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प्रतिपदा तिथि का आध्यात्म एवं ज्योतिष में महत्त्व - Sanatan-Forever

प्रतिपदा तिथि का आध्यात्म एवं ज्योतिष में महत्त्व

प्रतिपदा तिथि का आध्यात्म एवं ज्योतिष में महत्त्व

प्रतिपदा तिथि का आध्यात्म एवं ज्योतिष में महत्त्व
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प्रतिपदा तिथि का आध्यात्म एवं ज्योतिष में महत्त्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तिथि का अपना ही एक अलग महत्व है। तिथि के आधार पर ही व्रत, त्योहार और शुभ कार्य किए जाते हैं। सही तिथि पर कार्य करने से चमत्कारी लाभ प्राप्त होते हैं। वैसे तो हर महीने में 30 तिथि होती हैं क्योंकि एक चंद्र मास में दो पक्ष होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष और प्रत्येक पक्ष में 15-15 तिथियां होती है। दोनों पक्षों में 14 तिथियां समान होती है लेकिन कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि अमावस्या और शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि पूर्णिमा कही जाती है। वहीं हिंदू पंचाग की पहली तिथि प्रतिपदा होती है। तो

प्रतिपदा तिथि
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हिंदू पंचाग की पहली तिथि प्रतिपदा है, जिसका मतलब होता है मार्ग। इसे हिंदी में परेवा या पड़वा कहते हैं, यह तिथि आनंद देने वाली कही गई है। इस तिथि से चंद्रमा अपनी नयी यात्रा पर निकलता है। प्रतिपदा तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 0 डिग्री से 12 डिग्री अंश तक होता है। वहीं कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा तिथि का निर्माण सूर्य और चंद्रमा का अंतर 181 से 192 डिग्री अंश तक होता है। प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्निदेव माने गए हैं। इस तिथि में जन्मे लोगों को अग्निदेव का पूजन अवश्य करना चाहिए।

प्रतिपदा तिथि का ज्योतिष में महत्त्व
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यदि प्रतिपदा तिथि रविवार या मंगलवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित है। इसके अलावा प्रतिपदा तिथि शुक्रवार को होती है तो सिद्धा कहलाती है। ऐसे समय शुभ कार्य करने की सलाह दी जाती है। हिंदू कैलेंडर के भाद्रपद माह की प्रतिपदा शून्य होती है। वहीं शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा में भगवान शिव का पूजन नहीं करना चाहिए क्योंकि शिव का वास श्मशान में होता है। दूसरी ओर कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा में शिव का पूजन करना चाहिए।

कृष्ण पक्ष प्रतिपदा को जन्मा जातक धनी एवं बुद्धिमान होगा। उन पर माता की विशेष कृपा दृष्टि बनी रहती है। जातक चंद्रमा के बलवान होने के कारण मानसिक रूप से भी बलवान होते हैं। वहीं दूसरी ओर शुक्ल पक्ष प्रतिपदा में जन्मा जातक बुरी लोगों की संगति में पड़कर बुरी आदतों के शिकार हो सकते हैं। उनके द्वारा किए गए कार्य कभी कभार उनके परिवार को ही हानि पहुंचा सकते हैं।

शुभ कार्य
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शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि में विवाह, यात्रा, उपनयन, चौल कर्म, वास्तु कर्म व गृह प्रवेश आदि मॉगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। इसके विपरीत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा में आप शुभ कार्य कर सकते हैं।

प्रतिपदा तिथि के प्रमुख हिन्दू त्यौहार एवं व्रत व उपवास
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हिंदू नववर्ष
〰️〰️〰️〰️चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि से ही हिंदू नववर्ष की शुरूआत होती है।

गोवर्धन पूजा
〰️〰️〰️〰️दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पर्व मनाया जाता है। गोवर्धन की पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के पूजन का विधान है। साथ ही अन्नकूट के पूजन का भी विधान है।

नवरात्रि का प्रारंभ
〰️〰️〰️〰️〰️〰️साल में 4 बार नवरात्र आते हैं, जिनमें दो गुप्त नवरात्र होते हैं। लेकिन चैत्र, अश्विन, आषाढ़, और माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही नवरात्रि शुरू होती है। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों का पूजन किया जाता है।
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