प्रारंभ में भगवान

41:13शंकर का वंदन क्यों किया गया एक एक सहज प्रश्न

41:22है बीच में आपसे एक निवेदन किया था मैंने एक दिन कि जिस प्रकार के चरित्र का हम

41:29स्मरण करते हैं उस प्रकार के जीव का भाव स्वभाव हमारे व्यवहार में दिखाई देने लगता

41:37है महापुरुष संत कहते हैं कि अयोध्या कांड मनुष्य की जवानी

41:43है अयोध्या कांड मनुष्य के युवा अवस्था की कथा

41:49है और याद रखिएगा जवानी यदि व्यवस्थित हो

41:55गई जिसने जवानी में अपने को तपा दिया वह संसार में सोने की तरह चमक

42:04उठेगा और जो जवानी को सोने में बिता दिया हो उसका क्या होगा वह तो भगवान मालिक है

42:11का [संगीत] होगा अयोध्या कांड युवा अवस्था की कांड की

42:17कथा है युवा कांड है श्री राम चरित्र मानस का युवावस्था है

42:25श्री अयोध्या कांड और इस कांड में आप दर्शन करिए आपको कोई भी

42:32आराम करता हुआ नहीं दिखाई पड़ेगा राम जी 14 साल के लिए वन

42:38में राम जी बन गए तो सीता जी चली गई साथ में लक्ष्मण भैया चले गए भरत भैया

42:46शत्रु भैया अयोध्या में थे लेकिन अयोध्या में भी भरत भैया वन में जैसे रहते वैसे

42:53रहते हैं मनुष्य के जीवन की चार अवस्थाएं

42:59हैं आपको पता है ब्रह्मचर्य [संगीत] दूसरा गृहस्थ तीसरा वानप्रस्थ और चौथा

43:10सन्यास शंभू चाचा यह मनुष्य के जीवन के चार फेज है चार

43:18अवस्थाएं [संगीत] हैं नियम वर्ग में बांटा गया है एक से 25

43:26साल तक ब्र रहे पढ़ाई करे विद्या अध्ययन

43:31करे 25 के बाद गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करें 25 से 50 तक जगत का व्यवहार करते हुए

43:40परिवार का पोषण करते हुए परमार्थ पथ पर अग्रसर होता रहे धर्म पूर्वक यह गृहस्थ

43:47आश्रम का धर्म है 50 साल पूरा हुआ क्या वैज्ञानिक दृष्टिकोण रहा

43:55पूर्वजों का 25 में विवाह हुआ संतति हुई 50 तक जब

44:02पहुंचेंगे तब तक आपकी संतान गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करेगी और वह परिवार का भार

44:08अपने कंधे पर ले [संगीत] लेगी तब तक आपकी अवस्था 50 साल की हो गई

44:15अब 50 से 75 वर्ष तक वान प्रस्थ होई पहले के लोग वन में चले जाते

44:22थे अब वन बचा ही नहीं कहां जाइएगा

44:29बंद तो काट काट के लोग टिशू पेपर बना [संगीत]

44:36दिए घर से निकलिए ना तो बगली में रुमाल लेकर चला करिए हाथ में तौलिया लेकर चला

44:44करिए जहां जहां आप टिशू पेपर का उपयोग करते हैं कोई ना कोई वृक्ष को नुकसान

44:50पहुंचता है

44:57वृक्ष बचाइए नहीं तो आने वाली पीढ़ी को हवा लेने

45:02के लिए ऑक्सीजन का सिलेंडर लेकर घूमना

45:08पड़ेगा घर में कोई भी उत्सव हो विवाह का वर्ष घाट हो बच्चों का जन्मदिवस हो प्रयास

45:15करिए कि उस मंगल अवसर पर आपके द्वारा उस बच्चे के नाम उस जीव के नाम एक वृक्ष का

45:23रोपण हो जाए जगत में इसका ध्यान रखिए [संगीत]

45:31बन बचाई नहीं कहां बन जाएंगे 50 के बाद वन में जाना है तो महापुरुष कहते हैं घर में

45:38ही वन की तरह रहा जा यह वान प्रस्त आश्रम घर में ऐसा मान लीजिए कि आप वन में

45:47बैठे हैं वनवास की तरह घर में रहिए मुक्त रहिए जो कर रहा है करने दीजिए

45:56जीव टोके बिना हो बिना टोके मान नहीं सकता

46:01है मुझे याद है एक एक महा एक व्यक्ति के घर में अपने पूज्य महाराज श्री के पास गया

46:09था उस उस व्यक्ति ने पूछा कि महाराज जी बच्चे मेरी बात नहीं मानते मैं क्या

46:15करूं महाराज श्री ने कहा उत्तर बड़ा कठोर है सुनने को तैयार

46:21है बोला कहिए महाराज महाराज ने कहा मर जाइए

46:27अब उनका तो चेहरा उतर गया महाराज श्री बोले मरने के लिए नहीं

46:34बोल रहा हूं घर में रहिए लेकिन मरे की तरह रहिए आनंद बना रहेगा जहां दिमाग लगाइए

46:43दुखी हो [संगीत] जाइएगा क्षमा पूर्वक कहना चाहता हूं जो

46:49जीवन में अवस्था को प्राप्त कर चुका है अपने को ना मान के

46:55रहे जहां आप मानिए कि हम है घर में और दिमाग लगाइए दुखी हो जाइएगा कहां बुढ़ापे

47:03में भजन करना चाहिए बुढ़ापे में टेंशन हो जाएगा वो नाना प्रकार की बीमारी पकड़

47:09लेगी आप अपना कर्तव्य करके चले आए हैं आगे वाले को सौंपी अच्छा करेंगे तो परिणाम

47:16सामने आएगा बुरा करेंगे तो परिणाम उनके सामने आएगा दूसरे को बनाने के चक्कर में

47:23अपना बर्बाद ना किया जाए अपने को संभाला य वान प्रस्त

47:31है 75 के बाद सन्यास की अवस्था है सन्यास का अर्थ है ऐक्य हो जाना

47:40[संगीत] परमात्मा सन जाना हो उन्ही में यह यह विभाग बताया गया है हम और आप युवावस्था

47:49में प्रवेश किए हैं युवा अवस्था यदि सीधी

47:55हो गई तो बुढ़ा अपने आप सिद्ध हो जाएगा उसको करना नहीं पड़ेगा और युवा को सिधि

48:02करने के लिए कथा है अयोध्या कांड की [प्रशंसा]

48:08कथा भगवान शंकर को अकारण गोस्वामी जी ने स्मरण नहीं

48:13किया यश के च ब भाति भूधर

48:21सुता देवा पगा

48:26मत के भाले

48:32बाल विधुर गले [संगीत]

48:37चरलम यसो रसी

48:45ब्या जिनके बा मांग में जगत जननी वाश जा

48:52भवानी जी विराजमान है यश के विभा भूधर सुता

48:58देवा पगा मस्त के जिनके मस्तक पर देव नदी मां गंगा

49:03है ललाट पर दूज के चंद्रमा शोभायमान है और गले में जिन्होंने हलाहल विश् को धारण

49:11किया हुआ है बासुकी सर्प को जो आभूषण बनाकर यज्ञ पवित बनाकर वक्ष स्थल पर धारण

49:19किए है यस्य रसी बलरा जो भगवान शंकर सर्वत्र है

49:27सर्वज्ञ है सबके स्वामी है उन भगवान शंकर को मैं

49:33बारंबार वंदन करता हूं गोस्वामी जी ने बाबा को प्रणाम किया क्यों

49:40किया अयोध्या कांड का अर्थ है जवानी का अर्थ है झंझट देखिए एक एक महापुरुष ने कहा

49:47मुझे नाम नहीं मालूम किसी म उस महापुरुष का मैंने कहीं पढ़ा था कह रहे थे कि यदि

49:54आपके जीवन में कोई समस्या नहीं है तो आपको अपने विषय में विचार करना चाहिए आप गलत

50:00मार्ग पर चल रहे हैं फिर से कह रहा हूं यदि आपके जीवन में

50:07कोई समस्या नहीं है तो आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं धर्म के मार्ग पर चलेंगे तो

50:14समस्या आएगी ही आएगी क्यों कलिकाल का प्रभाव [प्रशंसा]

50:19है यह कलिकाल आपको धर्म से हटाने का प्रयास करता है बारबार भगवान

50:28का भजन करिए लोग कहते हैं महाराज जब पूजा करने बैठते हैं तो मन बहुत भटकता है मन

50:33भटकता नहीं है य कलिकाल भटकाव होता है कलयुग में बैठकर सतयुग का काम करेंगे

50:41कैसे बर्दास्त करेगा हो यह जो कलिकाल है यह बारबार आपको

50:47डिस्टर्ब [संगीत] करेगा और इसी को छोड़ना नहीं है वो नहीं

50:55मान रहा है तो आपको भी नहीं मानना है धर्म पर आगे बढ़ते चलना है यह जीवन

51:04है इन समस्याओं के आने के बाद भी हम एकाग्र कैसे

51:10रहे यह प्रश्न है कई लोग यह भ्रम बना कर के मन में बैठे

51:15हैं कि भगवान का भजन करने से कष्ट नहीं होगा भगवान की पूजा करने से दुख नहीं आएगा

51:24सब आएगा हो इस संसार का नाम दुखाल

51:31है ये दुख का घर है यहां आइएगा जन्मत मरत दुस दुख

51:39होई जन्म लेते समय मरते समय दुस पीड़ा

51:44होती है बहुत कष्ट होता है जिस जीवन का प्रारंभ ही दुख से होता है

51:51और अंत ही दुख से होता है वहां सुख ढूंढ रहे हैं यह दुखाल

51:58तो महाराज भजन करने का लाभ क्या है भजन करने का लाभ यह है कि जीवन में कितना भी

52:06बड़ा दुख आ जाए हमारा मन विचलित नहीं होगा यह भजन का प्रभाव

52:11[संगीत] है जीवन में कितना भी दुख आ जाए हम धर्म

52:17धर्म पथ से भटक नहीं सकते हैं यह भजन का प्रभाव है जीवन में कितना भी कष्ट आ जाए भगवान पर

52:26से भरोसा कम नहीं हो सकता है यह भजन का प्रभाव इसलिए भजन करना

52:33है कि जीवन में विपत्ति आवे तो भगवान पर से भरोसा ना

52:39हटना एक परिवार को मैं जानता हूं नाम नहीं लूंगा कलकत्ता

52:46में जीवन में कष्ट हुआ भगवान की मूर्ति को मार के तोड़

52:52[संगीत] दिए उसके बाद खूब रुपया

52:58हुआ एक दिन मिले बताए बड़े गर्व से सुनता

53:06रहा लेकिन आपको बताऊं जाने के

53:11पहले 50 साल की अवस्था में चले गए जाने के पहले उनके घरवा में बांध बांध के

53:18पीटते थे उनको वो दुर्गति भई वो दुर्गति भई आप

53:24कल्पना नहीं कर सकते हैं शंभू चाचा भी जानत

53:31है इसलिए भगवान के भजन आवश्यक है कि जीवन में कष्ट हो तो भगवान पर से भरोसा कम ना

53:39हो जाए झंझट कहां नहीं है व झंझट यहां झंझट कम है

53:45का य जो बाबा बैठे हैं बगल में पार्वती मैया बैठी है कपार पर गंगा मैया बैठी है

53:52कम झंझट है का हो आप अपने श्रीमती जी के साथ बैठ

53:59[प्रशंसा] [संगीत] के कहीं देख

54:05[संगीत] लीजिए आप दर्शन करिए बाबा

54:12को यह अग्नि है नेत्र तीसरा नेत्र अग्नि के ऊपर गंगा जी जल को बिठा के रखे हैं

54:19झंझट नहीं है तो का है आप बताओ बाबा के गले में सांप है गणेश जी की

54:26सवारी चूहा है सांप के सामने चूहा भी फुदक रहता है सांप से चूहे को बचा के रखना है य

54:34झंझट नहीं है तो का है कार्तिकेय जी की सवारी मोर है मोर सांप को छोड़ता नहीं है

54:41लेकिन मोर सांप आमने सामने है दोनों को बचाना है झंझट है कि नहीं है बाबा चलते

54:48हैं नंदी पर हमार माई चलती है बाघ पर बाघ के आगे सिंह के आगे नंदी महाराज एक ही पार

54:56एरिया में दोनों लोग खड़े हैं कोई टच नहीं कर रहा है य झंझट नहीं है तो क्या

55:05है इतनी समस्याओं को भी लेने के बाद हमारे बाबा आनंद में रहते हैं क्यों कारण जानते

55:14हैं तुम पुनि

55:19रामा राम दिन गाती

55:26दिन रात बाबा राम राम जपते हैं और यह भजन का प्रभाव है देखिए जहां भजन सिद्ध हो

55:34जाता है वहां से विरोध समाप्त हो जाता है जिस घर में जिस स्थान में भजन सिद्ध हो

55:42गया यह भजन सिद्ध कब होगा निरंतर करते रहने से वहां से विरोध धीरे-धीरे अपने आप

55:50समाप्त हो जाता है इसलिए जीवन में युवावस्था में भजन छूट पावे इसका ध्यान

55:58रखिए यदि हमारे जीवन में भी भजन प्रवेश कर जाएगा तो हम भी झंझट में शांत बने रहेंगे

56:06व्याकुल नहीं होंगे और याद रखू भगवान को मन में बिठा के रखना

56:13[संगीत] है थोड़ी बात कड़वी है बोलू

56:20[संगीत] हा घरवा वाले मन को डस्टबिन बनाकर रखे

56:29हैं किसी को चिंता नहीं है व आपके मन की सब यही पूछते है आप हमारे लिए क्या करते

56:37हैं जो मिलेगा यही पूछेगा आपने क्या किया हमारे लिए अरे एक लड़का अमेरिका में अपने

56:44बाप पर केस कर दिया हमको पैदा क्यों

56:49किए मैं सुना तो आश्चर्य हम और आप बहुत बढ़िया देश में रहते हैं साहब अमेरिका में आप बच्चे को छू

56:57नहीं सकते हैं तुरंत 191 मिला देगा 911 ऐसा कोई नंबर है वहां पर पुलिस आ जाएगी

57:05आपको जेल हो जाएगा आप कैसे मार दिए इतना

57:12आतंक आप छोटे बच्चे को अपने साथ सुला नहीं सकते उसके लिए अलग से बिसरा लाना पड़ेगा

57:18कब घर में चेकन हो सकता है एक 12 साल का लड़का 16 साल का लड़का पढ

57:26करे डेढ़ साल पहले घटना सुना रहा हूं पढ़ ना करे पिताजी बोले गलत संगति हो गई और

57:33अमेरिका में पिताजी डांटे तो कहे बुला लूंगा 911 जो भी नंबर है 911 की जो भी नंबर है

57:42बुला लूंगा पिताजी डर जाए एक दिन इतना परेशान किया कि उनका हाथ उठ गया पहली बार

57:48बच्चे को चाटा मार दिए उसने फोन करके बुला लिया पुलिस को पुलिस आ गई उनको जेल ले जाने लगी प्रेम

57:57जी उन्होंने कहा कि देखिए मेरी मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी मैं बीपी बढ़ गया था

58:03उसमें मेरा हाथ उठ गया तो पुलिस ने कहा फर्स्ट एंड लास्ट चांस दे रहे हैं पुलिस

58:09चली गई छ महीने के अंदर उस आदमी ने इंडिया में

58:16अपना बिजनेस का पूरा सेटअप तैयार किया धीरे-धीरे घर में किसी को नहीं मालूम छ महीने में

58:24इंडिया में पूरा बिजनेस सेटप किया यहां आके घर खरीद लिया पूरा और वहां का सारा

58:29संपत्ति बेचा पूरे परिवार को लेकर इंडिया चलना अ इंडिया में बिजनेस करेंगे यहां लॉस हो

58:38गया दिल्ली उतरे लो दिल्ली उतरने के बाद जैसे इमीग्रेशन

58:44क्लियर हुआ इमीग्रेशन जैसे क्लियर हुआ भारत में

58:52प्रवेश हुआ एयरपोर्ट से बच्चे को पीटना शुरू किया

58:59बोले अब बुलाओ 911 यहां पर अब बुलाओ अब बला के दिखाओ य

59:09पर दिल्ली एयरपोर्ट से कूटते हुए घर तक ले [संगीत]

59:16गए देखिए वह सौभाग्यशाली है जिसको बचपन में

59:22माता-पिता से मार पड़ी है क्यों मिट्टी का घड़ा जब तक ठुकाता नहीं

59:29है हो तब तक उसको आकार प्राप्त होने वाला नहीं है कुमार भीतर हाथ लगाकर ऊपर से

59:37ठोकता रहता है नीचे से ममता दुलार का हाथ ऊपर से ताड़न रहता है तब जाकर घड़े को

59:44आकार प्राप्त होता है जिसने मार नहीं खाई माई बाप की वो कौन सा

59:50जीवन और याद रखिएगा आपको डांटता भी वही है जो आपको प्रेम कर

59:57करता आपको मारता भी वही है जो आपको दुलार करता है जिसको दुलार का अधिकार है उसको

1:00:04मारने का भी अधिकार है और यह केवल भारत भूमि में है इसलिए हम

1:00:11आप सौभाग्यशाली है कि यहा जन्म मिला है मन मन को परमात्मा में लगा के रखिए

1:00:19शरीर को संसार में लगा केर रखिए शरीर से परिवार समाज का व्यवहार करते

1:00:27रहिए मन को भगवान में लगा के रखिए यदि मन में भगवान नहीं है तो शरीर से कितनो करिए

1:00:34कोई मतलब होने वाला नहीं है नमन में है

1:00:42[संगीत] तो ना नमन में

1:00:50मिलेगा नमन समझते हैं नमन नमन यानी नमन यानी

1:00:56[संगीत] प्रणाम हम आपको नमन करते

1:01:01हैं यदि मन में नहीं है तो नमन में नहीं मिलेंगे दिन भर नमन करते

1:01:11रहिए नमन में है तो ना नमन में

1:01:21मिलेगा नमन में है तो

1:01:26न मन में मिलेगा ना पाताल में ना गगन में

1:01:37मिलेगा ना पाताल में ना गगन में

1:01:46मिलेगा ये नारद की वीणा ये नारद की

1:01:54पड़ ती युगों से मेरा राम

1:02:02केवल भजन में मिलेगा मेरा राम

1:02:10केवल भजन में मिलेगा मेरा राम केवल

1:02:18[संगीत] [प्रशंसा]

1:02:27कभी ध्रुव कभी भत

1:02:32प्रहलाद द्वारे कभी ध्रुव कभी

1:02:38भक्त प्रहलाद ब कभी जाके सबरी की किस्मत

1:02:50सवा कभी जाके शबरी की किस्मत

1:02:58सवारे वो अभिलंब आते हैं रा विलंब आते हैं दुख की घड़ी

1:03:11में पीड़ा और आ के रुदन में

1:03:18मिलेगा वो पीड़ा और दुख के रुदन में मिले

1:03:27मेरा राम [संगीत]

1:03:34[प्रशंसा] [संगीत] केवल सदा

1:03:41वेदना में आंसू संभ सब सामने रोने से सदा

1:03:49वेदना में आंसू संभालो

1:03:57वेदना में आंसू

1:04:02संभालो सदा वेदना में आंसू संभाल लो किसी भी तरह

1:04:13प्रभु के चरणों में डालो किसी भी तरा प्रभु के चरणों में

1:04:26पहुंच जाए आ है पहुंच जाए आ है तेरी बस वहां

1:04:37तक वो आकर के तेरे भवन में

1:04:45मिलेगा वो आकर के तेरे भवन में

1:04:52मिलेगा मेरा राम [संगीत]

1:04:59[प्रशंसा] [संगीत] [प्रशंसा]

1:05:04केवल जो राजन विनय से

1:05:09बुलाते रहेंगे जो राजन विनय

1:05:15से बुलाते रहेंगे दयालु है

1:05:22राघव जी आते रहेंगे दयालु है राघव जी आते

1:05:35रहेगे रहो नम्र राही रहो नम्र

1:05:42राही और मीठा वचन हो प्रभु

1:05:50की वचन में मिलेगा मेरा प्रभु

1:05:57मि वचन में मिलेगा मेरा राम

1:06:04केवल भजन में मिलेगा ये नारद की

1:06:11वड़ा ये नारद की वड़ा है कहती युगों

1:06:19से मेरा राम केवल के

1:06:27भजन में मिलेगा मेरा

1:06:34राम [संगीत]

1:06:40केवल पहले श्लोक में गोस्वामी जी ने भगवान शिव को वंदन किया

1:06:46है दूसरे श्लोक में भगवान के मुख को वंदन

1:06:51किया मुख क्यों मुख ही सब भाव बताता

1:06:58है ये जो चेहरा है ना यही प्रसन्नता भी दिखाता है यही रुदन भी दिखाता है यही

1:07:06क्रंदन भी दिखाता है भगवान रात में सुने कि प्रातः काल

1:07:13युवराज बनना है भगवान का मुख प्रसन्न नहीं

1:07:19हुआ प्रातः काल सुने युवराज नहीं बनना है वन में जाना है भगवान का मन दुखित नहीं

1:07:30हुआ क्षणे क्षण क्षण में देखि जीव का भाव

1:07:36कब बदल जाए कोई भरोसा [संगीत] नहीं जीव और जगदीश में इतना ही अंतर

1:07:44है भगवान का भाव बदलता नहीं है जीव का भाव ठहरता नहीं

1:07:50है क्षण क्षण में परिवर्तित होता है [संगीत]

1:07:56प्रसन्नता यान गता अभिषेक त तथा न मले वनवास दुखत मुखा बुज श्री रघुनंदन स्य में

1:08:06सदा सा मंजुल मंगल प्रदा गोस्वामी जी कहते हैं कि भगवान का

1:08:13जो मुख सर्वकाल अपने भक्तों के लिए एक रस में रहता है आप कल्पना करिए आपके पास कोई

1:08:21कृपा प्राप्त करने आए और आपको रोता हुआ देख वो क्या बोलेगा

1:08:28बेचारा बोलेगा आपसे कोई चंदा लेने आए और आपको

1:08:36देखे चंदा मांगेगा कि

1:08:42भागेगा भगवान सर्वकाल एक रस में रहते हैं कि कोई भी भक्त उनके दरवाजे आए तो बिना

1:08:50उपकार प्राप्त किए लौट ना जाए बिना आशीर्वाद प्राप्त किए इसलिए एक रस में

1:08:57रहते ग स्वामी जी कहते हैं भगवान का वो मुख जीव का भगत का मंगल करने वाला है सदा

1:09:06स्तु सा मंजुल मंगल प्रदा उस मुख को मैं बारंबार वंदन करता

1:09:13हूं तीसरा श्लोक मेरे पीछे दर्शन करिए य

1:09:19स्वरूप नीलाम बुज श्यामल

1:09:28मलंगम सीता समारो पित

1:09:36बाम भा पाण

1:09:43महा सायक चारु

1:09:49चाप नमामि राम [संगीत]

1:10:00रघुवंश नील अंबुज के समान जिनका श्याम रंग

1:10:06है कोमल कोमल जिनके अंग हैं जिनके बाम भाग

1:10:11में जगत जननी श्री किशोरी जो जानकी मैया विराजमान है और जो राम जी अपने हाथ में

1:10:17धनुष बाण धारण करके रघुवंश के सिंहासन पर श्री किशोरी जी के साथ विराजमान है उन

1:10:24प्रभु राम को मैं बारंबार नमन करता हूं नमामि रामम रघुवंश नाथम य अयोध्या कांड का तीसरा

1:10:35श्लोक इसके बाद गोस्वामी जी कथा प्रारंभ करते

1:10:41हैं भगवान के वन की कथा की भूमिका बनती है मैं आपको संक्षेप में स्मरण केवल करूं

1:10:48क्योंकि मिथिला में वनवास की कथा नहीं गाई जाती जीवन में

1:10:56कामना कामना जानते हैं ऐसा कोई यहां नहीं बैठा होगा जिसके मन में कोई कामना नहीं

1:11:06होगी पैदल चलने वाला साइकिल की कामना लिए बैठा

1:11:11है साइकिल वाला स्कूटी के लिए बैठा है स्कूटी वाला पलसर का लेकर बैठा है पलसर

1:11:23वाला पलसर वाला बुलेट का लेकर बैठा है रॉयल इनफील्ड

1:11:29का बुलेट वाला बीएमडब्लू बाइक का लेकर बैठा है दो चक्का वाला जिसके पास मान

1:11:36लीजिए मोटरसाइकिल है व बाइक के साथ बुलेट के साथ-साथ चार चक्का भी देख रहा है कम से

1:11:43कम नैनो ही हो जाए कोई बात नहीं नैनो नाम है व छटका गड़िया के

1:11:49नैनो नैनो वाला स्विफ्ट के लिए परेशान है स्विफ्ट वा

1:11:56वा इनोवा के लिए परेशान है इनो वाला फर के लिए परेशान है फर वाला बीएमडब्लू ऑडी के

1:12:03लिए परेशान है डी वाला चार्टर्ड प्लेन के लिए परेशान है कोई आपको ऐसा नहीं मिलेगा

1:12:09जो कहेगा नहीं नहीं बहुत बहुत मिल गया प्रभु अब कुछ नहीं चाहिए फ्रॉम टॉप टू

1:12:17[हंसी] बॉटम हे प्रभु हे रघुनाथ जी इसका नाम है

1:12:24कामना एक पूरी होती है तो चार खड़ी हो जाती

1:12:33है कमी नहीं दुनिया

1:12:39में एक ढूंढिए हजार हजार मिल जाते हैं मत

1:12:44ढूंढिए तो भी दो चार मिल जाते हैं

1:12:50कामना कम नहीं होती है हो अयोध्या वासियों के मन में कामना थी कि महाराज को लाला हो

1:12:56जाए हो गए चार चार लाला हो गए फिर कामना जन्म ली का इन बालकों का हम यज्ञ पवित्र

1:13:03देख पाते वह भी देख लिए फिर कामना ने जन्म लिया विवाह दिखाई पड़ जाता तो कितना आनंद

1:13:10होता धन्यवाद दिया जाए मिथिला को कि बारात तो एक ही की आई थी लेकिन यहां चारों

1:13:17राजकुमारों का विवाह हो गया अयोध्यावासी गदगद हो

1:13:22गए विवाह देख लिए खूब आनंद महोत्सव चल रहा है एक कामना ने

1:13:29फिर जन्म लिया क्या लिया आप

1:13:34अछत युवराज

1:13:41पद रामम ही देऊ

1:13:47नरेश श्री चक्रवर्ती जी महाराज अपने जीते जी यदि राम जी को युवराज पद पर आसीन कर दे

1:13:55कितना दिव्य हो जाएगा व ये अयोध्या वासियों के मन में कामना ने जन्म लिया और

1:14:01अयोध्यावासी नित्य भगवान शंकर से प्रार्थना करने लगे बाबा कुछ करिए बाबा ने

1:14:09किया क्या किया संकेत दिला दिया दशरथ जी महाराज दरबार में बैठे थे

1:14:16लगा कि सिर का मुकुट टेढ़ा हो गया है शीशा लेकर मुकुट सीधा किए तब तक यहां कान के

1:14:24पास का बाल खाई पड़ गया श्रवण

1:14:31[संगीत] समीप भए सत के

1:14:38सा शवन समी पर भए सित

1:14:46[संगीत] के मन जर ठ पना आस उप

1:14:56सा मन जरमन अस

1:15:05उपदेसा निप जुब राजा राम क दे

1:15:14हो निप युवराजा राम कहु

1:15:23देहु जीवन जनम लाह किन ले

1:15:31हो जीवन जनम

1:15:38लावती हो जीवन

1:15:43जन्म लाभ किन हो

1:15:49जीवन जनम लाह कीले

1:15:56जैसे महाराज की दृष्टि पहुंची कान के पास के श्वेत केश पर महाराज समझ

1:16:02गए य केश हमें उपदेश दे रहे हैं महाराज हम लोग रंग बदल लिए हैं अब आप भी अपना राज सह

1:16:11रूप बदलिए चौथे पन नप कानन जाही राम को युवराज पद पर बिठाकर मुक्त

1:16:22होइए संतान जब लायक हो जाए तो जितना शीघ्र हो अपना भार संतान को

1:16:31सौंप करके मुक्त होने का प्रयास करिए देखिए कोई मुक्त करता नहीं है मुक्त

1:16:40होना पड़ता [संगीत] है माया ने हमको नहीं पकड़ा है हम पकड़ के

1:16:49बैठे हैं माया को इसलिए स्वयं छोड़ना पड़ेगा

1:16:56मुक्त कोई मर जाता है तो घरवा वाले बगल वाले कहते फलाना मुक्त हो गए काहे के

1:17:02मुक्त हो गए हो मरे के बराले तिजोरी के चाबी काख तर

1:17:07दबा के गए हैं कहे के मुक्त हो गए प्राण निकलने वाला है तिजोरी की चाबी

1:17:14छूट नहीं रही है ऐसा आदमी मरने के बाद मुक्त होगा मरने के बाद केवल एक काम होता है वो

1:17:23भी लड़का यदि होगा तब होगा क्या तेरही

1:17:29बस य तेरही होती है मरने के बाद एक ही कार्यक्रम है तेही

1:17:37की जो जीते जी मुक्त नहीं हो पाया व मरने के बाद कदापि मुक्त नहीं होने

1:17:45वाला मुक्ति जीते जी होनी चाहिए कैसे होनी चाहिए संतान यज योग्य हो गई अपना सारा भार

1:17:53सौंप करके परिवार का समाज का मुक्त होकर भगवत भजन में प्रवेश कर जाना यही जीवन की

1:18:00मुक्ति है यही मुक्ति है कई लोग डर के मारे नहीं सौंपते महाराज

1:18:08बर्बाद कर देगा तो को दे दो बर्बाद कर दिया

1:18:14तो यदि रात में ही आप चले गए तो कल से कौन आबाद

1:18:20करेगा आप अमृत पी के तो आए नहीं है

1:18:25यदि रात में आप चले गए तो कल से तो वही अ आबाद बर्बाद करेगा आपके सामने यदि बर्बाद

1:18:33भी करेगा तो संभालने के लिए आप हैं यदि आपके पीछे करेगा तो कौन

1:18:40संभालेगा इसलिए संतान योग्य हुई उसको भार सौंप महाराज ने मन में विचार किया राम

1:18:47योग्य हो गए हैं जाकर गुरुदेव भगवान से निवेदन किया

1:18:56गुरुदेव भए राम

1:19:02सब विधि सब

1:19:07लायक मेरे राम सब प्रकार से सब व्यवहार के लिए योग्य हो गए हैं गुरुदेव आप ऐसा

1:19:14मुहूर्त बताते जिस मुहूर्त पर मैं राम का अभिषेक कर

1:19:20देता गुरु जी ने कहा कि महाराज मुहूर्त ना पूछिए

1:19:25आप जिस समय राम का अभिषेक कर देंगे वही समय सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त में परिवर्तित

1:19:32हो जाएगा इसलिए तुरंत कर दीजिए बग विलंब न करि अ पसा सबई समाज सुदन

1:19:41सुमंगल तब जब राम हो जुगराज आप तुरंत

1:19:46करिए और आप जानते हैं यह तुरंत चक्रवर्ती जी के जीवन में

1:19:52नहीं आया महाराज ने रचना बनाई कल करेंगे रात भर में

1:19:59ही भगवान ने सारी लीलाएं कर दी हो यहां आपसे निवेदन करूंगा कि राम जी के

1:20:06बन जाने में मेरी मां का कोई अपराध नहीं

1:20:12है राम जी का वनवास कैकई मैया के कारण नहीं हुआ है राम जी का बनवास राम जी के

1:20:20कारण हुआ है राम जी बन जाना चाहते हैं

1:20:26रावण को मारने के लिए नहीं जाना है रावण को मारने के लिए तो भगवान को कहीं

1:20:31नहीं जाना था भगवान अयोध्या में बैठकर बाण छोड़ते अरे भाई चित्रकूट में इंद्र का

1:20:40बेटा जयंत कौआ बनके आया और उस महामूर्ख ने

1:20:46मेरी मां के पांव में चोंच से मार दिया मार दिया

1:20:52ना तो भगवान असली बाण नहीं चलाए थे कुशा

1:20:58की चटाई पर बैठे थे उसी में से दो कुशा निकाले एक कुशा को झुका के धनुष बनाए

1:21:05दूसरे को ब्रह्मास्त्र के मंत्र से अभिमंत्रित करके जयंत के पीछे राम जी ने

1:21:11छोड़ दिया प्रेरित मंत्र ब्रह्म सर धावा चला

1:21:20भाजी वो कुशा का बाण ब्रह्मास्त्र बनकर जयंत के पीछे दौड़ने

1:21:26लगा जयंत कहां कहा भागा तीन लोक चौ भुवन

1:21:32भागा केवल धरती पर नहीं भागा तीन लोक चौ भुवन और सब जगह भगवान का वह ब्रह्मास्त्र

1:21:40उसको दौड़ा रहा यदि चित्रकूट से कुशा का बाण छोड़ा हुआ तीन लोग चौद भुवन जा सकता

1:21:48है तो क्या अयोध्या से छोड़ा हुआ बाण लंका नहीं जा सकता था क्या

1:21:56रावण को मारने के लिए भगवान को अयोध्या से बाहर नहीं जाना

1:22:02था तो आप कहोगे महाराज फिर राम जी बन क्यों चले गए यदि रघुनाथ जी बन न

1:22:10जाते तो हमारे केवट भैया को चरणामृत कैसे प्राप्त होता हो भगवान

1:22:16का यदि रघुनाथ जी बन न जाते तो हमारी शबरी मैया की प्रतीक्षा पूरी कैसे हो पाती

1:22:27यदि राम जी वन न जाते तो वन में रहने वाले

1:22:32कोल भीलों को भगवान का दर्शन प्राप्त कैसे हो पाता हो यह सब व्यवहार करने के लिए

1:22:39भगवान वन की ओर निकल पड़े इसलिए राम जी के वनवास में मां कैकई

1:22:46का लेश मात्र भी अपराध नहीं है राम जी तो यह भी कह दिए हैं कि दोष देई

1:22:53जन जे गुर साधु सभा

1:22:59से जो मेरी मां ककई को दोष देगा वो मनुष्य नहीं हो सकता वह जड़ होगा कौन दोष देगा

1:23:06जिसने जीवन में अपने सदगुरु की सेवा नहीं की होगी जिसने जीवन में अपने श्रेष्ट की

1:23:12सेवा नहीं की होगी वह मेरी मां को दोष देगा मां ने जो भी किया दो वरदान मांगे

1:23:20राम जी की इच्छा से राम जी की रचना

1:23:25अब आप कहोगे महाराज राम जी को बन जाना था तो ठीक है भरत जी के लिए कुर्सी क्यों मांग

1:23:32लिया भरत जी के लिए कुर्सी क्यों मांग लिया देखिए जो हमारा श्रेष्ठ है

1:23:40ना वह हर पग पग पर हमारा परीक्षण करता

1:23:45है बताता नहीं है लेकिन परीक्षण करता है

1:23:50हमारे भाव स्वभाव को देखने के लिए क कई मैया ने भरत जी के लिए राज सत्ता इसलिए

1:23:57मांगी कि वो देखना चाहती थी जिस भरत को मैंने अपने कोख में पाला है उस भरत के

1:24:05जीवन में राज पद और रघुनाथ पद दोनों सामने खड़ा हो तो मैं देखूं कि मेरे कोख से जन्म

1:24:13लेने वाला मेरा पुत्र भरत अयोध्या के पद की ओर दौड़ता है कि अपने भैया के पद की ओर

1:24:20दौड़ता है इसका परीक्षण करने के लिए मांगा

1:24:27राम जी रचना बनाए राम जी के साथ मेरी किशोरी मैया तैयार हुई लक्ष्मण भैया भी तैयार हो

1:24:36गए सजवन साज समाज सब बनिता

1:24:43बंधु समे बंद बगुर चरण

1:24:50प्रभु चले करी सब अचेत सबको प्रणाम करके माता पिता परिवारी

1:24:59जनों को प्रणाम करके प्रभु विशेष उदासीन व्रत का संकल्प

1:25:06लेकर मां जानकी और भैया लक्ष्मण जी के साथ पिताजी को प्रणाम करके चले गुरुदेव

1:25:14भगवान के आश्रम में गए जाकर गुरुदेव भगवान को दंडवत किए हैं ब्राह्मण देवताओं को

1:25:19बुलाकर एक वर्ष का उनको भोजन दिए वर्षस दिए हैं या को बुला कर के दान देकर

1:25:26संतुष्ट किए हैं और चलते समय अयोध्या वासियों से हाथ जोड़ कर

1:25:33के राम जी प्रार्थना करते हैं क्या सोई सब

1:25:43भाति मो रहित [प्रशंसा]

1:25:50कारी हीते रहे

1:25:57भुवाल सुखरी रघुनाथ जी अयोध्या वासियों से कहते

1:26:04देखिए आप सब में राम का हित श वही

1:26:10है जो मेरे पिताजी को प्रसन्न रखेगा इसलिए मेरी प्रार्थना है आप लोगों

1:26:16से आप लोग ऐसा ही व्यवहार करिएगा जिससे मेरे बाबूजी प्रसन्न रहे जते रहे भुवाल

1:26:28सुखारी गौरी गणपति भगवान का स्मरण करके भगवान शिव का स्मरण करके भगवान राम वन की

1:26:36ओर आगे बढ़े राम जी को वन की ओर जाते देख पूरी अयोध्या की प्रजा राम जी के पीछे

1:26:42दौड़ने लगी क्यों अवध तहा ज राम निवास जहा राम रहेंगे वही अयोध्या

1:26:50है चक्रवर्ती जी की मूर्छा गई जब देखे कि राम चले गए मेरा प्राण नहीं गया अपने को

1:26:58कोसने लगे सुमंत जी को बुलाकर कहे सुमंत शीघ्र

1:27:03रथ लेकर जाइए रथ पर बिठा कर के वन में ले जाइएगा हम कहते सुमंत चार दिन वन दिखाइएगा

1:27:12और उसके बाद वापस लेकर आइएगा परंतु सुमंत राम तो दृढ़ वती है

1:27:19सत्यवती है हो सकता है राम ना आए

1:27:25कोई बात नहीं सुमंत यदि राम ना लौटे ना तो तुम सीता को लेकर के

1:27:31आना कहना कि जितना दिन मन करे अयोध्या में रहेंगी फिर मन करेगा तो मिथिला जाकर

1:27:37रहेंगी लेकिन आप किशोरी जी को लेकर के आइएगा सुमंत यदि आप उनको भी लेकर के नहीं

1:27:43आइएगा तो आप तो आइएगा लेकिन आपके आने के साथ मेरा प्राण चला

1:27:49जाएगा अकेले ना आइएगा सुमंत सुमंत जी रथ लेकर गए रघुनाथ जी के

1:27:57पास राम जी ने पिताजी की आज्ञा सुनी की रथ पर जाना है मेरी मां को रथ पर बिठाकर

1:28:03प्रभु रथ रोड़ हुए लक्ष्मण भैया बैठे सुमंत जी रथ पर बिठाकर भगवान को वन में ले

1:28:11गए पूरी अयोध्या की प्रजा राम जी के रथ के पीछे दौड़ रही है पहले दिन

1:28:18भगवान तमसा नाम की नदी के किनारे रुके हैं अवध की प्रजा थक के सो गई भगवान सोचने

1:28:27लगे इस प्रकार प्रजा मेरे साथ यात्रा में रहेगी तो मैं वचन का निर्वाह नहीं कर

1:28:33पाऊंगा भगवान ने मध्यरात्रि में अपनी माया शक्ति को प्रेरित करके और समस्त अयोध्या

1:28:40की प्रजा को गहरी निद्रा में सुला दिया और जब पूरी प्रजा गहरी निद्रा में सो

1:28:47गई तो भगवान सुमंत जी से कहे तात आप इसी

1:28:53समय रथ के पहिए के चिन्ह को मिटा कर के यहां से

1:28:59[संगीत] निकलिए

1:29:05सीता सचिव सहित दो

1:29:14भाई सीता सव सहित दो भाई

1:29:24[प्रशंसा] श्रृंगवेरपुर [संगीत]

1:29:30पहुंचे जा

1:29:36श्रृंगवेरपुर पहुंचे

1:29:42जाए उत्तर रामा

1:29:49देवसरी देखी उतर शी

1:29:57रामम देव सरी देखी कीन

1:30:04[प्रशंसा] दंडवत हरस [संगीत]

1:30:10विश कीह दंडवत हरत वि

1:30:18से सह दंडवत रस

1:30:26विष न दंडवत हरस

1:30:35वि राम जी चले दूसरे दिन दिन के तीसरे पहर में भगवान सिंग वेपुर पहुंचे हैं गंगा जी

1:30:42के तट पर राम जी ने गंगा जी को उतर कर के रथ से दंडवत किया है राम जी के पीछे

1:30:49लक्ष्मण भैया किशोरी मैया ने और सुमंत जी ने उतर कर दंडवत किया है यहां पर राम जी

1:30:55ने गंगा जी की महिमा गाकर

1:31:00सुनाई सिंग बरपुर के राजा है निषाद राज गह राम जी के आगमन की सूचना प्राप्त हुई अपने

1:31:08बंधु बांधव के साथ उपहार लेकर फल राम जी के पास गए चरणों में उपहार रखकर दंडवत

1:31:16करते हैं राम जी ने उठाया सहज सनेह विवस

1:31:22रघुराई पूछी कुशल निकट बैठाई भगवान निषद राजग को अपने बगल में बिठा कर के पूछे

1:31:30मित्र कुशल है ना निषद जी कहते प्रभु आपके चरण का दर्शन

1:31:37हो गया सब कुशल हो गया नाथ

1:31:43कुशल पद पंकज

1:31:51देखे भय भाग

1:31:58भाजन जन ले एक बात कहूं रघुनाथ

1:32:05जी यदि आपको 14 वर्ष अयोध्या से बाहर ही रहना है तो आप बाहर तो आ ही गए हैं आप 14

1:32:13वर्ष प्रभु सिंगरपुर में रहिए भगवान ने कहा मित्र मैं विशेष उदासीन व्रत का संकल्प

1:32:22लेकर आया हूं और इस संकल्प के अनुसार 14 वर्ष तक मुझे

1:32:27किसी गांव नगर में प्रवेश नहीं करना है इस 14 वर्ष में मुझे किसी धातु को हाथ

1:32:37से स्पर्श भी नहीं करना है जैसे निषद राजग ने यह बात सुनी नगर के

1:32:45बाहर एक शीशम के वृक्ष के नीचे रात्रि में कुशा की चटाई

1:32:50बिछाई कंद मूल प्राप्त करके प्रभु मैया के साथ वहीं पर चटाई में विश्राम करते हैं

1:32:57लक्ष्मण जी थोड़ी दूर जाकर के विरासन में बैठक के पहरा देने

1:33:07लगे इधर निषद राजग अपने सेवकों को बुलाए हैं अब बुलाकर कहे कि मुझे पता चला है कल

1:33:15रात में राम जी तमसा नदी के किनारे अयोध्या वासियों को मध्यरात्रि में सोता

1:33:21हुआ छोड़कर चले आए कहीं हम लोग रात में सो जाएं और राम जी

1:33:26यहां से भी रात में ही चले जाए तो क्या होगा अपने सेवकों से निषद राजग बोले चारों

1:33:33तरफ पहरे में खड़े हो जाओ राम जी को रात में जाने नहीं देना है सारे सेवक पहरे में

1:33:40लग गए निषद राजग भगवान जहां सोए थे वहां पर

1:33:47आए और जाकर जब देखा कि राम जी सीता मैया के साथ कुशा की चटाई पर धरती पर सए हैं यह

1:33:54दृश्य देखकर निषद जी फफक के रोने लगे कहने लगे क क अनंद नि मंद

1:34:04मति कठिन कुटिल पन

1:34:11की जही रघुनंदन

1:34:16जान की सुख अवसर

1:34:23दुख दे कहते हैं कैकई नंदिनी कैकई जी ने बहुत

1:34:31कठिन व्यवहार कर दिया जिन राम जी के जीवन में सुख का अवसर आया था उन राम जी को कैकई

1:34:39जी ने दुख प्रदान कर दिया रघुवंश रूपी वृक्ष को समूल काटने के

1:34:46लिए कई कई कुल्हाड़ी बन गई आज निषाद राजग इतने आवेश में आ गए मां

1:34:54कैकई को भला बुरा कहने लगे लक्ष्मण जी पास बैठे सुन

1:35:01लिए लक्ष्मण जी ने निषद जी से कहा इधर आइए भाई साहब तनिक मेरे पास आइए आप कह रहे थे

1:35:08कि क कई मैया ने राम भैया को दुख दे दिया है यही ना यह बताइए जिसके जीवन में दुख होगा उसको

1:35:16नींद आएगी मदन जी

1:35:21कहिए जोर से क [संगीत] आप लोग कहिए जिसके जीवन में दुख होगा उसको रात

1:35:30में नींद आएगी नहीं आएगी निषाद जी भी बोले नहीं आएगी लक्ष्मण जी

1:35:36बोले भैया तो चकाचक सो रहे हैं आप देखिए आप कह रहे कि इनको दुख है कहां दुख

1:35:44है य तो सो रहे हैं आपसे एक निवेदन करूं निषाद राज गु

1:35:51जी मनुष्य यही ब्रम जीवन में पाल करके बैठा है कि उसने मुझे दुखी कर

1:35:57दिया उसने मुझे दुख दे दिया लेकिन आपसे बताऊं जीवन में ना कोई किसी को सुख देता

1:36:05है ना जीवन में कोई किसी को दुख देता है हम अपने द्वारा किए हुए कर्म से सुखी होते

1:36:13हैं हम अपने ही द्वारा किए हुए कर्म से दुखी

1:36:20होते काहु न को सुख दुख कर दाता निज कृत कर्म भोग सब भ्राता अपने

1:36:30द्वारा किए हुए कर्म का फल है सुख और अपने ही द्वारा किए हुए कर्म का फल है

1:36:40दुख अब इसको और आपको भीतर ले चलकर निवेदन करूं तो यह सुख और दुख के बीच में कारण है

1:36:49मोह क्या कारण है मोह मोह क्या

1:36:55है गिनते जाइए जन्म लेना मरना अच्छा बुरा ऊपर नीचे स्वर्ग नरक

1:37:10श्रेष्ठ मध्यम निम्न परिवार घर व्यापार

1:37:17नौकरी बेटा बेटी पति पत्नी संबंधी माई बाप

1:37:27भाई अच्छा बुरा ये सब क्या

1:37:32है यह सब क्या है मोह है राजन हो चाहे आप हम लोग दिन रात इसी

1:37:42में जी रहे हैं जी रहे हैं ना कोई इससे बाहर जी रहा है क्या इसी में सब जी रहे

1:37:48हैं और यही मोह है और इसी मोह में सो कर के हम सपना देख रहे हैं सपना का देख रहे

1:37:57हैं ऐसा हो जाएगा तो कितना बढ़िया होगा वो एक ठ मकान पटना में बन जाए ना आनंद आ

1:38:05जाएगा सपना है यदि यह सपना पूरा हो गया तो हम सुखी हो

1:38:12गए सपना यदि पूरा नहीं हुआ तो हम दुखी हो गए तो हमको सुख और दुख हमने स्वयं ने दिया

1:38:21है किसी और ने नहीं दिया है ये जो मोह में सपना देखा जा रहा है यही

1:38:28दुखी करेगा ऐसा हो जाएगा ना तो फिर ऐसा करेंगे व ऐसा हुआ ना वैसा हुआ तैसा हो गया

1:38:37हम दुखी हो गए हम तो जैसा सोचे थे वैसा हुआ ही नहीं महाराज हम हमको मेरे बच्चे ने

1:38:42दुखी करके रखा है बच्चे ने नहीं दुखी किया है आपने दुखी किया है अपने आप को क्यों

1:38:49सोचे कि लड़का ऐसा वैसा होगा क्यों सोचे

1:38:54सोचा किसने आपने इसलिए आपको दुखी आपने

1:39:00[संगीत] किया रेंट पर मिला है ई रेंट पे परमानेंट

1:39:07रजिस्ट्री नहीं है शरीर की रेंट पर मिला

1:39:15है मानव तू है मुसाफिर

1:39:24ये दुनिया है

1:39:30धर्मशाला यात्रा करते करते आ गए हैं यहां पर 84 लाख जोनी में यात्रा किए

1:39:37हैं कहियो रात वहां रहे किसी रात कहीं रहे किसी रात कहीं रहे यहां आए हैं अरे

1:39:44मानो तू है मुसाफिर दुनिया है धर्म सा

1:39:55शाला संसार क्या है सपना वो भी अजब

1:40:04निराला मानो तू है मुसाफिर दुनिया है

1:40:14धर्मशाला मानो तू है मुसाफिर दुनिया है धर्मशाला

1:40:24संसार क्या है सपना वो भी अजब

1:40:31निराला संसार क्या है सपना

1:40:37वही अजब निराला मानो तू है मुसाफर

1:40:49[संगीत]

1:40:57[प्रशंसा] [संगीत] ये रैन है

1:41:05बसेरा है किराए का ये डेरा

1:41:11इसमें फसा है फेरा ये तेरा है ये

1:41:18मेरा ये रैन है बसेरा

1:41:24है किराए का ये टेरा इसमें फसा है

1:41:31फेरा ये तेरा हैना मेरा

1:41:37शीशे कुमान बैठा शीशे कुमान

1:41:44बैठा तू मोतियों की माला शीष कुमार बैठा

1:41:53त मोतियों की माला संसार क्या है सपना वो भी अजब

1:42:04निराला संसार क्या है सपना वो भी अजब

1:42:12निराला मानो त है मुता [प्रशंसा]

1:42:23[संगीत] [प्रशंसा] [संगीत]

1:42:30यह सहज नहीं मिला है जन्मों का पुण्य संचित नर देह तूने

1:42:40पाया कंचन और कामनी में इससे व्यर्थ ही

1:42:47गवाया जन्मों का पुण्य संचित र देह तूने पाया कंचन और कामनी में

1:43:00इस व्यर्थ ही गवाया कौड़ी के मोल तूने कौड़ी के मोल

1:43:11तूने हीरे को बेच डाला गौड़ी के मोर तूने हीरे को बे चढ़ा

1:43:23ला संसार क्या है सपना वो भी अजब

1:43:30निराला कौड़ी के मोल तूने हीरे को बेच

1:43:38डाला संसार क्या है सपना वो भी अजब

1:43:46निराला मानो तू है मुसाफिर

1:43:54[संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत]

1:44:05नश्वर है तन का ढाचा बालू की भीत काचा ऋषियों ने परखा

1:44:16जांचा बस राम नाम साचा ना स्वर है तन का

1:44:23ढाचा बालू की भीत काचा ऋषियों ने परखा

1:44:31जांचा बस राम नाम साचा छक कर तुपी

1:44:39सिकारी छक के तुपी सिकारी

1:44:44सियाराम नाम प्याला छक कर तुपी

1:44:50सिकाई सियाराम ना प्याला संसार क्या है सपना वो भी अजब

1:45:01निराला संसार क्या है सपना वो भी अजब

1:45:08निराला मानो तू है मुस्ता फिर दुनिया है

1:45:15धर्मशाला मान तू है सा दुनिया है धर्मशाला

1:45:23संसार क्या है सपना वो भी अजब

1:45:29निराला संसार क्या है सपना वो भी अजब

1:45:36निराला वो भी अजब निराला वो भी अजब

1:45:46[संगीत] निराला य बतिया बुझाई लहा

1:45:53[संगीत] कौड़ी के मोल

1:46:01तूने कौड़ियों नहीं है वो अरे कौड़ी के

1:46:08मोल [संगीत] तूने इस हीरे को बेच

1:46:17डाला संसार क्या है क्या है

1:46:24सपना वो भी अजब

1:46:30निराना हम लोग कितने बड़ भागी [संगीत]

1:46:38है भगवान कामो दिए तो अपने गुगान में [संगीत]

1:46:46लगा लोहा ते र संभालिए

1:46:54मोह से जगिएलोनियन

1:47:00[संगीत]

1:47:09[संगीत]

1:47:16[संगीत]

1:47:22जग [संगीत] जामिनी

1:47:28जाग ही जोगी

1:47:39परमारथ प्रपंच

1:47:45वियोगी लक्ष्मण भैया कहते निषाद राज गुजी इस मोह की रात्रि में जो जोगी है वो जगा

1:47:55जोगी कौन जो परमार्थ में लगा हुआ है जगत के प्रपंच से अपने को बचा के रखा

1:48:02हुआ है वह जोगी है देखिए कपड़ा रंगा लेने से जोगी नहीं

1:48:12[संगीत] होते अरे रंग आए जोगी कपड़ा हो

1:48:23मन ना रंगाए रंगाए जोगी कपड़ा

1:48:31हो मन ना रगा मन रंग हो जोगी कौन देखिए जो

1:48:39गृहस्थ आश्रम में रहने के बाद भी परिवार का पोषण करने के बाद भी लालन पालन करने के

1:48:46बाद भी नौकरी करने के बाद भी व्यापार करने के बाद भी जो परमार्थ में लगा हुआ व जोगी

1:48:55है जो धर्म में लगा हुआ है वह जोगी है जो प्रपंच से अपने को बचाया हुआ है वह जोगी

1:49:02है कहते हैं जानि तब ही जीव जग जागा आप कब मानिए कि जीव जगा हुआ है जब सब

1:49:11विषय विलास विरागा जब संसार के समस्त विषयों से मन को वैराग्य प्राप्त हो जाएगा

1:49:19समझिए जगा हुआ और वैराग्य कैसे होगा धर्मा चरण से

1:49:24धर्म ते विरती बिना जीवन में धर्मा आचरण किए

1:49:30वैराग्य प्राप्त होने वाला नहीं है बतिया

1:49:37बुझाता धर्म आचरण करिए धर्म का पालन जीवन में वैराग्य को जन्म देता है और जीवन में

1:49:44वैराग्य हो जाना यही जगना है निषद राज से लक्ष्मण जी बोले आप जिनके

1:49:51लिए रो रहे थे व राम जी जीव नहीं है निषद जी बोले कौन है लक्ष्मण जी बताए

1:49:58रामा ब्रह्मा परमारथ

1:50:07रूपा राम ब्रह

1:50:12परमारथ [संगीत] रूपा अविगत अलख अनाद

1:50:21[प्रशंसा] पा अविगत अव

1:50:30अनाथ अनुपा सखा परम

1:50:39परमारथ हे हो सखा परम

1:50:48परमारथ हे हो

1:50:54मन क्रम वचन राम पद

1:50:59में हो मन क्रम

1:51:05वचन रा पद ने

1:51:11हो मनख बचन राम

1:51:22जी यह जो राम जी है जीव नहीं है राम ब्रह राम जी क्या है ब्रह्म है परमार्थ

1:51:35रूपा परमार्थ के स्वरूप है राम जी निषद जी पूछे परमार्थ क्या है लक्ष्मण

1:51:44जी बोले मन से वचन से और कर्म से राम जी

1:51:50के चरणों में प्रेम हो जाए यही जीवन का असली परमार्थ है मन क्रम वचन राम पद नेह

1:51:58सखा परम परमार्थ लक्ष्मण जी कारण बताते हैं

1:52:08भगत भूमि भू सुर सुर

1:52:15भी सुर हित लागे कृपा

1:52:23भक्तों के लिए धरती के लिए ब्राह्मण के लिए गौ के लिए देवताओं के लिए भगवान करत

1:52:33चरित धरि मनुज तन सुनत

1:52:39मिट जग जा भगवान मानव शरीर धारण करके लीला

1:52:46कर रहे हैं चिल्लाया से

1:53:00का चिल्लाते है अच्छा के को बुलावत हमें अच्छा

1:53:13अच्छा गांव के आनंद

1:53:20है प्रातः काल हुआ राम जी निशा लक्ष्मण भैया प्रातः

1:53:29क्रिया से निवृत्त होकर निषाद राज गुह से बर्गत के वृक्ष के दूध को मंगाए और अपने

1:53:37केश में लक्ष्मण जी राम जी लगा कर के प्रभु ने सिर पर जटाओं का मुकुट बनाया

1:53:43है यह दृश्य देखकर सुमंत जी फफक के रोने लगे कहे प्रभु

1:53:50आपके पिताजी ने मुझे आदेश दिया है कि चार दिन वन दिखा कर के वापस ले आना राम जी ने

1:53:57कहा धर्म न दूसर सत्य समाना आगम निगम

1:54:04पुराण बखाना आप कहिए सत्य के लिए हमारे पूर्वजों ने क्या क्या नहीं सहा है और मैं

1:54:10सत्य का त्याग कर दूं बाबू पंखा के रसरी कहने लगा दे

1:54:22य दूसरा हाली गिरा है पंखा तीन

1:54:31बार रसरी के उधर करिए हां हां हा ज जैसन बान के दवाई होके के

1:54:42चाही बस अब ना गिरी चल रहा है कि बंद हो गया है हो

1:55:04अच्छा बंदे हो गया चल रहा

1:55:16है उसको भी मन हो रहा है कथा सुनने का कितना चलेगा बेचारा थोड़ी देर हम उस उस्ता

1:55:21के कथा [प्रशंसा] जय हो

1:55:27प्रभु प्रभु ने निषाद राजग को मना किया है किशोरी मैया से कहे किशोरी मैया ने भी मना

1:55:34किया है और प्रभु ने अरे बरबस

1:55:40राम सुमंत

1:55:45पठा असुर सर तीर

1:55:50[प्रशंसा] तब आए प्रभु ने बरबस सुमंत जी को अयोध्या की

1:55:59ओर विदा किया और उसके बाद सीता मैया के साथ लक्ष्मण भैया के साथ प्रभु अब गंगा जी के

1:56:07पास आए हैं गंगा जी को पार करने के लिए और यहां से एक बड़ी अद्भुत कथा प्रारंभ होती

1:56:13है किसकी कथा केवट भैया की केवट भैया की

1:56:20कथा श्री रामचरित मानस के मेरे बड़े प्रिय पात्र हैं हमारे केवट भैया जी अद्भुत है

1:56:29वो पिछली रात्रि केवड़ जी सब समाचार सुन लिए हैं क्या सुन लिए हैं कि राम जी जीव

1:56:36नहीं है ब्रह्म है राम जी के पांव में प्रेम करना ही असली परमार्थ है केवड़ जी

1:56:43सोचे राम जी भेटा इए गए हैं उनका पांव भी भेटा गया है अब ऐसा अवसर जीवन में दोबारा

1:56:50मिलने वाला है नहीं इस अवसर को मैं खोने वाला नहीं हूं सवेरा

1:56:56हुआ और सबसे पहले दौड़कर गए कहां गए निषाद राजग के पास जाकर बोले महाराज हम आपसे

1:57:04प्रार्थना करने आए हैं हमारे मन में भाव जगा है कि हम ही राम जी को अपनी नाव पर

1:57:10बिठाकर गंगा के उस पार पहुंचा रहे हैं मेरी प्रार्थना है आप नगर में डुगडुगी

1:57:16बजवा दीजिए कि मुझे छोड़कर कोई भी नाविक आज गंगा किनारे नहीं जाएगा

1:57:23निषद राज को ने सवेरे सवेरे डुगडुगी बजवा दी केवड़ जी नाव को किनारे से खोले बीच

1:57:30नदी में ले जाकर खड़ा कर दिए सोचे किनारे यदि रखू आराम जी सीधे आकर

1:57:36चढ़ जाए नाव पर तब क्या होगा पहुच से आउट ऑफ रीच रखा जाए इनसे बीच नदी में नाव ले

1:57:43जाकर खड़ा किए भगवान लक्ष्मण जी सीता मैया के साथ गए

1:57:49साथ में निषाद राजग भी है अच्छा आपसे एक प्रश्न पूछ रहा

1:57:54हूं राम जी और लक्ष्मण जी में सेवक कौन

1:58:01है लक्ष्मण जी स्वामी कौन है राम जी स्वामी को यदि डुमरी गांव से

1:58:10मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन जाना हो तो गाड़ी की व्यवस्था सेवक करेगा कि स्वामी जी

1:58:17करेंगे कहिए सेवक करेंगे सुबह हमको दरभंगा जाना था तो गाड़ी

1:58:24की व्यवस्था मदन जी की य सेवक नहीं है यजमान है लेकिन एक बात कह रहे है गाड़ी की

1:58:29व्यवस्था किए थे ना अब परसों एयरपोर्ट जाना है तो गाड़ी की व्यवस्था हो जाएगी ना चला गाड़ी का पक्का टेंशन

1:58:38खत्म गवाही करवा लिया तो राम जी स्वामी है लक्ष्मण जी सेवक

1:58:45हैं तो नाव किसको मांगना चाहिए राम जी को कि लक्ष्मण जी को

1:58:52बाबू किसको लक्ष्मण जी को देखिए बच्चे बोले लक्ष्मण जी

1:58:58[प्रशंसा] को बच्चे बड़ लोग से बच्चे ध्यान से सुन

1:59:04रहे हैं ज हमारी टीम में पंडित जी सबसे ध्यान से सुनते

1:59:12हैं इसीलिए तो बजा है आप बुझात बता

1:59:20दिए लक्ष्मण जी को नाव मांगनी चाहिए क्योंकि सेवक है सेवक व्यवस्था करता है स्वामी कैसे

1:59:27जाते हैं लेकिन आज राम जी ने लक्ष्मण जी से कहा कि आज आप नाव नहीं मांगेंगे मैं

1:59:33मांगूंगा क्यों राम जी जानते हैं कि आज केवड़ जी

1:59:39नाव लाने वाले नहीं है राम जी अपने भाई साहब को भी जानते हैं

1:59:45कि इनको ना सुनने की आदत नहीं है यदि यह नाव मांगने गए अके देव जी बोल दिए नहीं

1:59:53लाऊंगा तो तुरंत बाण निकाल के मार देंगे भगत मारा जाएगा भगत को बचाना है आज

2:00:00इसलिए राम जी ने लक्ष्मण जी से कहा कि भाई साहब आप पहले मैनेजमेंट का कोर्स

2:00:07करिए बीबीए करिए एमबीए करिए आप सीखिए मैनेजमेंट कैसे किया जा जाता है लक्ष्मण

2:00:15जी बोले ठीक है प्रभु राम जी बोले मैं मांग के दिखाता हूं कैसे व्यवस्था की जाती है राम जी किनारे जाकर केवड़ जी से मांगी

2:00:28नाव न केवट आना कई

2:00:37तुम्हारा मरम में जाना मांगी

2:00:45नाम न केवट आ [संगीत] [प्रशंसा]

2:00:52[संगीत] तुम्हारा सब जानता हूं प्रभु मैं

2:00:59जाना चरण कमल रज कह सब

2:01:07कहाई मानुस करनी मूर्ख

2:01:16छुआई चरण कमल रज

2:01:22सब कई मानुस

2:01:28करनी मूर्ख छुई छुत

2:01:35शिला भई नारी

2:01:41सुहाई पाहन तेना काठ कठिनाई

2:01:52शिला भई नारी

2:01:58सुहाई पाहन [प्रशंसा] तेना काट

2:02:06कठिनाई तरनी उ मुनी घरनी होई

2:02:15जाई बाट परई मोरी नाव उड़ा

2:02:24नी मुनि रनी होई

2:02:31जाई बाट परई मोरी नाव

2:02:39उड़ाई ए प्रति पाल सब

2:02:48परिवार नहीं जान कछु और

2:02:56कबार तेरी [संगीत] प्रतिपाल सब

2:03:03[संगीत] परिवार नहीं जाना कछु और

2:03:12कवा जो प्रभु पारा अवश का चाहा हो

2:03:22प्रभु पार अवस का

2:03:28जहा जो प्रभु पार अवस गा

2:03:36सह मोहि पद पदुम पखार न

2:03:43कहहु जो [संगीत] प्रकार अव सगा चह

2:03:52मोहि पद पदु पखन कह हो मोहि पद पदो मा पखार न कह हो

2:04:07मोई पद पदो पारण

2:04:13[प्रशंसा] करह भगवान ने केवल एक वाक्य कहा केवड़ जी

2:04:20नाव ले आएंगे मांगी

2:04:25नाव बस इतने केवट जी नाव ले आएंगे आप यहां पर केवट जी बोले नहीं

2:04:33लाऊंगा साफ बोले नहीं लाऊंगा ना केवट आना बोले हम आपका मरम जानते हैं इसलिए नाव

2:04:40नहीं लाएंगे क्या जानते हैं क्या जानते

2:04:45हैं साफ मना कर दिए हो अरे मरम तोर जानी

2:04:53हे रघुरैया मरम तोर जा

2:04:59निला हे रघुरैया गोडावा के धुरिया में जदुआ भरल बाटे गड़वा

2:05:11के धुरिया में जदुआ भरल बाटे मरम तोर नीला

2:05:22हे रघुरैया मरम तोर जा निला हे रघुरैया

2:05:31केवड़ जी बोले मैं आपका मरम जानता हूं इसलिए नाव लेकर नहीं

2:05:38आऊंगा यह वाक्य सुनते लक्ष्मण जी भगवान का मुख देखे कहे प्रभु क्षमा करिएगा नाथ जन्म

2:05:46से आपके साथ मैं लगा हूं आज तक मैं आपका मर्म नहीं जान पाया

2:05:52आपका मरम ब्रह्मा विष्णु महेश नहीं जान पाए और यह केवट कहते हैं कि आपका मरम जान

2:05:59गए राम जी बोले लक्ष्मण भैया से आप ही पूछो कौन सा मरम जान

2:06:05गए लक्ष्मण जी बोले कौन सा मरम जान गए आप केवड़ जी बोले यही जान गया कि राम जी कौन

2:06:12है क्या जान गए मैं जानता हूं राम जी कौन है और यह भी जानता हूं कि राम जी यहां पर

2:06:19क्यों आए हैं यह दोनों मरम जान गया हूं मैं क्या जान गए हैं केवड़ जी बोले वही जो

2:06:25आप नहीं जान पाए हैं वह जान गया हूं लक्ष्मण भया बोले पढ़ाइए मत साफ साफ

2:06:32बोलिए आप क्या जान गए हैं केवड़ जी बोले प्रभु मैं जानता हूं आप

2:06:37कौन है कैसे जानता हूं देखिए नाव चलाना हमारा

2:06:43खानदानी पेशा है बाबा चलाए बाबा के बाद बाबू जी चलाए बाबू जी के बाद हम चला रहे

2:06:50हैं हमारे बाद हम लड़का ना वही चलाएंगे हम दूसर कोई काम धंधा नहीं जानते हैं नित्य

2:06:57यहां पर सैकड़ों लोग गंगा आर पार होने आते हैं सब आकर नाव मांगते हैं लेकिन जैसे आज

2:07:04आपने नाव मांगा है प्रभु आज तक ऐसे किसी ने नाव नहीं मांगी भगवान ने पूछा क्या

2:07:11विशेषता है केवड़ जी बोले प्रभु आज तक जो भी आया आदेश देता

2:07:17था केवट नाव लेकर सामने आओ यहां पर य आदेश देता था आज पहली बार कोई आया है जिसने

2:07:26आदेश नहीं दिया है जिसने नाव के लिए निवेदन किया है और यह आप ही कर सकते

2:07:32[संगीत] हैं आप किसी वस्तु को लाने का आदेश तब

2:07:38देते हैं जब आपको लगता है वह वस्तु आपकी [संगीत] है आप अपने ड्राइवर को आदेश देंगे गाड़ी

2:07:46दरवाजे पर लेकर आओ लेकिन आप जब जानते सामने वाली वस्तु

2:07:52हमारी नहीं है सामने वाली वस्तु सामने वाली की है तो आप आदेश नहीं देंगे निवेदन

2:07:57करेंगे भाई साहब क्या आप अपनी गाड़ी आज लेकर के आ सकते हैं यह निवेदन हुआ केवड़

2:08:05जी बोले प्रभु जो भी आता था नौकर बनाने में लगा हुआ था आज पहली बार कोई आया है जो

2:08:12इस नाव का मुझे मालिक बनाने आया है और सामने वाले को बड़ा बनाना यह भगवान को

2:08:18छोड़कर दूसरा कोई नहीं कर सकता य जानता हूं आप कौन है और क्यों आए हैं यह भी

2:08:25जानता हूं प्रभु लक्ष्मण जी से बोले केवर जी आज ये यह पार करने के लिए नहीं आए हैं

2:08:32नदी लक्ष्मण जी बोले क्या करने आए हैं केवट जी बोले पार करने आए

2:08:38हैं लक्ष्मण भैया बोले कहना क्या चाहते

2:08:44हो केवट भैया बोले प्रभु आप वही है जिन्होंने

2:08:51तीन पग के भीतर दो पग में ही तीन लोक च भुवन नाप दिया था बलि के

2:08:59समय दो पग में जही जग किय पग थोरा सोई

2:09:04कृपाल केवट ही निहोरा जिसने दो पग में पूरी सृष्टि नाप

2:09:10दी वह भगवान आज एक नदी को पार करने के लिए नाव मांगेंगे आज प्रभु आप इस नदी और नाव को

2:09:18माध्यम बना कर के इस केवट को चरणामृत पान कराने के लिए आए हैं यह मरम मैं जानता

2:09:27हूं इसी मिथिला क्षेत्र के बड़े अद्भुत संत हुए प्रात स्मरणीय परम पूज्य श्री

2:09:33बांके बिहारी झा करील जी महाराज उनकी रचना है वो कहते हैं केवड़

2:09:40भैया कहते प्रभु हम नाही

2:09:45नियारा नियरा बुझाता नियरा माने

2:09:52गो स्वामी जी अंग्रेजी लिखे देखिए नियर मने नजदीक होता है हम नाही ही

2:10:00नियरा हम नाही नियरा लाई ब आपन नया हो की डर

2:10:11लागला बड़ा डर लागला रोरी घोड़ा वाक्य

2:10:19धुरिया से रला केला बड़ा डर ला केला रोरी

2:10:27घोड़ा वा के धुरिया से डर

2:10:33लागला बड़ा डर लागला हम नाही

2:10:41नियारा हम नाही नियारा लाई ब आपन नैया हो के डर लाग

2:10:51केला बड़ा डर लगला रोरी घोड़ा वाक

2:10:59धरिया से डर लागला बड़ा र

2:11:07लागला घोड़ा वा के धूरिया से डर

2:11:13लागला बड़ा र लग मैं जानता हूं पत्थर के

2:11:20ती या पत्थर के तिरिया बननी रवा राजा जी सब

2:11:31कहेला हुई सब कहेला तल कड़ी केनैया हा से डर

2:11:42लागेला बड़ा डर लाग

2:11:48तलकड़ कनहैया हो डर लागला बड़ा डर लागला हम नाही

2:11:59नियारा हम नाही नियरा लाइव आपन नैया हो की

2:12:07डर लागला बड़ा डर

2:12:12लागला रोरी घोड़ा के धुरिया से डल लागेला

2:12:21डर लागला रोरी घोड़ा के धूरिया से

2:12:30लागेला बड़ डर लागेला बड़ डर

2:12:37लागेला बड़ा र लागला

2:12:44[संगीत] [प्रशंसा]

2:12:51क्या बोले केवड़ जी अरे रौरी गोड़वा के

2:12:57धुरिया से डर लागेला बड़ा

2:13:04डर लागेला केवड़ जी कहते प्रभु मैंने आपके

2:13:10विषय में कुछ सुन रखा है चरण कमल रज कह सब

2:13:18कहे सब आपके पाव के के रज के बारे में कुछ कहते हैं राम जी बोले क्या कहते हैं मानुस

2:13:27करनी मोरी कछु आई आपके पांव में कोई जड़ीबूटी में जादू

2:13:35है क्या जादू है मनुष्य बना देती है प्रभु मैंने यह भी सुना है लोग प्रमाण भी

2:13:43देते हैं छुत शिला भई नारी सुहाई मिथिला

2:13:48जाते समय रास्ते में आपने किसी पाव रखा था ना लक्ष्मण जी बोले हल्के में मत लो भैया

2:13:55को हमारे सामने रखा था पांव रखते पत्थर स्त्री में बदल

2:14:04गया केवड़ जी बोले हल्के में नहीं भारी में ले रहे हैं इसी बात का जो डर है यदि

2:14:10पत्थर स्त्री में परिवर्तित हो सकता है आप बताइए लकड़ी के नाव को स्त्री बनने में

2:14:17कितना टाइम लगेगा पत्थर क होता है कि

2:14:22लकड़ी जोर से कहिए पत्थर लक्ष्मण जी बोले पत्थर केवड़ जी बोले जब कठोर पत्थर स्त्री

2:14:31में बदल सकता है तो य मुलायम मुलायम लकड़ी को स्त्री बनने में कितना टाइम लगेगा य ले तो एक तो

2:14:39नाव लकड़ी की ऊपर से दिन रात पानी में रहती है तो मेरी नाव पानी पी प के नाव की

2:14:45लकड़ी और मुलायम हो गई है और प्रभु एक आपसे बात कहे

2:14:52हमार 12 लड़िका है अभी सब छोट छोट है अभी बढ नहीं हुआ है कोई और इसी नाव के भरोसे

2:15:01पूरा परिवार को भोजन मिलता है प्रभु यदि मेरी नाव स्त्री बन गई तो हमारे घर के

2:15:07लड़का सब भूखों मरी जाएंगे प्रभु इसलिए हम आपसे निवेदन करते हैं पहले पांव धुलवा

2:15:13लीजिए वो जड़ीबूटी निकाल कर के बाहर कर देता हूं पांव से फिर नाव पर बैठिए जहां

2:15:18बोलिएगा व जा पहुंचा देंगे लक्ष्मण जी बोले भैया आपने पहली बार

2:15:25मैनेजमेंट संभाली फेल मना कर दिया नहीं

2:15:31लाऊंगा मैं मांगा होता मना करते तो बता दिया होता अब

2:15:36तक राम जी बोले इसीलिए आपको नहीं मांगने दिया मैं कि आप बता दिए

2:15:44होते अरे य मना कर रहे तो क्या हुआ भगत है मेरे लक्ष्मण भैया बोले मतलब जो जो आपका

2:15:52बात ना माने सब आपके भगत राम जी बोले और कौन मेरी बात नहीं मान

2:15:58रहा है लक्ष्मण जी बोले पीछे देखिए सुमंत जी को कहे थे कि रथ पर ले रथ लेकर के वापस

2:16:05अयोध्या जाइए देखिए पेड़ के नीचे खड़े हैं जाकर गए नहीं है वापस जाकर खड़े हो गए

2:16:11हैं उनको आप कही रहे चले जाओ उजा नहीं रहे हैं इन भाई साहब से कही रहे हैं आ जाओ य आ

2:16:18नहीं रहे हैं आप जिससे जो काम कहते सब उसका उल्टा करते हैं राम जी बोले यह बताइए

2:16:26अयोध्या से चलते समय भाई साहब आपको मना किया था मत चलिए कहे थे ना मत चलिए आप माने

2:16:36थे सीता जी से कहा था कि मत चले यह मानी थी घर से निकलते समय जब आप दोनों मेरी बात

2:16:42नहीं माने मैं समझ गया था कि आज जो जो मिलेगा कोई मेरी बात मानने वाला नहीं है

2:16:49आप लोगों ने मेरी बहनी बिगा [प्रशंसा]

2:16:54केवड़ जी कहते प्रभु पांव धुलवा लो भगवान कुछ बोल नहीं रहे केवड़ जी से लक्ष्मण जी

2:17:00बोले भैया केवड़ जी आप जो उदाहरण दे रहे हैं पत्थर पर पांव रखे पत्थर स्त्री में

2:17:06बदल गया वह घटना केवल एक बार घटी है उसके बाद सैकड़ों पत्थर पर पांव रखे

2:17:13राम जी दूसरा पत्थर स्त्री में क्यों नहीं बदला केवट जी बोले देखि मैं जानता हूं कि

2:17:19सारे पत्थर नहीं बदलते लेकिन मैं आपसे पूछ रहा हूं कौन सा पत्थर

2:17:24बदल गया था जिस पत्थर को राम जी ने हाथ से इशारा किया

2:17:29था पूछा मुनि ही शिला प्रभु

2:17:36देखी गुरु जी वह पत्थर कौन सा है जिस पत्थर की ओर राम जी इशारा किए थे

2:17:44वह पत्थर बदल गया यहां किनारे सैकड़ों नाव खड़ी है यहां

2:17:49पर किनारे वाली नाव राम जी को नहीं दिखाई पड़ी अब बीच नदी में खड़ी मेरी नाव दिखाई

2:17:57पड़ गई आज मेरी नाव को भी राम जी ने इशारा करके बुलाया है ऐसे हाथ से इशारा किया है

2:18:04इसका मतलब इशारा हो गया है खतरा आज भी मडर नहीं लगा है मैं अपनी नाव को खोने वाला

2:18:12नहीं हूं पांव धुलवा लीजिए फिर आपको लेकर चलता

2:18:19हूं लक्ष्मण जी बोले प्रभु बहुत अजीब आदमी से पाला पड़ गया है कुछ सुनने को तैयार ही

2:18:26नहीं है केवड़ जी बोले हम सुनाने के लिए खड़े हैं यहां पर लक्ष्मण जी बोले क्या सुनाना है केवड़

2:18:33जी बोले प्रभु अरे पाता भरी

2:18:39सहरी सकल सूत वारे वारे पात भरी

2:18:48सहरी सकल सूत बार बार कि वट के जाती कछु

2:18:59बदना पढ़ाई हो केवट के जाते कछु

2:19:07वेदना पढ़ाई सब

2:19:13परिवार मेरो याही लागी राजा जो सब पर

2:19:21परिवार मेरो याही लागी राजा जो दना बत हीना कैसे

2:19:32दूसरी गढ़ाई हो दन

2:19:38बतन कैसे दूसरी कढाई [संगीत]

2:19:44गौतमा के घरनी जो तरनी रगी मोरी गौतम के

2:19:55भरनी जो तरनी करगी मोरी प्रभु सो निषद हुई के बाद

2:20:05ना बढ़ाई हो प्रभु सो निषद होई के बाद ना

2:20:14बढई हो तुलसी केई शरा

2:20:22रावर सो साची कहो तुलसी के

2:20:28राम रामरो सो साची बिना पग धोए नाथ नाव ना चढ़ाई हो

2:20:40बिना पग धोए नाथ नाव ना चढ़ाई हो बिना पग

2:20:49धोए नाथ नाव ना चढ़ाई हो बिना फग होए नाथ

2:21:00नाई हो केवड़ जी कहते प्रभु घर में भोजन नहीं

2:21:06है नाव चलेगी तो रात का भोजन जाएगा पात भरी सहरी सकल सुत बारे बारे सारे बच्चे

2:21:14छोटे छोटे हैं केवट की जात है हम वेद पुराण नहीं पढ़े हैं कि नाव चली तो

2:21:21सत्यनारायण भगवान की कथा बाच के पेट पाल लेंगे गरीब है पैसा नहीं है नाव चली जाएगी

2:21:29तो दूसरी नाव कहां से बनाएंगे प्रभु हम आपको एक बात

2:21:34बतावे हमने सुना है कि जो स्त्री बनती है वह ब्राह्मणी बनती है तो लक्ष्मण जी बोले

2:21:41इसमें टेंशन क्या है बो टेंशन एक है हम मल्लाह के मल्लाह रही जाएंगे हमारा

2:21:49नाव ब्राह्मण बन जाएगी आप बताइए आप उद्धार हमारा करने आए हैं कि

2:21:55हमरी नाव का करने आए हैं हमारी नाव प्रमोशन पाके नाव से ब्राह्मणी बन जाएगी

2:22:02हम मल्लाह के मल्लाह बन के टुकुर टुकुर देखते रहेंगे अब वो ब्राह्मणी बनेगी हम मल्लाह

2:22:10वो कहेगी हम तुम्हारे साथ नहीं रहेंगे अलग से घर बनाओ कपड़ा लाओ राशन लाओ बासन

2:22:17लाओ एक पत्नी जो पहले से घर में है ठीक से उसको भोजन तो करा ही नहीं पा रहा हूं

2:22:23प्रभु दूसरी को देकर क्यों झंझट में हमको डालना चाहते हैं नाथ पांव धुलवा लीजिए ये

2:22:30समस्या ही नहीं आएगी लक्ष्मण जी बोले अगर वह बवाल ना करे

2:22:36तो कोई झमेला ना करे कुछ ना कहे कि नहीं नहीं उसी घर में रह जाऊंगी कोई नया घर

2:22:42नहीं चाहिए तब केव जी बोले फिर पहल की से समस्या

2:22:48है ये बताइए दूसरी वाली को ले जाकर पहली वाली को क्या

2:22:54बताऊंगा क्या बोलूंगा कहां से आई है लक्ष्मण जी बोले बोल देना कि राम जी ने

2:23:00पांव रखा नाव पे और पांव के जादू से नाव स्त्री बन गई केवड़ जी बोले हमरी वाली से आपका कभी

2:23:08पाला तो पड़ा नहीं है आप तो बोल दिए कि कही देना कि राम जी

2:23:15के पांव से नाव स्त्री बन गई अब वो जैसे सुनेगी कहेगी झूठ मत बोलो नाव दूसरी शादी

2:23:21करके आए हो [संगीत] तुम यदि वह कहे कि नाव बेच के तुम शादी

2:23:28करके आए हो क्या समझाऊ उसको यह हमको समझाइए लक्ष्मण जी बोले तुम डेढ़ घंटा से

2:23:35राम जी को समझा रहे हो पत्नी को नहीं समझा सकते

2:23:41हो केवट हाथ जोड़ लिया कहा राम जी को समझाना सरल है

2:23:50[प्रशंसा] ने ढेर बुझाइल

2:23:56बा हम आगे कुछ बोले नहीं है अभी केवर जी बोले प्रभु समस्या से बाहर

2:24:03निकालिए पांव धुलवा इए फिर बिठा करके लेकर चलता हूं राम जी कुछ नहीं

2:24:09बोले केवड़ जी कहते प्रभु देखिए हम आप में कमी नहीं निकाल रहे हैं अरे रावर दो सन

2:24:16पायन को पग धूरी को प्रभाव महा है रावर

2:24:23दोष ना पायन को पग भुरी को भूरी प्रभाव

2:24:28महान पाहन ते बन बाहन काठ कु कोमल है जल

2:24:35खाई रहा है पाहन ते बन बाहन काठ को

2:24:41कोमल जल खाई रहा है पावन पाय पखारी के नाव

2:24:47हो पावन पाय पखारी के चढ़ाई हो आयस होत कहा तुलसी सुनी केवट के

2:24:57बसे प्रभु जान की रहा तुलसी सुनी केवट के

2:25:03बर बसे प्रभु जान की र तुलसी सुनी केवट

2:25:09केवर पर मते प्रभु जान की र तुलसी सुन के

2:25:15बच के ब हसे प्रभु जान की ओर हा

2:25:21केवट भैया बोले ना आपका दोष ना आपके पांव का दोष सारा दोष पांव के धूल का

2:25:28है पत्थर से कोमल है मेरी नाव कोमल है जल खाई रहा है मैं कहता हूं पांव पखार कर जब

2:25:36तक नाव में नहीं बिठाऊ तब तक आपको नाव में स्पर्श करने

2:25:41नहीं दूंगा जब तक आप पांव पखने के लिए नहीं कहेंगे कहिए पांव धो लू राम जी फिर

2:25:48कुछ नहीं बोले केवट जी बोले भाई ऐन पैसेंजर से तो आज तक कभी पाला ही नहीं पड़ा था एक बार बोलकर

2:25:56मौन साधन कर लिए अरे नहीं धुलवा है यह भी बोलिए नहीं धुलवा है तो मेरे पास सेकंड

2:26:03ऑप्शन भी है लक्ष्मण बोले सेकंड ऑप्शन का है बोले

2:26:09अरे लजा लजा समझ रहे हैं हेलज

2:26:16मने भोजपुरी के शब्द है जा माने पार हो जा लान

2:26:23मतलब लान कहते पार होने लायक पानी को लान कते अरे लान बा हो पाल

2:26:30जा केव जी कहते हैं अरे हिल जा हिल जा मली

2:26:37का बाहे लान भरिए ही घाट से थोड़ी के दूर है कटलो जल

2:26:48थाह दिखाई हो थोड़ा दूर आगे चलने पर नदी के किनारे

2:26:54किनारे गंगा के केवल कमर भर पानी है नाव की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी आगे आगे मैं

2:27:01थाह दिखाऊंगा लाठी लेकर चलूंगा पीछे पीछे आप तीनों पैदल आइएगा पैदल हिला

2:27:10दे पैदल ही पार लक्ष्मण जी बोले बहुत सुंदर पहले कही

2:27:16नहीं बताए थे ले चलिए केवड़ जी बोले रात में

2:27:22लक्ष्मण जी बोले रात में मतलब अभी सुबह का ठ बज रहा है रात में मतलब केवड़ जी बोले

2:27:29मैं मूर्ख थोड़ी हूं सुबह सुबह आप लोग को ले जाकर पैदल पार करा दूं और यह बात यदि

2:27:35मार्केट में लीक हो गई कि वहां पर पानी कम है वहां से पैदल ही पार हो सकते हैं तो

2:27:41बताइए कौन पैसेंजर हमरी नाव पर बैठने

2:27:47आएगा जो आएगा पैदल पार हो जाएगा हम अपने हाथ अपनी रोजी रोटी पर प्रहार कर ले इसलिए

2:27:54यदि पांव नहीं धुलवा है तो दिन भर वेट करिए हम रात के अंधेरे में ले चलेंगे

2:27:59चुपके से आपको बिठा करके हिला देंगे लक्ष्मण जी बोले वेट नहीं कर सकते लेट हो

2:28:05रहा है तो नहीं वेट कर सकते तो पाव धुलवा

2:28:10लीजिए हम कहां मना कर रहे हैं अभी पार करा दूंगा पांव धुलवा लीजिए लक्ष्मण जी भगवान का मुह देखे भगवान

2:28:18कुछ नहीं बोले केवड़ जी बोले बोलने में कोई कष्ट है आपको

2:28:24तो इशारा करिए हम इशारा भी खूब बढ़िया समझते हैं लक्ष्मण जी बोले क्या इशारा कर

2:28:31दे केव जी बोले जो सिर है ना दोही बार

2:28:36बस बात छोटी है सिर

2:28:42को हिला दीजिए बात छोटी है सिर को

2:28:50हिला दीजिए बात छोटी है सिर को हिला

2:28:59दीजिए बात छोटी है सिर को हिला

2:29:07दीजिए पाव अपना पाव

2:29:14अपना पाव अपना प्रभु जी धुला

2:29:21लीजिए पाव अपना प्रभु जी धुला

2:29:27लीजिए बात छोटी है सिर को हिला

2:29:34दीजिए बात छोटी है सिर को हिला

2:29:40[संगीत] [प्रशंसा] दीजिए मेरी बोली पर ना जाइए हम है अनपढ़

2:29:50कोई भूल हो ही गई हम है अनपढ़ कोई भूल

2:29:58होही गई हम है अनपढ़ कोई भूल होही गई हम

2:30:07है अनपढ़ कोई भूल होही

2:30:14गई आप मालिक है आप मा मालिक है हां आप

2:30:23मालिक है सब कुछ भुला दीजिए आप मालिक है सब कुछ बुला

2:30:33दीजिए बात छोटी है सिर को हिला

2:30:39दीजिए बात छोटी है सिर को हिला दीजिए

2:30:47[संगीत]

2:30:55लक्ष्मण जी बोले भैया बहुत टाइम बीत गया केवड़ जी आप काम करिए आप नाव लेकर

2:31:00जाइए हम आपके नाव पर नहीं जाएंगे हम दूसरे नाव पर बैठ के जाएंगे बोले दूसरे नाव पर बुला

2:31:06लीजिए नाविक एसोसिएशन का प्रेसिडेंट हूं यहां पर बुला लीजिए कोई दूसरा नाव वाला आ

2:31:13गया तो नाम बदल लूंगा अपना बुला लीजिए गैर मल्ला आए गा हरगिज नहीं गैर

2:31:24मुल्ला आएगा हरगिज नहीं गैर

2:31:30मल्लाह आएगा हरगिज नहीं गैर

2:31:36मल्लाह आएगा हरगिज नहीं नाम

2:31:44लेकर नाम लेकर हा नाम लेकर किसी को बुला

2:31:52लीजिए नाम लेकर किसी को बुला लीजिए बात

2:32:00छोटी है सिर को हिला दीजिए बात छोटी है

2:32:07सिर को हिला

2:32:12दीजिए लक्ष्मण जी बोले भैया समझ में नहीं आ रहा क्या किया जाए बोले समझिए मत धुलवा

2:32:19इए चाहत दोनों की है देर किस बात की चाहत

2:32:27दोनों की है देर किस बात की चाह दोनों की

2:32:34है देर किस बात की चाह दोनों की है फिर

2:32:41किस बात की शीघ्र ही

2:32:47कुछ शीघ्र ही कुछ हा शीघ्र ही कुछ ना कुछ

2:32:53फैसला कीजिए शीघ्र ही कुछ ना कुछ फैसला

2:33:00कीजिए बात छोटी है सिर को हिला दीजिए बात

2:33:07छोटी है सिर को हिला दीजिए पाव अपना प्रभु

2:33:14जी धुला लीजिए पाव अपना प्रभु जी धुला

2:33:21लीजिए पाव अपना प्रभु जी धुला लीजिए पाव

2:33:27अपना प्रभु जी धुला [संगीत]

2:33:34लीजिए बात छोटी है सिर

2:33:41को हिला दज केवड़ जी ने अनेक प्रकार से निवेदन

2:33:48किया प्रभु पांव धुलवा लीजिए भगवान कुछ नहीं

2:33:54बोले केव जी कहते प्रभु मेरे पास कोई साधन नहीं

2:33:59है इसी नाव के भरो से परिवार का पोषण होता है हम दूसरा कोई काम भी नहीं जानते कि नाव

2:34:07चली भी जाएगी तो दूसरे कार्य से परिवार का पोषण कर लेंगे यदि आप सत्य में प्रभु उस

2:34:14पार जाना चाहते हैं तो आप मुझसे कहिए एक बार कि केवट हमारा पांव धोकर हमको उस पार

2:34:19उता दीजिए प्रभु यदि आप जाना चाहते तो कहिए

2:34:24हमसे भगवान फिर भी कुछ नहीं बोल रहे हैं केवड़ जी परेशान कि आखिर राम जी बोल क्यों

2:34:32नहीं रहे हैं तब तक राम केवट भैया की दृष्टि भगवान

2:34:37के वस्त्र पर गई बलक वस्त्र केवट जी ऐसे सिर पकड़ लिए बोले अब बात समझ में आई कि

2:34:44राम जी बोल क्यों नहीं रहे हैं लक्ष्मण जी बोले क्या समझ लिए केवड़ भ बोले कि राम जी

2:34:51जो पहने है ना कपड़ा इसमें कहीं कोई जेब नहीं बना है कोई पॉकेट नहीं है अ जेब नहीं

2:34:59है इसका मतलब कि मेरे जैसे ही राम जी भी आज एकदम ठन ठने गोपाल है कुछ है नहीं इनके

2:35:07पास अब मैंने अपनी इतनी गरीबी सुनाई है इनको कि नाव चलेगी तो घर में भोजन जाएगा

2:35:14इनके पास देने के लिए कुछ है नहीं इसी संकोच में आप नहीं बोल रहे हैं ना प्रभु

2:35:21भगवान मुस्कुराए केवड़ जी कहते संकोच से मुक्त करता

2:35:26हूं पांव धो उा आपका नाव पर

2:35:32बिठाऊ गंगा के पार पहुंचा ंगा सौगंध लेकर कहता हूं रघुनाथ

2:35:40जी कुछ मांगूंगा नहीं आपसे ऐसे ही पार उतार करके आपको चला आऊंगा

2:35:47कुछ नहीं मांगूंगा कि हमको यह सामान चाहिए पद

2:35:53कमल धोई चढ़ाई

2:35:59नाव न नाथ

2:36:05उतराई च हो पद कमल

2:36:11धोई चढ़

2:36:18नाथ राई च हो मोहि

2:36:25राम रा आन

2:36:31दशरथ सपथ सब

2:36:36साची कहो मोही राम

2:36:45राम सपत स साची

2:36:52कहो बरु तीर मा रहु

2:36:58लखन प जब लगी न

2:37:03पाया पखार हो बरु तीर

2:37:11मार ख जब लगी न

2:37:17पाय प हो तब

2:37:23लगीन तुलसी दास ना

2:37:29कृपाल पार उतारी हो तब

2:37:35लगन तुर कासना

2:37:41कृपाल प उतार सब लग

2:37:50तब लगी तुल तब लगी न

2:37:55[संगीत]

2:38:01तुल कृपाल पार

2:38:09उतारी हो केवट जी बोले प्रभु पाव

2:38:14पखार नाव पर बिठाऊ गंगा के पार पहुंचा हंगा

2:38:20सौगंध खाकर कहता हूं कुछ नहीं मांगूंगा ऐसे ही उतार के चला आऊंगा आपको विश्वास ना

2:38:26हो मेरी बात पर तो मैं आपकी सौगंध दिखाता हूं राम जी और आपके पूज्य बाबू जी की

2:38:32सौगंध दिखाता हूं कुछ नहीं मांगूंगा केवड़ जी ने जैसे रघुनाथ जी की

2:38:38और श्री चक्रवर्ती जी की सौगंध उठाई लक्ष्मण जी की भुजाएं तन गई निकाल लिए बाण धन उस पर चढ़ा खच लिए मार

2:38:47दूंगा इसकी हिम्मत कैसे हुई पिताजी और भैया की सौगंध लेने की केवल जी मुस्कुरा कर बोले लक्ष्मण जी

2:38:56मरने से नहीं डरता मैं आई हैव डन माय वर्क इस जन्म का सारा

2:39:04काम हो गया अरे राम जी दिखाई पड़ गए तो अब क्या बचा हो करने के लिए सब पूरा हो

2:39:11गया मैंने सुना है कि मरते समय आपके भैया का नाम आ जाए तो जीव मुक्त होता है आप

2:39:19केवट का सौभाग्य देखिए आप बाण चलाएंगे केवट मरेगा मेरे मरते समय मेरे मुख में

2:39:26राम का नाम ही नहीं आंखों के सामने भी राम खड़े रहेंगे ऐसी मृत्यु किसी को नहीं

2:39:32मिलेगी संसार में तुरंत [प्रशंसा] [संगीत] मारिए और आपसे बताऊं मैंने सुना है कि

2:39:41गंगा जल डाला जाता है ना जैसे आप बाण मारेंगे बाण लगते गंगाजल छोड़िए गंगे जी

2:39:47में कदू लड़का तो बहुत दूर है वो कहां से आएगा पिलाने के लिए बाण लगते गंगे जी में कूद

2:39:55जाऊंगा और एक दो बूंद नहीं तब तक पिऊंगा जबले मरी ना जाऊं मैं

2:40:02मरूंगा प्रभु उदार है कम से कम मेरी अंतिम क्रिया तक तो राम जी रुकेंगे ही यहां पर

2:40:09आप सोचिए ना क्या दृश्य होगा एक तरफ गंगा रहेगी एक तरफ राम रहेंगे और दोनों के बीच

2:40:16में इस केवट की चिता सजाई जाएगी कोई संसार में ऐसी मृत्यु नहीं प्राप्त कर सकता

2:40:22तुरंत मारिए लक्ष्मण जी मैं तैयार हूं मरने के लिए चलाइए बाण लक्ष्मण जी सोचे इतना ज्ञान है इसको

2:40:30यह मारने लायक नहीं है हो लक्ष्मण भैया मुस्कुराए और अपना बाण पीछे रख लिए केवड़

2:40:36जी बोले प्रभु लक्ष्मण जी भले बाण मार दे जब तक पांव नहीं धगा तब तक तब

2:40:45लगी न तुलसी [संगीत]

2:40:51दास नाथ कृपाल

2:40:58पार उतार हो तब

2:41:05लही तुलसी

2:41:10द सुन केवट के बैन

2:41:19प्रेम लपेटे [प्रशंसा]

2:41:26अटपटे बिह से

2:41:33[संगीत] करुणा चितई जान की

2:41:41लखन तन केवड़ जी की इस प्रेम भरी प्रेम में

2:41:47अटपटी लिपटी हुई वाणी को सुन भगवान बहस पड़े और आपको निवेदन करूं भगवान

2:41:55मुस्कुराते तो हर समय है लेकिन बहस हर समय नहीं

2:42:00है भगवान कब बहस हैं जब सामने वाले के भीतर रघुनाथ जी को अलौकिक प्रेम का दर्शन

2:42:08प्राप्त होता है तब जाकर भगवान बहस पड़ते

2:42:14हैं जब भगवान का कोई अति प्रिय दिखाई पड़ जाता है तो भगवान बहस पड़ते हैं

2:42:20आपका जब कोई प्रेमी मिल जाए तो आप कितना हंसते हैं हो उसी प्रकार जब भगवान से उनका

2:42:25कोई प्रेमी मिलता है तो भगवान बहस पड़ते हैं और रघुनाथ जी आज केवट भैया के सामने

2:42:31बहस पड़े अटपटी बात सुनकर बहस पड़े लक्ष्मण भैया और जानकी मैया की राम

2:42:39जी देखे और कृपा के सिंधु रघुनाथ जी ने आज केवट जी के ऊपर कृपा कर

2:42:47दी कृपा करके भगवान बोले केवल जी विलंब हो रहा है आप वही करिए जिससे आपकी नाव बच जाए

2:42:56क्या बोले प्रभु बाबा कहते कृपा सिंधु

2:43:02बोले मुसुका कृपा सिंधु

2:43:10भोले मुसुका सोई करु जही अवना

2:43:19वन जाए सोई करू ही

2:43:27ना न जाए बेगी

2:43:32आनु जल पाय पठार बगी

2:43:40आ जल पाय पखार होत बिलब

2:43:50उतार ही पार होत

2:43:56बिलब उता रही पार होत

2:44:03बल उही पारो होत

2:44:10बिल उता [प्रशंसा] रही भगवान ने कहा कि केवल जी वही करिए

2:44:18जिससे आपकी बच जाए शीघ्र जाइए जल लाइए जल लाकर मेरा पांव पखार तुरंत नाव में बिठा

2:44:25कर के उस पार पहुंचाए बहुत विलंब हो रहा है होत विलंब उतार

2:44:34पार केवड़ जी हाथ जोड़कर बोले प्रभु एक और बात आपसे बोलनी थी राम जी

2:44:42बोले कहिए केवड़ जी बोले प्रभु एक दो बार हम भी सत्संग किए हैं गंगा जी किनारे एक

2:44:49महात्मा जी आए थे तो महात्मा जी कह रहे थे कि प्रभु कोई भी बढ़िया काम करना चाहिए ना

2:44:55तो अकेले नहीं करना चाहिए पत्नी को बच्चों को लेकर पूरे परिवार के साथ मिलकर करना

2:45:01चाहिए हमारे जीवन में इससे बढ़िया कोई काम नहीं दूसरा कभी आएगा प्रभु कि हम आपका

2:45:07पांव पखारे इसलिए यदि आज्ञा हो तो आपन लड़िका मेहरारू को बुला कर के घर से ले

2:45:14आवे लक्ष्मण जी बोले भैया बिल्कुल हा मत बोलिएगा तीन घंटे से खड़ा करके रखा है

2:45:20यहां पर क्या पता जाएगा तो आएगा भी कि नहीं आएगा इसका घर कितना दूर होगा कौन

2:45:27जाने केवड़ जी बोले बस गया और आया भगवान बोले ज्यादा समय नहीं लगेगा ना

2:45:34केवड़ जी बोले प्रभु यहीं से चिल्लाना शुरू कर दूंगा घर के बच्चों को एकदम यहीं से नाम लेते दौडा लेकर के आ जाऊंगा भगवान

2:45:42ने कहा ठीक है जाओ गोस्वामी जी कवितावली जी में कहते हैं केवड़ भैया अरे प्रभु रुख

2:45:48पाई भगवान का रुख पाए दौड़े अरे बुलाई बालक

2:45:57घर उसी बांध पर से चिलाने लगे पंकज धीराज

2:46:02मनोज सुरेश अरविन अकोल [प्रशंसा]

2:46:09भल बच्चों को बुलाने लगे पत्नी को बुलाए सब रास्ते में मिले उधर से केवर जी दौड़े

2:46:16इधर से परिवार दौड़ा खेत में सब मिल गए पत्नी पूछी क्या हुआ हो बो पूछो मत सीधे

2:46:23घाट पर जाओ बच्चों को लेकर के जाओ दोई पुरुष है एक सांवले हैं एक गोरे हैं गोरके

2:46:30के पास मत जाना हर बात में बाण निकाल के रखता है व सांवले वाले तो बोलते ही नहीं है जाना

2:46:39उनको प्रणाम करके चारों ओर से घेर करके बैठ जाना पत्नी बोली प्रणाम तो ठीक है घेरना

2:46:47क्यों है केवड़ जी बोली तीन घंटे से खड़ा करके रखा हूं और डेढ़ दो घंटा भी और करना

2:46:54है खड़ा उनको खुले रहेंगे तो भाग लेंगे घेर के बैठ जाओ केवड़ जी का परिवार आया

2:47:00बंदी के चरण अचा देसी बैठ

2:47:09री पूरा परिवार बच्चे पत्नी भगवान को प्रणाम करके चारों ओर से घेर करके बैठ

2:47:16गए लक्ष्मण भैया म मन और धुलवा इए पांव घेराबंदी शुरू हो गया पूछे केवड़ जी

2:47:25के बच्चों से बाबू जी कहां गए तो तुम लोग को बुलाने गए तुम आ गए बाबू जी

2:47:31कहां चले गए लड़का बोले हम का जानी केवड़ जीग दौड़े घर में घर में जाकर सोचने लगे

2:47:38क्या लेकर चलू बर्तन पांव धोने के लिए एक छोटा सा कठौता दिखाई पड़ा सोचे कठौता

2:47:45बढ़िया है पुलिंग है कठौती स्त्रीलिंग है

2:47:50यदि जड़ीबूटी का असर हो गया कठौती लेकर चलूंगा स्त्री बन जाएगी अ कठौता पुलिंग हो

2:47:57सकता लड़िका बन जाए कठौता लड़का बन जाएगा तो बहुत बढ़िया हो जाएगा उसी लड़के से दिन

2:48:03भर नाव चलवा हंगा और शाम को हिसाब लिया करूंगा अरे छोटो सो

2:48:09कठौता भरी आनी पानी गंगा जू को

2:48:19धोई पाय पियत पुनीत

2:48:25बार फेरी केवड़ जी जैसे छोटे कठौ में गंगा जल

2:48:32लेकर पहुंचे राम जी के पास कठौता का साइज देखते लक्ष्मण जी आग बबूला हो गए बोले

2:48:39भैया जानबूझ के छोटा लाया है य लक्ष्मण जी बोले छोटा आदमी का सब सामान

2:48:45छोटा होता है आपको छोटा दिखा दे रहा है हमारी आंख से देखिएगा तो यही आपको बड़का

2:48:52दिखाई पड़ेगा राम जी लक्ष्मण जी बोले इसमें तो एक ही पांव आएगा लक्ष्मण केवड़ जी बोले

2:48:59कोई बात नहीं मैं बारी बारी से धो लूंगा भगवान का दाहिना पांव धोए पूरा पानी

2:49:05पी गए कहे प्रभु बाया बाकी है अभी फिर पानी लाए बाया धोए और धोने के बाद बैठ गए

2:49:12पांव बाहर नहीं निकाल रहे हैं लक्ष्मण जी बोले बाहर निकालिए पांव बोले प्रभु एक हो

2:49:19गई मेरे से लड़की भुला गई का बचिया भुला गई चढ़

2:49:25मंच पर चढ़ाओ ऊपर चढ़ाओ बच्ची चढ़ाओ आशीष बच्ची

2:49:33चढ़ाओ अभी थोड़ा इंटरवल हुआ है दो मिनट का रुक अब तुम लेके

2:49:38[संगीत] आओ ऊपर आ जाओ उठा

2:49:46परर इस बच्ची के माई भुला [प्रशंसा]

2:49:52इस बिटिया की माई भुला गई है कहां है देखिए मेला में कहीं पकड़यो कोड़ी तो नहीं खा रही

2:49:58होगी बच्ची नहीं भुलाई है बच्ची तो है माही भुलाई [प्रशंसा]

2:50:04है बच्ची तो सामने दिख रही है तो जिसकी बच्ची हो वो

2:50:13कृपया बिटिया को लेके जाए बिटिया रो रही है अभी मिल जाएगी माई

2:50:22कथा में इतना खो गए हैं लोग कि लड़का लड़की कहां भाग रहे हैं किसी को ध्यान ही नहीं

2:50:28है माला वाला बचा के रखिएगा गले का चेन

2:50:34न कथा में सब तरह के लोग आते हैं कथा सबकी मनोकामना पूरी करती

2:50:41[प्रशंसा]

2:50:46है नकली पहन के आइए नकली अच्छा नकली कटो नहीं करता है असली कट

2:50:53हो जाता है माई मिल गई हो माई मिल गई बिटिया की जय जय तो माई मिल

2:51:03गई अच्छा माई झूला में थी [संगीत]

2:51:10[प्रशंसा] का हे प्रभु

2:51:20तो आइए प्रसंग पर आइए केवट भैया कहे प्रभु

2:51:26एक अपराध हो गया बाया दाहिना पांव तो धोया था मैं आप उसको फिर से नीचे रख दिए जिस

2:51:33धूल को धो कर के निकाला था वह धूल फिर लग गया लक्ष्मण भैया बोले ऐसे तो जितनी बार

2:51:40धोए उतनी बार लगेगा बोले नहीं अब नहीं लगेगा यह बाया पांव को आप मेरे गमछे पर

2:51:48रखिए अब गमछे पर पांव रखेंगे तो धूल नहीं लगेगा प्रभु और दाहिना पांव को एक बार

2:51:54प्रार्थना है और दोबारा धोना पड़ेगा एक बार और धुला लीजिए अब जब केवड़ जी दूसरी

2:52:01बार दाहिना पांव धोने के लिए बोले तो लक्ष्मण जी पूरा आवेश में आ गए राम जी बोले ठीक है जाओ जल्दी जल लेकर आओ तीसरी

2:52:08बार गए पानी लेकर आए धोए पूरा पी लिए भगवान अब केवड़ भैया के गमछे पर खड़े हैं

2:52:15बोले अब ठीक है ना अब ले चलिए नाव पर केवड़ भैया बोले प्रभु हमार लड़का क्या

2:52:21हमारा मुख देखने आए हैं ये छोट छोट बच्चे जो आए हैं एक बार और पांव धुला लेंगे तो

2:52:27थोड़ा इनको भी प्रसाद मिल जाएगा लक्ष्मण जी बोले तीन बार तुम पिए

2:52:34हो स्वयं तीन बार पिए हो तब बच्चों की याद नहीं आई केवड़ जी बोले पले पहले हमार पेट

2:52:41भर जाए तब ना इनके बारे में सोचे प्रभु तीन बार में तो हमार भर गया है एक बार और

2:52:46यदि आप धुला लेंगे तो भगवान तो सब समझते हैं अनुमति दिए चौथी

2:52:53बार जल लेकर आए धोए राम जी खड़े देख रहे हैं केवट भैया

2:52:59अपने हाथ से बच्चों का मुख खोल खोल के उनके मुख में चरणामृत डाल रहे हैं और पूरे

2:53:06परिवार को केवड़ जी ने एक ही बार में मुक्त कर दिया भगवान के सामने मुक्त कर डाला

2:53:14हो लक्ष्मण जी बोले परिवार का कोई मेंबर छूटा नहीं है ना पहले बता

2:53:19सब पी लिए हां सब पी लिए अब ले चलो केवड़ जी बोले गांव [प्रशंसा]

2:53:26वाले आप तो चले जाएंगे हमको लौट के इसी गांव में आना

2:53:32है लक्ष्मण जी भीतर भीतर आग बबूला हो र भगवान ने कहा इसके बाद नहीं बोलोगे केवड़

2:53:38जी बोले बचा ही कौन की बोलूंगा एक बार और पांचवी बार जल लाए धोए पूरे गांव को

2:53:44चरणामृत बांटे दोही घंटा लगा बांट कर आए लक्ष्मण जी बोले एक शब्द नहीं बोलोगे

2:53:52आप नाव खोलो किनारे से बिठा नाव पर केवड़ जी सोचे अब बोलूंगा तो मार देंगे इस बार

2:54:00तो पक्का मार देंगे केवड़ जी राम जी से बोले प्रभु एक बार और धोना चाहता हूं मैं

2:54:07पाव राम जी बोले अब किसके लिए धोना चाहते हैं अब कौन बच गया है हम कब से खड़े हैं

2:54:14पार जाने के लिए केवड़ जी बोले प्रभु पार जाने के लिए तो आपसे पहले भी कई लोग

2:54:21खड़े हैं अब तक पार नहीं हो पाए राम जी बोले दिखाई तो कोई नहीं दे रहा

2:54:29है केवड़ जी बोले यही तो बात है आप यदि देख लिए होते तो प्रभु व कबके

2:54:37पार हो गए होते आपकी दृष्टि ही नहीं जा रही है इसलिए सब फसे

2:54:44हुए भगवान बोले किसकी बात कर रहे हो जी बोले अपने पितरों की बात कर रहा हूं

2:54:51नाथ आज तक मैंने अपने पितरों को एक लोटा जल भी नहीं दिया है प्रभु आज जो स्वाद

2:54:57मेरी जिवा को प्राप्त हुआ है ना यही स्वाद मैं अपने बाबू जी को देना चाहता

2:55:03हूं यही स्वाद नाथ मैं अपने बाबा को देना चाहता हूं यही स्वाद अपने पूर्वजों को

2:55:10देना चाहता हूं प्रभु एक बार और यद पांव धुला लेंगे ना उसी जल से अपने पितरों का

2:55:16तर्पण करके उनके जन्म जन्म मंतर के प्यास को समाप्त कर देना चाहता हूं प्रभु एक बार

2:55:22पांव धुला दीजिए जैसे केवड़ जी ने निवेदन की भगवान

2:55:27ने तुरंत अनुमति दे दी और केवट भैया केवट

2:55:35राम रजा य सु पावा केवट

2:55:44राम रजा सु पावा

2:55:49पानी कव भरी ले

2:55:56आवा पानी कटता भरी ले आ

2:56:04आकर अति आनंद उमगया

2:56:13अति आनंद उम

2:56:20अनुरागा चरण सरोज पारन

2:56:28लागा चरण सरोज पखन

2:56:35लागा चरण सरोज पखन

2:56:43लागा चरण सरोज ार

2:56:51ला केवड़ जी जल लाए और लाकर के बैठ कर के

2:56:57अति आनंद

2:57:05उमगया अति उमंग अति अनुराग के साथ केवड़

2:57:11जी भगवान के चरण सरोज प

2:57:21ला भगवान के श्री चरण को केवड़ जी पखार में लगे और राम जी को साक्षी बनाकर उसी

2:57:29चरणामृत से अपने पितरों का नाम ले लेकर केवड़ जी ने तर्पण किया और एक ही बार में

2:57:36केवट भैया ने अपने समस्त पूर्वजों को पितरों को मुक्त कर

2:57:42दिया यहां मेरी आपसे प्रार्थना है मिथिला के धरती पर जन्म मिला

2:57:50है भगवान से प्रार्थना करिए कि प्रभु बेटा डॉक्टर बने चाहे ना

2:57:58बने इंजीनियर बने चाहे ना बने वैज्ञानिक बने चाहे ना

2:58:04बने बड़ा आदमी बने चाहे ना बने नाथ अपना भक्त अवश्य उसको बनाइए क्यों जो

2:58:13भगवान का भक्त ना बना सब बन के भी व्यर्थ हो गया

2:58:19सब बन गया भगवान का भक्त नहीं बना तो सब बनना व्यर्थ है वो किसी काम का नहीं

2:58:26है कहते हैं पुराण भगवान कहते हैं घर कुल में यदि एक भगवान का भक्त अवतार ले ले

2:58:32जन्म ले ले 21 पीढ़ी को तार देता है कितनी पीढ़ी 21 पीढ़ी एक भक्त के आने

2:58:42से 10 पीछे की पीढ़ी ती है 10 आगे की पीढ़ी ती है और एक वो पीढ़ी जिसमें उसने

2:58:50जन्म लिया इसलिए भगवान से प्रार्थना करिए प्रभु

2:58:55अपने इस बच्चे को अपना भगत बनाइए बाली ने किया ये

2:59:01काम बाली जैसा भी आदमी हो लेकिन उसने मरते

2:59:06मरते राम जी से कहता है प्रभु यह तनाया मम

2:59:14सामा बनाय बल

2:59:19कल्याण प्रद प्रभु लीजिए प्रभु यह मेरा बेटा अंगद है मेरे

2:59:28समान बलवान है विनय वान है शीलवान है आप कल्याण करने वाले हैं राघव आप इसको ले

2:59:36लीजिए गही बाह सुर नर नान

2:59:46[संगीत] अंगद

2:59:53कीजिए प्रभु आप मेरे बच्चे को अपना दास बना

2:59:59लीजिए अंगद ने यह नहीं कहा बाली ने कि मेरे बेटे को किस्किंधा का राजा बना

3:00:06दीजिए चाहता तो य भी बोल सकता था भगवान बना [संगीत]

3:00:13देते अंग बाली चाहता तो ये भी कह सकता था कि प्रभु आप मैं राजा था मेरे बाद सुग्रीव

3:00:20बनने नहीं देगा आप मेरे बेटे को राजा बना दीजिएगा लेकिन बाली बेटे का हाथ पकड़ के

3:00:27इसको अपना दास बना लीजिए जो भगवान का दास

3:00:35मुदत पद पखार पाव पखार के जल पान करके आप

3:00:41सहित परिवार पितर पार पितरों को पार करके केवड़ जी भगवान को पार की

3:00:48उस पार नाव पहुंची उतरी ठाड़े सुर सरी रेता सीय राम गुह लखन समता सबसे पहले सीता

3:00:58मैया उतरी फिर राम जी उतरे फिर निषाद राजग उतरे फिर लक्ष्मण भैया उतरे सबके उतरने के

3:01:06बाद केवट उतरी दंडवत कीना

3:01:18कुछ ही नहीं कछु

3:01:24[संगीत] दीना केवड़ जी ने नाव को किनारे बांध करके

3:01:30नाव से उतरे और उतरने के बाद सबसे पहला जो कार्य किए केवट भैया राम जी के चरणों में

3:01:37लौट गए अब तक प्रणाम नहीं किए

3:01:42थे जानते कि यदि पहले प्रणाम कर लेंगे तो जो राम जी बोलेंगे करना पड़ेगा जी मन में

3:01:48प्लानिंग किए थे नहीं जब मेरे मन की एक एक बात हो जाएगी तब प्रणाम करूंगा किए दंडवत

3:01:57किए और आज दर्शन करिए आज भगवान ने केवड़ जी को उठाया नहीं

3:02:03है क्यों नहीं उठाया संकोच के कारण हो राम जी मन में सोचते हैं कि इन्होंने

3:02:11तो कह दिया कि कुछ नहीं लूंगा क्या मैं ऐसा कर सकता हूं

3:02:18केवट को उठाऊंगा अब बिना कुछ दिए विदा कर दूंगा बेचारा कितना कह रहा था घर में भोजन

3:02:25नहीं है नाव चलेगी तो भोजन जाएगा इसके बच्चे भूखों मरी जाएंगे आज यदि उठाऊंगा तो

3:02:31मैं केवड़ जी को दूंगा क्या मेरे पास कुछ नहीं है मारे संकोच के राम जी आज केवड़ जी को

3:02:38नहीं उठाए मेरी मां प्रभु का स्वभाव जानती है

3:02:44मां प्रभु के मन के भाव को समझ गई पिय हीय की सीय जाननी हारी सीता मैया ने तुरंत

3:02:53अपने हाथ की उंगली से सोने की मुद्रिका को निकाला और कहा प्रभु आप संकोच छोड़िए ना

3:03:00केवट भैया को प्रभु यह मुद्रिका दे दीजिए उतराई

3:03:05में राम जी बोले सीता जी आपने अपने हाथ से निकाल लिया मां ने हाथ जोड़ लिया कहा नाथ

3:03:13मेरा हाथ तो य है ही नहीं प्रभु जिस दिन मेरे पिताजी ने इस हाथ को आपके हाथ में

3:03:19समर्पित किया था ये उस दिन से आपका हाथ बना हुआ है ये मेरा नहीं है

3:03:25प्रभु आपकी मर्यादा के आगे इस मुद्रिका का कोई मूल नहीं है आप केवट जी को य मुद्रिका

3:03:32समर्पित करिए वो मुद्रिका सीता मैया के ही हाथ में रही राम जी ने केवड़ जी से कहा केवड़ जी

3:03:42कहे व कृपाल लेही उतर

3:03:50केवड़ जी मां उतराई दे रही स्वीकार करिए केवड़ जी देखें मां उंगली में से मुद्रिका निकाल के खड़ी है केवट

3:03:59चरण गहे अकुला केवड़ जी व्याकुल होकर भगवान के

3:04:06चरणों को पकड़ लिए कहे नाथ मैंने सौगंध लिया है कि कुछ नहीं

3:04:12लूंगा आप बरबस दे कर के मेरा सौगंध तोड़ना चाहते हैं प्रभु यही तो बात है आपको लग

3:04:21रहा है कि मैंने कुछ दिया नहीं है और मुझे लग रहा है कि जीवन में आज जितना प्राप्त

3:04:28हुआ है इतना आज तक कभी किसी जन्म में प्राप्त नहीं हुआ

3:04:34होगा नाथ आज मैं काह न पावा क्या नहीं मिला मुझे आपके जिन चरणों

3:04:43को देखने के लिए महात्मा जन्म जन्मांतर तपस्या करते है आपने उन्हीं चरणों को पखार

3:04:50का सौभाग्य प्रदान कर दिया प्रभु अब इससे अधिक जीवन में और क्या चा होगी किसी की

3:04:56कुछ नहीं चाहिए बड़ी कृपा की प्रभु

3:05:01आपने मेरा एक एक रूम कह रहा है तेरा

3:05:07शुक्रिया है तेरा

3:05:15शुक्रिया मुझे तू तने मालिक बहुत दे दिया

3:05:25है मुझे तूने [प्रशंसा] मालिक बहुत दे दिया

3:05:33है तेरा शुक्रिया है तेरा

3:05:40शुक्रिया आप लोग भी गाइए तेरा शुक्रिया है

3:05:47तेरा [संगीत] शुक्रिया ये जायदाद दी है ये औलाद दी

3:05:59है ये जायदाद दी है ये औलाद दी

3:06:07है मुसीबत में तुमने ही इमदाद की

3:06:16है मुसीबत में तुमने ही इमदाद बचपन से

3:06:23लेकर आज तक तेरा ही दिया

3:06:29मैंने खाया पिया है तेरा ही

3:06:36दिया मैंने खाया दिया

3:06:41है तेरा शुक्रिया है तेरा श

3:06:48शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है तेरा

3:06:57शुक्रिया ना मिलती अगर दी हुई दाद

3:07:05तेरी ना मिलती अगर हुई दद

3:07:13तेरी तो क्या थी जमा ने में औकात

3:07:22मेरी तू क्या थी जमाने में औकात

3:07:30में तुम ही ने तो जीने के काबिल किया

3:07:38है तुम ही ने तो [संगीत] जी काबिल किया है

3:07:47तेरा शुक्रिया है तेरा

3:07:53शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है तेरा

3:08:02शुक्रिया मेरा भूल जाना तेरा ना

3:08:10भुलाना मेरा भूल जाना तेरा ना भुला

3:08:19तेरी इस दया का कहां है

3:08:26ठिकाना तेरी इस दया का कहां है

3:08:34ठिकाना तेरी इस मोहब्बत ने पागल किया

3:08:42है तेरी इस मोहब्बत में पागल किया

3:08:50है तेरा शुक्रिया है तेरा

3:08:56शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है तेरा

3:09:03शुक्रिया है मुझे तूने

3:09:08मालिक बहुत दे दिया है मुझे तूने

3:09:16मालिक बहुत देया है तेरा

3:09:22शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है तेरा

3:09:29शुक्रिया है तेरा शुक्रिया सीता राम राम राम सीता राम राम

3:09:41राम सीता राम राम राम सीता राम राम राम

3:09:49सीता राम राम राम सीता राम राम राम सीता

3:09:57राम राम राम सीता राम राम राम सीता राम

3:10:05राम राम सीता राम राम राम सीता राम राम

3:10:14राम सीता राम राम राम राम सीता राम राम

3:10:21राम सीता राम राम राम राम सीता राम राम

3:10:28राम सीता राम राम राम सीता राम राम राम

3:10:37सीता राम राम राम राम सीता राम राम राम सीता राम राम राम

3:10:53[संगीत] तेरा

3:10:59शुक्रिया है तेरा

3:11:05सुकरिया बड़ जी बोले प्रभु अब कछु ना

3:11:13था न चाहि [संगीत]

3:11:20मोरे दीन

3:11:25दयाल अनुग्रह तो प्रभु न जाने कितने जन्मों से मैं

3:11:35मजदूरी करते आ रहा हूं और आज ब्रह्मा जी ने जन्म जन्मांतर के मजदूरी का फल एक ही

3:11:42बार में मुझे प्रदान कर दिया अब कुछ नहीं चाहिए प्रभु जी देना चाहते हैं केवड़ जी

3:11:50कहे प्रभु यदि देने का ही मन है तो लौटती बार दीजिएगा 14 साल बाद जब वापस आइएगा उस

3:11:58समय जो दीजिएगा मैं ले लूंगा पत्नी ने तुरंत बाह पकड़ा क्या बोलते हो यदि आज

3:12:06नहीं लोगे तो यह क्यों कहते हो लौटते समय जो दीजिएगा ले लूंगा केवर जी ने कहा भाग्यवान मैंने जान

3:12:13बूझ के कहा है कम से कम देने के लिए यदि लौटते समय भी राम जी यहां आ जाएंगे तो

3:12:21दोबारा इनका दर्शन प्राप्त होगा जीवन में इसलिए कहा ह फिरती बार अभी नहीं लौटते सब

3:12:29इसी बहाने आना तो पड़ेगा बहुत

3:12:35कीन प्रभु लखन सय नहीं कछु

3:12:41केवट ले विदा की

3:12:47[संगीत] करुणा यतन भगति

3:12:57विमल गोस्वामी जी कहते हैं राम जी ने कहा लक्ष्मण जी ने कहा किशोरी मैया ने कहा

3:13:04बारी बारी ले लीजिए अनेक प्रकार से समझाया कोई बात नहीं लौटते समय भी आएंगे ले लीजिए

3:13:10केवड़ जी कुछ नहीं लिए जब बारबार कहने के बाद भी केवट भैया

3:13:15नहीं लिए तो अंत में भगवान ने केवट भैया को अपनी विमल भक्ति देकर के और भक्ति से

3:13:22भर कर के उनको वापस विदा किया है यह प्रसंग कहता है भगवान की सेवा करके

3:13:29जब हम और आप भी भगवान से कुछ नहीं मांगेंगे तो कभी ना कभी जीवन में हमको भी

3:13:36केवट भैया की तरह भगवान की भक्ति अवश्य प्राप्त हो जाएगी इसमें कोई संशय नहीं

3:13:44है राम जी ने गंगा जी के तट पर लक्ष्मण जी के साथ शंकर भगवान का पार्थिव पूजन किया

3:13:51सीता जी ने गंगा जी से मनौती मांगी मां कुशलता पूर्वक लौट कर आऊंगी इसी घाट पर

3:13:56आपकी पूजा करूंगी आगे बढ़े तीर्थराज प्रयाग में भरद्वाज जी से मिले वहां से

3:14:02आगे बढ़े वाल्मीकि ऋषि के पास पहुंचे प्रभु ने वाल्मीकि ऋषि से पूछा हम कहां

3:14:08रहे वाल्मीकि जी ने कहा प्रभु चित्रकूट में आप जाकर वास करिए चित्रकूट में देवता

3:14:14पहले से कुटिया बनाकर गए हैं राम जी सीता मैया लक्ष्मण भैया के साथ चित्रकूट में

3:14:21वास करते हैं विश्राम करते हैं आज के बेला को हम और आप यहां विश्राम करते हैं कल भरत

3:14:27भैया के चरित्र को और अरण्य कांड की कथा को प्रणाम करेंगे परसों की कथा दिन में

3:14:34होगी परसों विश्राम सत्र है तो परसों की कथा दिन में 10 बजे से प्रारंभ होगी परसु

3:14:41सुंदरकांड और सुंदरकांड के बाद श्री राम राज्याभिषेक महोत्सव के साथ हम और आप इस

3:14:47सत्र को विश्राम देंगे कल ठीक समय से संध्या बेला में मिलते हैं तब तक के लिए

3:14:53हरे रामा रामा राम सीता राम राम

3:15:01राम हरे रामा रामा राम सीता राम राम

3:15:09राम हरे रामा रामा राम सीता राम राम राम

3:15:18हरे रामा रामा राम सीता राम राम

3:15:24राम हरे रामा रा रामा राम सीता राम राम

3:15:31राम राम हरे रामा रामा

3:15:36राम सीता राम राम राम हरे रामा रामा राम सीता राम रा

3:15:48राम हरे रामा रामा राम सीता राम रा राम

3:15:56सीता राम राम राम सीता राम राम

3:16:04राम सभी लोग अपने दोनों हाथ ऊपर उठाएंगे एक स्वार में कहेंगे हम और आप हरे

3:16:11राम हरे राम राम राम

3:16:17हरे हरे हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा

3:16:27हरे हरे कथा विसर्जन आज की प्रभु शंभुनाथ

3:16:38हनुमान राम लखन श्री जान के सदा करो

3:16:48कल्या सियावर रामचंद्र भगवान की जय बाल

3:16:54कृष्ण भगवान की जय उमापति महादेव की जय

3:17:00श्री हनुमान जी महाराज की जय आज के आनंद

3:17:06की जय जय जय श्री सीताराम

3:17:25सादर जय सियाराम परम पूज्य गुरुदेव भगवान के श्री चरणों में साष्टांग प्रणिपात श्री पंचदेव

3:17:33भगवान को कोट सह वंदन और व्यासपीठ पर शोभायमान

3:17:39ब्रह्मांड वंदनीय सरकार राघवेंद्र सरकार के श्री चरणों में साष्टांग प्रणिपात श्री

3:17:46राम चरित मानस भगवान को कोट सह वंदन और परम पूज्य व्यास भगवान पूज्य महाराज श्री

3:17:52के श्री चरणों में साष्टांग प्रणिपात उपस्थित आप समस्त देवता तुल्य जनता जनार्दन और देवी तुल्य माताएं बहने दूर

3:18:01दराज से आए सभी श्रद्धालु भक्तजन आप सभी को सादर जय सियाराम है इस राम कथा महा

3:18:07महोत्सव में आज हम सबने सरकार के मुख बिंदु से केवट भैया के प्रेम का दर्शन

3:18:15किया है केवट भैया के प्रेम की कथा को श्रवण किया है आनंद आया भगत हो तो ऐसा हो

3:18:25और भक्ति अगर हृदय में हो तो केवट भैया की तरह हो अगर ऐसा हो जाए तो फिर क्या कहना

3:18:31जीवन संवर जाए भाग्य चमक जाए भाग्य सवर जाए आइए हम सबके बीच कुछ विशिष्ट जन का आगमन

3:18:40है श्री राम प्रहलाद मिश्र जी कांटा से श्री अनिल ठाकुर जी राष्ट्रीय स् सेवक संघ

3:18:47विहार से श्री विजय शाही जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विहार से श्री रंगेश ठाकुर

3:18:54जी धर्म जागरण मुजफ्फरपुर बिहार से श्री कंचन जी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ श्री

3:19:01राम सनेही शरण जी पटोरी से श्री गौनी शंकर

3:19:07दास जी महाराज सनपुर से पूज्य श्री गौड़ी

3:19:12शंकर नाथ जी महाराज सनपुर से श्री दिवाकर मिश्र जी उखड़ा से श्री मनोरंजन चौबे जी

3:19:28रमप्रभु बवली से आप सभी गणमान्य

3:19:33जनका श्री मदन चौधरी जी के तरफ से हार्दिक स्वागत अभिनंदन और वंदन है आप कृपया मंच

3:19:40पर पधारे मंच पर शोभायमान ठाकुर जी का दर्शन

3:19:45करें रामचरित मानस भगवान का दर्शन करें और पूज्य सरकार से आशीष ग्रहण

3:19:52करें इस कथा महोत्सव में आप उपस्थित हुए आयोजन समिति के तरफ से आपका बहुत-बहुत

3:19:58धन्यवाद लेकिन आपका इस कथा महोत्सव में उपस्थित होना ही यह सिद्ध करता है कि

3:20:06ठाकुर जी की कृपा आपके ऊपर हुई और ठाकुर जी की कृपा के परिणाम स्वरूप इस कथा गंगा

3:20:12में अवगाहन करने का आपको लाभ प्राप्त हो रहा है और इस कथामृत को पान करने का जो सौभाग्य

3:20:20प्राप्त हो रहा है इससे आप सबका जीवन धन्य हो रहा है उपस्थित आप समस्त जनता जनार्दन

3:20:28देवी तुल्य माताएं बहने आप सभी का अभिनंदन है श्रीमान मदन चौधरी जी और पूरे चौधरी

3:20:34परिवार के तरफ से इस समस्त रचना में जिसने छोटी से छोटी भूमिका भी निभाई है जिस जिस

3:20:43का भी गिलहरी प्रयास है आप सभी को चौधरी जी के तरफ से मदन चौधरी जी और उनके

3:20:50पूरे परिवार के तरफ से हार्दिक धन्यवाद और यहां उपस्थित एक एक व्यक्ति का हार्दिक

3:20:57स्वागत और अभिनंदन आप सभी ने इस महा महोत्सव में उपस्थित होकर के अपने आप को

3:21:04तो संवारा ही है इस महोत्सव को भी संवारा है इसके लिए आयोजन समिति के तरफ से और

3:21:10आयोजक परिवार के तरफ से आप सभी का हार्दिक स्वागत है अभिनंदन है वंदन है नर नारायण

3:21:17रूप में आपका दर्शन हो रहा है यहां संत

3:21:22भगवान का आगमन हो रहा है सामाजिक कार्यकर्ता गण उपस्थित हो रहे हैं राजनेता

3:21:29उपस्थित हो रहे हैं प्रशासनिक सेवा में लगे हुए अधिकारी गण उपस्थित हो रहे हैं सब

3:21:35लोग मिलजुल कर के इस कथा उत्सव को कथा महोत्सव में बदल दिए हैं और जहां भगवान की

3:21:41ही कृपा होती है वो उत्सव महोत्सव हो जाता है आइए अब ठाकुर जी की श्री आरती जी का

3:21:48दर्शन करते हैं सभी लोग आरती जी का दर्शन करने के पश्चात ही अपने अपने गंतव्य के

3:21:53लिए प्रस्थान करेंगे और प्रसाद लेकर जरूर जाइएगा बिना प्रसाद के ना जाइएगा यह

3:21:59निवेदन चौधरी परिवार की तरफ [संगीत]

3:22:07से नूनू चौधरी जी आप कृपया आ जाइए आरती में नुनू चौधरी

3:22:14जी आइए अब भगवान की श्री आरती जी का दर्शन करते हैं सादर जय सियाराम

3:22:22[संगीत]

3:23:10हरति सब आरती आरती

3:23:17की रती सब आरती आरती राम की दहन दुख

3:23:27[संगीत] दोष निर्मूल नि का मुख दहन दुख

3:23:36दो निर्मूलन काम की सुरभरती

3:23:47दीप ब मालिका उड़त अघ विहंग

3:23:53सुनी ताल कर तालिका अरती सब

3:24:00आरती आरती राम की भक्त हद

3:24:09भवना अज्ञान तम हार विमल विज्ञान म

3:24:18तेज विस्तार रथ सब

3:24:23आरती हारते राम मोहम्मद को हा

3:24:32कर कंज हिम जामनी मुक्ति के दूत

3:24:40का देह दुति नामिनी भरती सब आर

3:24:47आरती राम की प्रत जन कुमोद

3:24:55बन हिंदू कर जालिका तुलसी अभिमान

3:25:01महिष हा बहु कालिका रती सब

3:25:07आरती आरती राम की आरती राम की आरती राम की

3:25:42लगया हरि ओम यज्ञेन यज्ञम जन देवा स्नी

3:25:48धर्मा प्रथमा सन्नते हना कम

3:25:54महिमानंद पूर्वे साध्या संति देवा श्री वंत काव कुल

3:26:02चपक पाट लाज पुग जाति करवेल र साल पुष्प

3:26:09बलव प्रवाल तुलसी दल मंजरी भी त्वा पूज

3:26:17जगदीश्वर में प्रसिद्ध नाना सुगंधि पुष्पानी यथा कालो

3:26:24भवानी च पुष्पांजलि मया दत्त गहाण

3:26:31परमेश्वर मंत्र पुष्पांजलि समर्पयामि नमस

3:26:37[संगीत]

3:26:45करो m

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