
ये कहानी मेरी जुबानी
गायत्री मेरे साथ कॉलेज में पढ़ती थी …हम दोनों ही अंग्रेजी में M.Phil कर रहे थे …
गायत्री बहुत ही साधारण लड़की थी …
साधारण कपड़े ,साधारण रहन-सहन, साधारण सा स्वभाव…
गायत्री बहुत अच्छे घर से थी…
उसमें बहुत सारे गुण थे …
जैसे अच्छा खाना बनाना ,कपड़े सिलना ,घर को सुव्यवस्थित रखना ,सबसे आदर भाव से बात करना, आदि…
परंतु उसने कभी इस बात का घमंड नहीं किया था …
वह हमेशा बहुत ही शांत स्वभाव के साथ सबसे मिलती थी ….
यूं तो गायत्री ने ज्यादा शौक नहीं पाल रखे थे…
परंतु उसे विदेश जाने का बहुत शौक था …
जब भी मुझसे बात होती तो यही कहती थी कि वह विदेश जाना चाहती है …
परंतु उसके घर परिवार में लड़कियों को अकेले कहीं नहीं भेजते थे…
तो विदेश तो बहुत दूर की बात थी …वैसे भी गायत्री कभी घर से बाहर सब्जी लेने तक नहीं गई थी, तो अकेली विदेश कैसे चली जाती ….
उसे तो ज्यादा दुनियादारी समझ में आती ही नहीं थी… खुद सीधी थी और दुनिया को भी अपनी तरह सीधा ही समझती थी… चालाकियां से दूर गायत्री अपनी अलग ही दुनिया में मस्त रहती थी …
घर घर का कामकाज करने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई में भी अच्छे अंक लाती थी….
मैं अक्सर उससे कहता कि तुम यहीं पर अच्छी शिक्षा प्राप्त करके प्रोफेसर लग सकती हो …परंतु वह अक्सर कहती ..नहीं मुझे प्रोफेसर बनने का शौक नहीं है…
मैं तो विदेशी ही जाऊंगी …कई बार उसे कहना चाहता था ,परंतु उसकी यह इच्छा सुनकर फिर मैं चुप कर जाता था …कहीं ना कहीं मैं गायत्री को मेरी जीवनसाथी बनाना चाहता था ….
मैं जानता था ,गायत्री जिस घर में जाएगी ,उस घर को पूरी तरह से स्वर्ग बना देगी … वह घर इतना सुव्यवस्थित होगा कि वहां पर शांति का वास होगा …और मां लक्ष्मी अपनी कृपा वहां पर बरसाती रहेगी …गायत्री की पढ़ाई पूरी हुई तो कहीं ना कहीं हमारे बीच की कड़ी खत्म हो गई ….
मैं तो वैसे भी गांव का रहने वाला था …कॉलेज में पढ़ने के लिए गायत्री के शहर आता था …उसने कॉलेज आना बंद कर दिया… मैं भी पढ़ाई पूर्ण करके दूसरे शहर नौकरी करने लग गया …कुछ समय बाद एक दोस्त से पता चला कि गायत्री की शादी हो गई… सुनकर मन अजीब सा हो गया …
हालांकि मेरे साथ तो शादी नहीं हो सकती थी उसकी… परंतु कहीं ना कहीं दिल में यह सुकून था कि गायत्री की अभी शादी नहीं हुई है….परंतु उसकी शादी की बात सुनकर ,मैंने काफी दिन अच्छे से खाना ही नहीं खाया …मन में यही सोचता रहा कि काश मैं उसे अपने मन की बात कह देता… क्या पता वह मान जाती… पर मैं चुप ही रहा …खैर फिर क्या था …मेरे घर वाले भी शादी को लेकर काफी जोर डाल रहे थे …फिर मैंने भी रिश्ते के लिए हां कह दी …एक जगह मेरी भी शादी तय हो गई …..
परंतु मन में गायत्री के सदगुण बैठे हुए थे …मेरी पत्नी में मैं हमेशा वही गुण ढूंढता रहता… परंतु वह तो गायत्री से बिल्कुल उल्टी थी… महंगी क्रीमें लगाना, महंगे कपड़े खरीदना ,घर के कामकाज में बिल्कुल भी रुचि न रखना ,सबसे ऊंची आवाज में बात करना और पलट कर जवाब देना …यह सब देखकर मन बहुत दुखी हो जाता था …
घर में अशांति फैल गई थी… कहीं ना कहीं यह सब मुझे गायत्री की याद दिला देता…. हालांकि जब मेरी शादी हुई थी तो मैंने अपने मन से अपनी पत्नी को स्वीकार किया था… परंतु अपनी अस्त व्यस्त दुनिया में कहीं ना कहीं गायत्री की सोच मुझे थोड़ी देर के लिए शांति दे जाती… समय बदला… सोशल मीडिया का समय आया… मैं भी खाली समय में फेसबुक चला लिया करता था.. एक दिन मुझे वहां पर गायत्री दिखाई दे गई …मैंने उसे मैसेज भेज दिया …2 दिन बाद उसका जवाब आया…
उसने मुझे पहचान लिया था… हाल-चाल पूछने के बाद मैंने कहा कि अगर तुम्हें एतराज ना हो तो क्या हम टेलीफोन पर बात कर सकते हैं??? उसने कोई भी शंका न जताते हुए अपना टेलीफोन नंबर भेज दिया… मैंने झट से फोन लगाया… बातों बातों में पता चला कि वह तो अपने माता-पिता के घर रहती है… काफी समय से वह अपने पति से अलग है…
यह सुनकर दिल तो जैसे कांप गया… दिल पर पत्थर रखकर, मैंने पूछ ही लिया कि तुम तो विदेश जाने वाली थी…. जब इस बात पर गायत्री ने पूरी कहानी सुनाई ,तो आज के आधुनिक समाज पर बहुत गुस्सा आया …मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि गायत्री जैसी इतनी अच्छी लड़की के साथ ऐसा हादसा भी हो सकता है???
गायत्री ने कहा है कि उसकी शादी जब तय की गई थी तो लड़के वालों का भी यही कहना था कि लड़का भी विदेशी जाएगा क्योंकि लड़के की बहन विदेश में ही रहती है …उस समय गायत्री ने IELTS भी कलियर की हुई थी… शादी हो गई …परंतु एक साल तक किसी ने विदेश जाने का नाम ही नहीं लिया… असल में यह शादी झूठ बोलकर की गई थी…
लड़के को कभी भी विदेश जाना ही नहीं था …और सबसे बड़ी बात तो यह थी कि लड़के का यहां पर कोई कारोबार ही नहीं था… झूठ इस हद तक इतना सजा कर बोला गया कि एक पल के लिए भी किसी को शक नहीं हुआ …लड़का तो एक नंबर का शराबी था… बेवजह ही गायत्री पर तलाक का धब्बा लग गया… यह सब बताते हुए गायत्री भावुक हो गई…
मैंने गायत्री से कहा कि यदि विदेशी नहीं जा पाई थी तो ,शादी तो निभा देती.. तो इस पर गायत्री ने कहा कि मैंने बहुत कोशिश की… वह लोग उसकी कदर नहीं कर रहे थे… ना तो अच्छे से रहने को मिल रहा था और ना ही खाने को …उल्टा उनके घर का माहौल एक शराब के अड्डे जैसा था…
लड़के की मां और बहन मिलकर गायत्री से बहुत झगड़ा करती थी… बात-बात पर उसे ताने देती थी… कई दिन तक गायत्री को भूखे ही रहना पड़ता था… बहुत सोच समझ कर उसने अपने घर वापस आने का फैसला ल लिया… सब सुनकर मेरा मन भी भर आया… 1 मिनट के लिए मैं भी सुन हो गया …
कुछ लोग झूठ बोलकर इतना गिर जाते हैं कि किसी की जिंदगी तक बर्बाद कर देते हैं… मैं गायत्री को बहुत करीब से जानता था और मुझे पता है उसने अंत तक कोशिश की होगी कि उस पर तलाक का धब्बा ना लगे ,परंतु लोगों का क्या है …हमारा समाज तो हमेशा से ही औरतों पर उंगली उठाता आया है और उठाता रहेगा…
परंतु उस समाज का क्या किया जाए, जिसमें एक मां-बाप इसलिए अपने बेटे की शादी करते हैं कि शादी के बाद वह सुधर जाएगा …परंतु जो बेटा मां-बाप से ना संभाला गया, तो पराई लड़की आकर उसको क्या ही सवार देगी… गायत्री की जिंदगी में जुड़े इन संघर्ष के पन्नों को कोई नहीं फाड़ सकता…