रोज एप्पल
बिहार के पश्चिम चम्पारण ज़िले में अब ऐसे फलों की भी बागवानी सफल तरीके से की जाने लगी है, जिसे मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशिया का मूल फल बताया जाता है.
कहीं इसे रोज एप्पल कहा जाता है, तो कहीं वाटर एप्पल. कहीं इसे गुलाब जामुन कहा जाता है, तो कहीं सफेद जामुन के नाम से जाना जाता है.
भारत में इसकी बागवानी अब तक, ओड़िशा तथा महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ही की जाती रही हैं.गौर करने वाली बात है कि अब इसे बिहार के किसान भी अपनाने लगे हैं.
सूबे के पश्चिम चम्पारण ज़िले के मझौलिया प्रखंड के बनकट मुसहरी गांव के रहने वाले रविकांत पांडे ने सफेद जामुन की बागवानी सफलता पूर्वक कर ली है.
उन्होंने लोकल 18 की टीम से इस फल की बागवानी तथा इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुणों के बारे पूरी जानकारी साझा की है.

बेहद खास फल, जिसे खाने के तरीके हैं अनेकरविकांत बताते हैं कि अन्य फलों की तुलना में सफेद जामुन के बारे में बेहद कम लोग ही जानते हैं.एक ये बहुत कीमती फल है,
जिसकी आकृति घंटीनुमा तथा रंग, तैयार होने के बाद गुलाबी तथा सफेद होता है.कई बार लोग इसे स्ट्रॉबेरी समझ बैठते हैं.
लेकिन बता दें कि ये स्ट्रॉबेरी से बिल्कुल अलग, विभिन्न रूपों में खाया जाने वाला फल है.कोई इसे सलाद में शामिल कर खाता है
तो कोई डेसर्ट के लिए टॉपिंग के रूप में इस्तेमाल करता है.खास बात यह है कि मीठा होने की वजह से आप इसे कई प्रकार के व्यंजनों में भी उपयोग कर सकते हैं…..
मार्च में मंजर तथा मॉनसून के पहले तैयार हो जाते हैं फलबता दें कि रविकांत, मेडिसिनल प्लांट एक्सपर्ट तथा फलों के न्यूट्रीशनल वैल्यू के जानकर भी हैं
.उनका कहना है कि सफेद जामुन न केवल अपने स्वाद के लिए जाना जाता है, बल्कि ये हमारे सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है.
इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो पाचन में सहायता करने के साथ विभिन्न प्रकार की बीमारियों से भी बचाते हैं.
खास बात यह है कि सफेद जामुन के पेड़ में मार्च के महीने में ही मंजर आने लगते हैं.अप्रैल के आखिरी तक पेड़ों पर फल लटकने लगते हैं,