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शुभ काम में क्यों बनाई गई नारियल फोड़ने की परंपरा - Sanatan-Forever

शुभ काम में क्यों बनाई गई नारियल फोड़ने की परंपरा

शुभ काम में क्यों बनाई गई नारियल फोड़ने की परंपरा

शुभ काम में क्यों बनाई गई नारियल फोड़ने की परंपरा-
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सनातन धर्म के ज्यादातर धार्मिक संस्कारों में नारियल का विशेष महत्व है। कोई भी व्यक्ति जब कोई नया काम शुरू करता है तो भगवान के सामने नारियल फोड़ता है। चाहे शादी हो, त्योहार हो या फिर कोई महत्वपूर्ण पूजा, पूजा की सामग्री में नारियल आवश्यक रूप से रहता है। नारियल को संस्कृत में श्रीफल के नाम से जाना जाता है।
विद्वानों के अनुसार यह फल बलि कर्म का प्रतीक है। बलि कर्म का अर्थ होता है उपहार या नैवेद्य की वस्तु। देवताओं को बलि देने का अर्थ है, उनके द्वारा की गई कृपा के प्रति आभार व्यक्त करना या उनकी कृपा का अंश के रूप मे देवता को अर्पित करना।
एक समय सनातन धर्म में मनुष्य और जानवरों की बलि सामान्य बात थी। तभी आदि शंकराचार्य ने इस अमानवीय परंपरा को तोड़ा और मनुष्य के स्थान पर नारियल चढ़ाने की शुरुआत की। नारियल कई तरह से मनुष्य के मस्तिष्क से मेल खाता है। नारियल की जटा की तुलना मनुष्य के बालों से, कठोर कवच की तुलना मनुष्य की खोपड़ी से और नारियल पानी की तुलना खून से की जा सकती है। साथ ही, नारियल के गूदे की तुलना मनुष्य के दिमाग से की जा सकती है।
नारियल फोड़ने का ये है महत्व- नारियल फोड़ने का मतलब है कि आप अपने अहंकार और स्वयं को भगवान के सामने समर्पित कर रहे हैं। माना जाता है कि ऐसा करने पर अज्ञानता और अहंकार का कठोर कवच टूट जाता है और ये आत्मा की शुद्धता और ज्ञान का द्वार खोलता है, जिससे नारियल के सफेद हिस्से के रूप में देखा जाता है।
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गुरु का वृषभ राशि में गोचर
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कुम्भ राशि पर प्रभाव
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01 मई 2024 बुधवार के दिन देव गुरु बृहस्पति का वृषभ राशि में गोचर इस वर्ष होने वाली महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटनाओं में से एक है। देव गुरु बृहस्पति को शुभ ग्रह के रूप में देखा जाता है और वैदिक ज्योतिष के अनुसार गुरु का गोचर बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। बृहस्पति जब गोचर करते हैं तो जिन भावों पर भी बृहस्पति की दृष्टि पड़ती है, वहां अमृत के समान शुभ दृष्टि डालते हैं जिससे व्यक्ति को शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है। बृहस्पति को ज्योतिष में जीव भी कहा गया है। बृहस्पति शनि के बाद दूसरे मंद गति से चलने वाले ग्रह माने गए हैं और यह लगभग 13 महीने में एक राशि का भ्रमण कर दूसरी राशि में गोचर कर जाते हैं। पिछले वर्ष 22 अप्रैल 2023 को बृहस्पति अपनी स्वराशि मीन से निकलकर अपने मित्र मंगल की राशि मेष में प्रवेश कर चुके थे। अब यही देव गुरु बृहस्पति वर्ष 2024 में दैत्य गुरु शुक्र की राशि वृषभ में गोचर करने जा रहे हैं।

बृहस्पति 1 मई, 2024 को दोपहर 14:29 पर वृषभ राशि में गोचर करेंगे। अपने गोचर के दो दिन बाद ही यानी कि 3 मई 2024 को रात्रि 22:08 बजे देव गुरु बृहस्पति अस्त अवस्था में आ जाएंगे और इसे बृहस्पति तारा डूबना या गुरु तारा डूबना कहा जाएगा, जहां पर लगभग एक महीने बाद 3 जून 2024 की प्रातः 3:21 बजे यह अस्त अवस्था से उदित अवस्था में आ जाएंगे। जिस दौरान बृहस्पति ग्रह अस्त होते हैं, उस दौरान शुभ मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, आदि नहीं किए जाते और बृहस्पति के पुनः उदय होने पर ये कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे। इसी वृषभ राशि में विराजमान रह कर बृहस्पति 9 अक्टूबर 2024 को प्रातः 10:01 पर वक्री अवस्था में अपनी वक्री चाल शुरू कर देंगे और उनकी यह चाल अगले वर्ष 4 फरवरी 2025 की दोपहर 13:46 बजे तक रहेगी। बृहस्पति को शुभ और वृद्धि कारक ग्रह कहा जाता है और जिन-जिन भावों पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ती है, अपनी शुभ दृष्टि से उन भावों की और उनसे संबंधित फलों की वृद्धि करते हैं। आइए जानते हैं कि देव गुरु बृहस्पति का वृषभ राशि में होने वाला गोचर वर्ष 2024 में आप पर क्या प्रभाव डालेगा और गुरु गोचर 2024 आपके लिए किस प्रकार के परिणाम लेकर आ रहा है।

कुंभ राशि का फलादेश
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कुंभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति द्वितीय और एकादश भाव के स्वामी होकर धन भावों के स्वामी बनते हैं और आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि कुंडली में इनकी स्थिति आपकी आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। वर्तमान गोचर में देव गुरु बृहस्पति आपकी राशि से चतुर्थ भाव में गोचर करेंगे। वृषभ राशि में गुरु का यह गोचर आपके लिए मध्यम रूप से फलदायक रहने वाला है। आप अपने धन का प्रयोग अपने घर की साज-सज्जा में, घर की आवश्यकताओं की पूर्ति में, अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में‌ और अपनी माता जी के स्वास्थ्य पर कर सकते हैं। बृहस्पति यहां स्थित होकर अपनी पंचम दृष्टि से आपके अष्टम भाव को, सप्तम दृष्टि से दशम भाव को और नवम दृष्टि से द्वादश भाव को देखेंगे

गुरु गोचर 2024 के अनुसार बृहस्पति के अष्टम भाव पर प्रभाव से आपको पैतृक संपत्ति प्राप्त होने के योग बन सकते हैं। आपको अचानक से धन लाभ हो सकता है जिससे सुख की अनुभूति होगी। कोई पुरानी संपत्ति जो पूर्वजों की हो, आपको मिल सकती है। इससे आपको बहुत प्रसन्नता होगी। धर्म-कर्म के कामों में भी आपको मान सम्मान और यश की प्राप्ति होगी। आपका आर्थिक विकास होगा। आपको अपने करियर पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता पड़ेगी। नौकरी में अपने आपको सर्वे सर्वा समझने से बचने की कोशिश करें और मेहनत करने पर ध्यान दें, नहीं तो नौकरी में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। द्वादश भाव पर बृहस्पति की दृष्टि होने के कारण खर्चों के योग भी बनेंगे। हालांकि यह अच्छी बात है कि खर्च अच्छी दिशा में होंगे। परंतु इनसे आपको थोड़ी परेशानी हो सकती है। खर्चों को नियंत्रण में रखकर आप समस्याओं से बाहर निकल सकते हैं। स्वास्थ्य पर थोड़ा ध्यान देना आवश्यक होगा।

उपायः👉 आपको अपनी जेब में एक पीले रंग का रुमाल रखना चाहिए।
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