Warning: Attempt to read property "base" on null in /home/u599592017/domains/sanatan.techtunecentre.com/public_html/wp-content/plugins/wp-to-buffer/lib/includes/class-wp-to-social-pro-screen.php on line 89
(((( देवता नाराज क्यों हुए ? )))) - Sanatan-Forever

 ((((  देवता नाराज क्यों हुए ? ))))

 ((((  देवता नाराज क्यों हुए ? ))))

.

दिव्या के घर में बाबू नाम का एक बकरा है। उसके गले में घंटी बंधी है। वह पूरे घर में कहीं भी आजादी से घूम-फिर सकता है।

.

घर में कोई भी उसे परेशान नहीं कर सकता। किसी ने उसे जरा सा छेडऩे की कोशिश की तो वह तुरंत दौड़कर दिव्या के पास पहुंच जाता है।

.

दिव्या जब तक स्कूल से घर नहीं आती, बाबू दरवाजे पर उसका इंतजार करता है।

.

जैसे ही उसे दिव्या के आने की आहट मिली, दौड़ते हुए उसके पास पहुंच जाता है। फिर वे दोनों एक साथ घर लौटते हैं।

.

इसके बाद बाबू को हरी पत्तियां और टमाटर मिलते हैं। टमाटर खाते वक्त कई बार बाबू के पूरे मुंह में उसका रस लग जाता है।

.

तब दिव्या उसे बाल्टी से पानी डाल-डालकर नहलाती है। और बाबू के ऊपर भी पानी पड़ा नहीं कि वह शरीर को झटक कर पानी हटा देता है।

.

दोनों के लिए यह एक तरह का खेल होता है। रोज दिव्या के लौटने के बाद दोपहर का यह खेल चलता है..

.

लेकिन उस रोज ऐसा नहीं हुआ। दिव्या स्कूल से लौटी तो बाबू उसे लेने नहीं आया। घर वालों से पूछा तो उन्होंने बताया कि

.

दादा-दादी बाबू को पास के मंदिर तक ले गए हैं। थकी-हारी थी, इसलिए जल्दी ही सो गई।

.

शाम होते तक जब उसकी आंख खुली तो लगा जैसे बाबू उसके तलवे चाट रहा है। वह अक्सर ही उसे उठाने के लिए ऐसा किया करता था।

.

दिव्या हड़बड़ाकर उठ बैठी। लेकिन देखा कि उसके पैरों के पास तो दादा जी बैठे हैं, जो गीले हाथ से उसके तलवे सहला रहे थे।

.

उन्होंने दिव्या से कहा कि वह उनके साथ मंदिर चले। दोनों मंदिर पहुंचे तो देखा वहां भारी भीड़ के बीच बाबू खड़ा है।

.

उसके माथे पर तिलक और गले में माला थी। भीड़ ने उसके ऊपर कई बाल्टी पानी डाला था।

.

सूरज डूबने में थोड़ा ही वक्त था। बलि देने के लिए बाबू को वहां लाया गया था।

.

गांव वालों की मान्यता थी कि जब तक बकरा शरीर पर डाले गए पानी को झड़ा नहीं देता तब तक बलि नहीं दी जा सकती।

.

और बाबू तो चुपचाप खड़ा था। लोग इसे बुरे साए का प्रभाव मान रहे थे।

.

दिव्या पहुंची तो लोगों को कुछ आस बंधी। बड़े-बुजुर्गों ने बच्ची से आग्रह किया कि वह बाबू को शरीर से पानी झटकने के लिए तैयार करे।

.

दिव्या से कहा गया कि बाबू ने शरीर से पानी नहीं झड़ाया तो बारिश के देवता नाराज हो जाएंगे।

.

उसका मन घबरा रहा था लेकिन उसने बड़ों की बात मान ली। बाबू के पास गई। उसे सहलाया। एक टमाटर खिलाया।

.

बाबू ने चुपचाप टमाटर खाया लेकिन रस इस बार भी उसके चेहरे पर लग गया। दिव्या ने पानी से उसका चेहरा पोंछा।

.

बाबू चुपचाप दिव्या को देखे जा रहा था। दोनों की आंखें भीगी थीं। उनके बीच क्या बात हुई, किसी को समझ नहीं आया। लेकिन तभी सबने देखा कि बाबू ने जोर से शरीर हिलाया और पूरा पानी शरीर से झटक दिया।

.

भीड़ खुशी से उछल पड़ी। बाबू के गलेे सेे घंटी और रस्सी खोलकर दिव्या को दे दी गई। फिर उसे मंदिर के पीछे ले जाया गया।

.

दो मिनट बाद ही बाबू की चीख सुनाई दी। फिर सब शांत हो गया।

.

दादा जी के साथ दिव्या चुपचाप घर लौट आई थी।

.

उस रात गांव में भोज हुआ। लेकिन अगली सुबह पूरा गांव एक बार फिर इकट्ठा था। दिव्या की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए।

.

गांव वालों में से किसी के पास इस सवाल का जवाब नहीं था कि आखिर अब कौन से देवता नाराज हुए। जिन्होंने उस छोटी सी बच्ची को दुनिया से उठा लिया।

.

मजबूरी कोई भी हो। मासूम बच्चों के भरोसे को तोडऩे का हम में से किसी को हक नहीं। बच्चों को समझ पाने की जहां तक बात है, तो लगता है हमारे समाज को अभी से मन से सोचना है कि उनकी भी अपनी दुनिया है..

~~~~~~~~~~~~~~~~~

 ((((((( जय जय श्री राधे )))))))

~~~~~~~~~~~~~~~~~

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com
Scroll to Top
Verified by MonsterInsights