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जय श्री परशुराम जी की - Sanatan-Forever

जय श्री परशुराम जी की

जय श्री परशुराम जी की

जय श्री परशुराम जी की

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महाभारत के अभिन्न पात्र दानवीर कर्ण ने जीवन में केवल एक बार ही झूठ बोला और यही झूठ उनके जीवन पर सबसे ज्यादा भारी पड़ा।

कर्ण ने अस्त्र विद्या भगवान परशुराम से सीखी थी, भगवान परशुराम का प्रण केवल ब्राह्मणों को ही शस्त्र विद्या सिखाने का था।

कर्ण ब्राह्मण नहीं थे, लेकिन उन्होंने परशुराम से झूठ बोल दिया कि वो ब्राह्मण है।

कर्ण की बात को सच मानकर परशुरामजी ने उन्हें शस्त्र की
शिक्षा दे दी।

एक दिन जंगल में कहीं जाते हुए परशुरामजी को थकान महसूस हुई, उन्होंने कर्ण से कहा कि वे थोड़ी देर सोना चाहते हैं।

कर्ण ने उनका सिर अपनी
गोद में रख लिया।
परशुराम गहरी नींद में सो गए। तभी कहीं से एक कीड़ा आया और उसने कर्ण की जांघ पर डंक मारने लगा। कर्ण की जांघ पर घाव हो गया लेकिन परशुराम की नींद खुल जाने के भय से वह चुपचाप बैठा रहा, घाव से खून बहने लगा।

बहता खून परशुराम के चेहरे तक पहुंचा तो उनकी नींद खुल गई।
उन्होंने कर्ण से पूछा कि तुमने उस कीड़े को हटाया क्यों नहीं।

कर्ण ने कहा आपकी नींद
टूटने का डर था इसलिए।
परशुराम ने कहा किसी ब्राह्मण में इतनी सहनशीलता नहीं हो सकती है। तुम जरूर कोई क्षत्रिय हो।

कर्ण ने सच बता दिया।
क्रोधित परशुरामजी ने कर्ण को शाप दिया कि तुमने मुझ से जो भी विद्या सीखी है वह झूठ बोलकर सीखी है इसलिए जब भी तुम्हें इस विद्या की सबसे ज्यादा आवश्यकता होगी, तभी तुम इसे भूल जाओगे, कोई भी दिव्यास्त्र का उपयोग नहीं कर पाओगे।

हुआ भी ऐसा ही, महाभारत के प्रमुख युद्ध में जब कर्ण अर्जुन से लडऩे पहुंचा तो वो अपने आप ही सारे दिव्यास्त्रों के प्रयोग की विधि भूल गया और अर्जुन के हाथों मारा गया। —
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