
*


*
*दिनांक – 22 मई 2024*
*दिन – बुधवार*
*विक्रम संवत् – 2081*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – ग्रीष्म*
*मास – वैशाख*
*पक्ष – शुक्ल*
*तिथि – चतुर्दशी शाम 06:47 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*नक्षत्र – स्वाति प्रातः 07:47 तक तत्पश्चात विशाखा*
*योग- वरीयान दोपहर 12:37 तक तत्पश्चात परिघ*
*राहु काल – दोपहर 12:36 से दोपहर 02:17 तक*
*सूर्योदय – 05:56*
*सूर्यास्त – 07:17*
*दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:31 से 05:13 तक*
* अभिजीत मुहूर्त – कोई नहीं*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:15 मई 23 से रात्रि 12:58 मई 23 तक*
*विशेष – चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*वैशाख मास के अंतिम ३ दिन ( 20 मई से 22 मई 2024 ) महा पुण्यदायी
*
*‘स्कंद पुराण’ के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में अंतिम ३ दिन, त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक की तिथियाँ बड़ी ही पवित्र और शुभकारक हैं । इनका नाम ‘ पुष्करिणी ’ हैं, ये सब पापों का क्षय करनेवाली हैं ।*
*जो सम्पूर्ण वैशाख मास में ब्राम्हमुहूर्त में पुण्यस्नान, व्रत, नियम आदि करने में असमर्थ हो, वह यदि इन ३ तिथियों में भी उसे करे तो वैशाख मास का पूरा फल पा लेता है ।*
*वैशाख मास में लौकिक कामनाओं का नियमन करने पर मनुष्य निश्चय ही भगवान विष्णु का सायुज्य प्राप्त कर लेता है ।*
*जो वैशाख मास में अंतिम ३ दिन ‘गीता’ का पाठ करता है, उसे प्रतिदिन अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है ।*
*जो इन तीनों दिन ‘श्रीविष्णुसहस्रनाम’ का पाठ करता है, उसके पुण्यफल का वर्णन करने में तो इस भूलोक व स्वर्गलोक में कौन समर्थ है । अर्थात् वह महापुण्यवान हो जाता है ।*
*जो वैशाख के अंतिम ३ दिनों में ‘भागवत’ शास्त्र का श्रवण करता है, वह जल में कमल के पत्तों की भांति कभी पापों में लिप्त नहीं होता ।*
*इन अंतिम ३ दिनों में शास्त्र-पठन व पुण्यकर्मों से कितने ही मनुष्यों ने देवत्व प्राप्त कर लिया और कितने ही सिद्ध हो गये । अत: वैशाख के अंतिम दिनों में स्नान, दान, पूजन अवश्य करना चाहिए ।*
*वायु के सर्वरोग
*
* काली मिर्च का 1 से 2 ग्राम पाउडर एवं 5 से 10 ग्राम लहसुन को बारीक पीसकर भोजन के समय घी-भात के प्रथम ग्रास में हमेशा सेवन करने से वायु रोग नहीं होता।*
* 5 ग्राम सोंठ एवं 15 ग्राम मेथी का चूर्ण 5 चम्मच गुडुच (गिलोय) के रस में मिश्रित करके सुबह एवं रात्रि को लेने से अधिकांश वायु रोग समाप्त हो जाते हैं।*
*यदि वायु के कारण मरीज का मुँह टेढ़ा हो गया हो तो अच्छी किस्म के लहसुन की 2 से 10 कलियों को तेल में तलकर शुद्ध मक्खन के साथ मिलाकर, बाजरे की रोटी के साथ थोड़ा नमक डालकर खाने से मरीज का मुँह ठीक हो जाता है।**

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

*