
चरित्रहीन स्त्री-एक प्रेरक कहानी
एक बार एक बुजुर्ग को एक महिला ने अपनी बातों से प्रभावित कर लिया और अपने घर खाने का निमंत्रण दिया ।
बुजुर्ग निमंत्रण स्वीकार कर उस औरत के घर भोजन के लिए चल पड़े । रास्ते में जब लोगों ने उस औरत के साथ बुजुर्ग को देखा तो, एक आदमी उनके पास आया और बोला कि आप इस औरत के साथ कैसे?
बुजुर्ग ने बताया कि वह इस औरत के निमंत्रण पर उसके घर भोजन के लिए जा रहे हैं,
यह जानने के बाद उस व्यक्ति ने कहा कि आप इस औरत के घर न जाऐं आप की अत्यंत बदनामी होगी।
क्योंकि यह औरत चरित्रहीन है।
इसके बावजूद बुजुर्ग न रुके, कुछ ही देर में यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई। आनन फानन में गांव का मुखिया दौडता हुआ आ गया और बुजुर्ग से उस औरत के यहां न जाने का अनुरोध करने लगा।
विवाद होता देख बुजुर्ग ने सबको शांत रहने को कहा, फिर मुस्कराते हुए मुखिया का एक हाथ अपने हाथ में कस कर पकड़ लिया और बोले क्या अब तुम ताली बजा सकते हो?
मुखिया बोला एक हाथ से भला कैसे ताली बजेगी ।
इस पर बुजुर्ग मुस्कुराते हुए बोले जैसे एक हाथ से ताली नहीं बज सकती तो अकेली औरत कैसे चरित्रहीन हो सकती है जब तक कि एक पुरुष उसे चरित्रहीन बनने पर बाध्य न करे।
चरित्रहीन पुरुष ही एक औरत को चरित्रहीन बनाने में जिम्मेदार है। अर्ताथ जब तक पुरुष महिला का साथ नहीं देगा महिला चरित्र हीन नहीं हो सकती।
नोट: फ्रैंड्स ये कहानी मेरी स्वरचित नहीं है मैंने पुस्तक में पढ़ी थी मुझे लगा कि इस कहानी से कुछ सीख मिल सकती है तो सोचा फेसबुक पर भी लिख कर पोस्ट कर देती हूं। मैं अक्सर खाली समय में पुस्तक पढ़ती रहती हूं। कुछ अपने मन से लिखती हूं,और कुछ जो पुस्तक में अच्छा लगता है उसको लिखती हूं। दोस्तो मैं जी खुद लिखती हूं सिर्फ उसे ही अपना बताती हूं। मेरी झूठी तारीफ हो मुझे अच्छा नहीं लगता।
सारांश: पूरी सच्चाई जाने बिना किसी को गलत साबित करना सही नहीं है।
यह कैसी विडम्बना है कि इस कथित ” पुरुष प्रधान समाज के अभिमान में ये पुरुष अपनी झूठी शान के लिए औरत को केवल अपने उपभोग की वस्तु भर समझता है और भूल जाता है कि जिस औरत को वह चरित्रहीन कह रहा है उसका जिम्मेदार वह स्वयं है।