दीघा का दूधिया मालदह आम
कभी पूरी दुनिया में अपने पतले बिजली कागज जैसे छिलके और अनूठे स्वाद के कारण नंबर वन की पोजीशन पर रहने वाला पटना के दीघा का दूधिया मालदा आम
अब अपने अस्तित्व को बचाने के लिए ही संघर्ष कर रहा है पूरे दीघा इलाके में आप घूम कर चले आइए आपको सिर्फ जेवियर कॉलेज और सेंट माइकल के अलावा कोई ऐसी जगह नजर नहीं आएगी जहां 10 पेड़ एक साथ नजर आए.
जब आम का सीजन आता है तो दीघा के इस अनूठे आम की चर्चा होती है उसके इतिहास भूगोल को तलाश जाता है पर इस विलुप्त होते प्रजाति को बचाने के लिए कोई कारगर पहल नहीं होती. जानकार बताते हैं कि दीघा के दूधिया मालदह आम देश-विदेश में प्रसिद्ध था.
दूधिया मालदह आम को लखनऊ के नवाब फिदा हुसैन ने अपने हाथों से लगाया था. उसके बाद दीघा इलाके में हजारों पेड़ लगाये गये थे. दीघा के दूधिया मालदह ने एक लंबा सफर तय किया है. इस आम की खासियत है कि इसके छिलके के ऊपर चूना की तरह दूधिया रहती है.
फल पकने की अवस्स्था में पीलापन लिए हुए हरे रंग का होता है. कई खासियत के कारण दूधिया मालदह आम की गुठली पतली, छिलका भी पतला व बिना रेशा वाला गुदा खाने पर स्वादिष्ट होता है.
इसके फल काफी बड़े आकार और अपने विशेष स्वाद एवं सुगंध के कारण जाने जाते हैँ. एक आम का वजन लगभग 250 ग्राम का होता है. जून के द्वितीय सप्ताह से दीघा मालदह बाजार में उपलब्ध हो जाता है.
दीघा मालदह को सामान्य तापमान पर 10 से 15 दिनों तक भंडारित किया जा सकता है.दीघा के मालदह आम का स्वाद जार्ज पंचम ने भी लिया था. 1952 में फिल्म अभिनेता राजकपूर और गायिका सुरैया
अब यहां आते तो दीघा के बगीचों को शूटिंग के लिए सर्वोत्तम जगह कह डाला.इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया, राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, राज कपूर जैसी हस्तियों ने भी दीघा के आम का स्वाद चखा है.
कहते हैं कि पाकिस्तान से लायी गयी आम की इस अनोखी प्रजाति को दूध से सींचा गया था. इसलिए इनका नाम दुधिया मालदह पड़ा.लखनऊ के नवाब फिदा हुसैन पाकिस्तान के इस्लामाबाद के शाह फैसल मस्जिद के इलाके से आम की इस विशेष प्रजाति का पौधा लेकर आये थे.
नवाब ने दीघा इलाके में मालदह आय के लगभग सौ पौधे लगाये थे.आज से लगभग 500 वर्ष पहले दीघा में सोन एव गंगा का सगम हुआ करता था. इसी सगम की मिट्टी पर पैदा हुआ दूधिया मालदह .
विशेषज्ञों का कहना एक तरफ गगा के पानी में आयरन की मात्रा ज्यादा होती है, वहीं सोन का पानी में कैल्सियम भरपूर होता है.
कैल्सियम एव आयरन के मिश्रण के कारण दीघा की मिट्टी आम के लिए काफी अनुकूल मानी जाती है. यही कारण है कि अन्य आमों की प्रजाति से दीघा के दूधिया मालदह आम का स्वाद अलग होता है.
