#माता-पिता से छुपाकर घर से भाग कर सादी करने वालों पढ़ लो अभी टाइम है आपके पास, वक्त है✍️………..
आज पूनम अपने पिता के पास आई और कहा, “#पापा, मैंने अपनी पसंद के लड़के से शादी कर ली है।” उसके पिता बहुत गुस्से में थे, लेकिन उन्होंने अपनी #बेटी से बस इतना कहा, “मेरे घर से निकल जाओ।” पूनम ने कहा, “अभी इनके पास कोई काम नहीं है, हमें रहने दीजिए, हम बाद में चले जाएंगे।” परंतु उनके पिता ने एक न सुनी और उसे घर से बाहर कर दिया।
कुछ साल बीत गए, और पूनम के पिता का निधन हो गया। दुर्भाग्यवश, जिस लड़के से पूनम ने शादी की थी, वह भी उसे धोखा देकर भाग गया। पूनम के दो बच्चे थे, एक लड़की और एक लड़का। पूनम ने खुद का एक #रेस्टोरेंट चलाना शुरू किया, जिससे उसका जीवन यापन हो रहा था।
जब पूनम को अपने पिता के निधन की खबर मिली, तो उसने सोचा, “अच्छा हुआ, उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया था और दर-दर की ठोकरें खाने छोड़ दिया।” पूनम ने तय किया कि वह उनकी अंतिम यात्रा में नहीं जाएगी, लेकिन उसके ताऊजी ने उसे समझाया, “पूनम, हो आओ, जाने वाला शख्स तो चला गया, अब उनसे दुश्मनी कैसी?”
पूनम ने ताऊजी की बात मान ली और अपने पिता की अंतिम यात्रा में शामिल होने का फैसला किया। जब वह अपने पापा के घर पहुंची, तो सभी उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी कर रहे थे। पूनम को उनके मरने का कोई दुख नहीं था, वह बस ताऊजी के कहने पर वहां आई थी। पूनम के पिता की तेरहवीं पर उसके ताऊजी ने उसे एक खत दिया, जिसे उसके पिता ने लिखा था।
रात को पूनम ने वह खत खोला और पढ़ना शुरू किया। खत में लिखा था:
“मेरी प्यारी गुड़िया, मुझे मालूम है कि तुम मुझसे नाराज हो, पर अपने पापा को माफ कर देना। मैं जानता हूं, तुम्हें मैंने घर से निकाला था, और तुम्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं। पर मैं भी उदास था, तुम्हें कैसे बताऊं…
याद है, जब तुम पांच साल की थी, तब तुम्हारी माँ हमें छोड़ कर चली गई थी। तुम कितना रोती थी, डरती थी, मेरे बिना सोती नहीं थी। रातों को उठकर रोती थी, तब मैं भी सारी रात तुम्हारे साथ जागता था। तुम जब स्कूल जाने से डरती थी, तब मैं सारा वक्त तुम्हारे स्कूल की खिड़की पर खड़ा रहता था, और जैसे ही तुम स्कूल से बाहर आती थी, तुम्हें सीने से लगा लेता था।
वह कच्चा-पक्का खाना याद है, जो तुम्हें पसंद नहीं आता था, मैं उसे फेंक कर फिर से तुम्हारे लिए नया बनाता था, ताकि तुम भूखी न रहो। याद है, जब तुम्हें बुखार आया था, तो मैं सारा दिन तुम्हारे पास बैठा रहता था, अंदर ही अंदर रोता था, पर तुम्हें हंसाता था, ताकि तुम न रोओ।
याद है, जब तुम #हाईस्कूल की परीक्षा के लिए रात भर पढ़ती थी, तो मैं सारी रात तुम्हें चाय बनाकर देता था। जब तुम पहली बार कॉलेज गई थी और तुम्हें लड़कों ने छेड़ा था, तो मैं तुम्हारे साथ कॉलेज गया और उन बदमाश लड़कों से भिड़ गया। उम्र हो गई थी और मैं कमजोर भी, लेकिन हर लड़की की नजर में पापा हीरो होते हैं, इसलिए अपना दर्द सह गया।
याद है, तुम्हारी पहली जीन्स, वह छोटे कपड़े, वह गाड़ी। पूरी कॉलोनी तुम्हारे खिलाफ थी, लेकिन मैं तुम्हारे साथ खड़ा था। किसी को तुम्हारी खुशी में बाधा बनने नहीं दिया। तुम्हारा देर रात आना, कभी-कभी शराब पीना, डिस्को जाना, लड़कों के साथ घूमना। इन सब बातों पर मैंने कभी गौर नहीं किया, क्योंकि उस उम्र में यह सब थोड़ा-बहुत होता है।
लेकिन एक दिन तुम एक लड़के से शादी कर आई, वह भी उस लड़के से, जिसके बारे में तुम्हें कुछ भी पता नहीं था। मैंने उस लड़के के बारे में सब पता किया, उसने न जाने कितनी लड़कियों को धोखा दिया था। पर तुम प्रेम में अंधी थी, तुमने मुझसे एक बार भी नहीं पूछा और सीधे शादी कर आई। मेरे कितने अरमान थे, तुम्हें डोली में बिठाऊं, चांद-तारों की तरह सजाऊं, ऐसी धूमधाम से शादी करूं कि लोग बोलें, ‘देखो शर्माजी ने अपनी बच्ची को कितने नाजों से पाला है।’ पर तुमने मेरे सारे ख्वाब तोड़ दिए।
मैंने तुम्हारे लिए यह खत इसलिए छोड़ा है, ताकि कुछ बात कर सकूं। मेरी गुड़िया, आलमारी में तुम्हारी #माँ के गहने और तुम्हारी शादी के लिए खरीदे गहने रखे हैं। तीन-चार घर और कुछ जमीनें हैं, जिन्हें मैंने तुम्हारे और तुम्हारे बच्चों के नाम कर दिया है। कुछ पैसे बैंक में हैं, उन्हें निकाल लेना।
अंत में बस इतना ही कहूंगा, गुड़िया, काश तुमने मुझे समझा होता। मैं तुम्हारा दुश्मन नहीं था, तुम्हारा पापा था। वह पापा जिसने तुम्हारी माँ के मरने के बाद दूसरी शादी नहीं की, लोगों के ताने सुने, गालियां सुनीं, न जाने कितने रिश्ते ठुकराए, लेकिन तुम्हें दूसरी माँ से कष्ट न हो, इसलिए अपनी ख्वाहिशें मार दीं।

मेरी गुड़िया, जिस दिन तुम शादी के जोड़े में घर आई थी, तुम्हारा बाप पहली बार टूटा था। तुम्हारी माँ के मरने पर भी इतना नहीं रोया था, जितना उस दिन। उस दिन से हर दिन रोया, इसलिए नहीं कि समाज-जात-परिवार-रिश्तेदार क्या कहेंगे, बल्कि इसलिए कि मेरी नन्ही सी गुड़िया, जिसने शादी का इतना बड़ा फैसला लिया, मुझे एक बार भी बताना सही नहीं समझा। अब तो तुम भी माँ हो, औलाद का दर्द और खुशी सब क्या होता है, वह जब दिल तोड़ते हैं, तो कैसा लगता है। ईश्वर तुम्हें कभी यह दर्द न दिखाए। एक खराब पिता ही समझ कर मुझे माफ कर देना, मेरी गुड़िया। तुम्हारा पापा अच्छा नहीं था, जो तुमने उसे इतना बड़ा दर्द दिया।
अब खत यही समाप्त कर रहा हूं। हो सके तो माफ कर देना।”
पूनम ने खत के साथ लगी ड्राइंग देखी, जो उसने बचपन में बनाई थी और उसमें लिखा था, “आई लव यू मेरे पापा, मेरे हीरो, मैं आपकी हर बात मानूंगी।”
पूनम रो रही थी, तभी उसके ताऊजी आए और उन्होंने कहा, “पूनम, वो जो तुम्हें रेस्टोरेंट खोलने और घर खरीदने के पैसे मैंने नहीं दिए थे, वह तुम्हारे पिताजी ने मुझसे दिलवाए थे। औलाद चाहे कितनी भी बुरी हो, माँ-बाप कभी बुरे नहीं होते। औलाद चाहे माँ-बाप को छोड़ दे, माँ-बाप मरने के बाद भी अपने बच्चों को दुआ देते हैं।”
पूनम के पापा को सुकून मिलेगा या नहीं, मुझे नहीं पता, पर उस खत को पढ़ने के बाद, शायद सारी जिंदगी, पूनम को सुकून नहीं मिलेगा।
बस इतना ही कहूंगा, दोस्तों, #लव मैरिज करना कोई गलत बात नहीं, पर अपने माँ-पिताजी की मर्जी शामिल कर लें। पत्थर से पानी निकल जाता है, वो तो माँ-बाप हैं, कब तक नहीं टूटेंगे अपने बच्चों की खुशी के लिए। हर बाप की एक इच्छा होती है, अपनी बेटी को अपने हाथों से डोली में विदा करने की। हो सके तो उसे एक सपना मत रहने दीजिए, वर्ण समाज आपको भले ही माफ कर दे लेकिन आप अपने आप को जीवन भर माफ नहीं कर पाओगे।……✍️

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