Warning: Attempt to read property "base" on null in /home/u599592017/domains/sanatan.techtunecentre.com/public_html/wp-content/plugins/wp-to-buffer/lib/includes/class-wp-to-social-pro-screen.php on line 89
श्राप और वरदान का रहस्य क्या है ? - Sanatan-Forever

श्राप और वरदान का रहस्य क्या है ?

श्राप और वरदान का रहस्य क्या है ?

श्राप और वरदान का रहस्य क्या है ?

〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️

      हम पौराणिक कथाओं में प्रायः यह पढ़ते-सुनते आये हैं कि अमुक ऋषि ने अमुक साधक को वरदान दिया या अमुक असुर को श्राप दिया। जन साधारण को या आजके तथाकथित प्रगतिवादी दृष्टिकोण वाले लोगों को सहसा विश्वास नहीं होता कि इन पौराणिक प्रसंगों में कोई सच्चाई भी हो सकती है।

    यदि विचारपूर्वक देखा जाय तो हम पाएंगे कि श्राप केवल मनुष्यों का ही नहीं होता, जीव-जंतु यहाँ तक कि वृक्षों का भी श्राप देखने को मिलता है। वृक्षों पर आत्माओं के साथ-साथ यक्षदेवों का भी वास होता है।

स्वस्थ हरा-भरा वृक्ष काटना महान पाप कहा गया है। प्राचीन काल से तत्वदृष्टाओं ने वृक्ष काटना या निरपराध पशु-पक्षियों, जीव-जंतुओं को मारना पाप कहा गया है। इसके पीछे शायद यही कारण है। उनकी ऊर्जा घनीभूत होकर व्यक्तियों का समूल नाश कर देती है।

     चाहे नज़र दोष हो या श्राप या अन्य कोई दोष–इन सबमें ऊर्जा की ही महत्वपूर्ण भूमिका है। किसी भी श्राप या आशीर्वाद में संकल्प शक्ति होती है और उसका प्रभाव नेत्र द्वारा, वचन द्वारा और मानसिक प्रक्षेपण द्वारा होता है।

रावण इतना ज्ञानी और शक्तिशाली होने के बावजूद  उसे इतना श्राप मिला कि उसका सबकुछ नाश हो गया। महाभारत में द्रौपदी का श्राप कौरव वंश के नाश का कारण बना। वहीँ तक्षक नाग के श्राप के कारण पांडवों के ऊपर असर पड़ा।

गांधारी का श्राप श्रीकृष्ण को पड़ा जिसके कारण यादव कुल का नाश हो गया। गान्धारी ने अपने जीवन भर की तपस्या से जो ऊर्जा प्राप्त की थी उसने अपने नेत्रों द्वारा प्रवाहित कर दुर्योधन को वज्र समान बना डाला था।

अगर इस पर विचार करें तो गांधारी की समस्त पीड़ा एक ऊर्जा में बदल गई और दुर्योधन के शरीर को वज्र बना दिया। वही ऊर्जा कृष्ण पर श्राप के रूप में पड़ी और समूचा यदु वंश नाश हो गया।

   श्राप एक प्रकार से घनीभूत ऊर्जा होती है। जब मन, प्राण और आत्मा में असीम पीड़ा होती है तब यह विशेष ऊर्जा रूप में प्रवाहित होने लगती है और किसी भी माध्यम से चाहे वह वाणी हो या संकल्प के द्वारा सामने वाले पर लगती ही है।

श्राप के कारण बड़े बड़े महल, राजा-महाराजाओं, जमीदारों का नाश हो गया। महल खंडहरों में बदल गए और कथा-कहानियों का हिस्सा बन गए।

〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com
Scroll to Top
Verified by MonsterInsights