Warning: Attempt to read property "base" on null in /home/u599592017/domains/sanatan.techtunecentre.com/public_html/wp-content/plugins/wp-to-buffer/lib/includes/class-wp-to-social-pro-screen.php on line 89
दो अक्षर की गम्भीर समस्या और दो अक्षर से ही समाधान - Sanatan-Forever

दो अक्षर की गम्भीर समस्या और दो अक्षर से ही समाधान

दो अक्षर की गम्भीर समस्या और दो अक्षर से ही समाधान

दो अक्षर की गम्भीर समस्या और दो अक्षर से ही समाधान

•  एक बार एक नगर मे कई व्यक्ति बड़े दुःखी थे बस अपने दुखों की दवा पाने के लिये इधरउधर मारे मारे फिरते थे!

•  एक बार उस नगर मे कोई संत आये और वो रोज प्रवचन दिया करते थे एक दिन जब वो प्रवचन देकर उठे तो बाहर से एक आदमी आया और वो लोगो को मिठाई बाँट रहा था और खुशी मे झूम रहा था लोगो ने पूछा अरे भाई क्या मिल गया तुम्हे ऐसा की इतने खुश हो रहे हो और ये मिठाई किस बात की बाँट रहे हो?

•  तो उसने कहाँ मेरे जीवन की एक बहुत ही गम्भीर समस्या थी मै उस समस्या से बड़ा दुःखी रहता था भगवान श्री राम की इस कथा मे आने से मेरी उस समस्या का समाधान हो गया उस करुणानिधान ने मेरी सारी समस्या को समाप्त कर दिया! तो लोगो ने पूछा की आखिर ऐसा क्या मिला तो उसने कहा मिला नही मेरा घोड़ा खो गया तो लोगो ने पूछा की घोड़ा मूल्यहीन होगा इसलिये लड्डू बाँट रहा है तो उसने कहा अरे नही वो तो बहुत ही चंचल और मूल्यवान है पर वो खो गया इसलिये मै बड़ा खुश हुं उसने सन्त श्री के चरणों मे खुब प्रणाम किया और नाचते गाते चला गया!

•  सभी लोग सन्त श्री के पास गये और उन्होंने कहा की हॆ देव ये कैसा पागल इंसान है जो लोगों से कह रहा है और मिठाई बाँट रहा है की इस कथा मे मेरा घोड़ा खो गया है ये कैसा पागल है?

•  तो सन्त श्री ने कहा की यहाँ मेरी कथा सार्थक हो गई तो लोगो ने कहा की हॆ देव हम आपका मतलब नही समझ पा रहे है तो सन्त श्री ने कहा की मै तो यही चाहता हुं जो भी कथा मे आये उन सब के घोड़े खो जाये तो लोगो ने कहा की हमारे पास तो घोड़े है ही नही तो फिर घोड़े खोयेँगे कैसे तो सन्त श्री ने जो उत्तर दिया तो सब अवाक रह गये!

•  सन्त श्री ने कहा की “मन” वो घोड़ा है जो बड़ा चंचल है और यदि ये “राम” मे खो जायें अर्थात ईष्ट मे खो जायें सार मे खो जाये तो आनन्द ही आनन्द है और संसार मे खो जाये तो दुःख दुःख और बस दुःख ही दुःख है! मन बड़ा चंचल है पता नही कहाँ कहाँ खो जाता है अरे जिसमे इसे खोना है ये उसमे तो नही खोता है और जिसमे इसे नही खोना है बस उसी मे खो जाता है!

•  सद्गुरु देव से एक अति विनम्र प्रार्थना है मेरी की हॆ नाथ इस मन को संसार मे मत खोने देना हॆ नाथ इस मन को सार मे लगा देना! मेरा मन खो जाये मेरे ईष्ट मे और पुरी तरह से खो जायें ईष्ट मे और सद्गुरु के चरणों मे, बस इतनी सी कृपा करना हॆ माँ की ये चंचल मन तुझमे खो जायें हॆ माँ!

•  बस हमको भी यही माँगना की मन रूपी घोड़ा खो जाये ” संसार ” मे ताकि फिर दुखी न हो संसार मे!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com
Scroll to Top
Verified by MonsterInsights