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अपने अंदर का खजाना तलाशें… - Sanatan-Forever

अपने अंदर का खजाना तलाशें…

अपने अंदर का खजाना तलाशे

अपने अंदर का खजाना तलाशें…

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मैंने सुना है अमरीका में ऐसा हुआ। कोलेरेडो में जब पहली दफा सोने की खदानें मिलीं, तो सारी दुनिया कोलेरेडो की तरफ भागने लगी, सारा अमरीका कोलेरेडो की तरफ भागने लगा। सोना जगह-जगह था। खेतों में पड़ा था।

 जहां खोदो, वहां मिल रहा था। जो गया, वही धनपति हो गया।

एक आदमी के पास काफी संपत्ति थी, कोई एक करोड़ रुपया था। उसने सब संपत्ति बेचकर.। उसने सोचा छोटा-मोटा काम क्या करना। सब संपत्ति बेचकर एक पूरा पहाड़ खरीद लिया। इसी आशा में कि अब तो धन ही धन हो जाएगा।

 लेकिन संयोग की बात, पहाड़ बिलकुल सोने से खाली था। बड़ी खुदाई की। यहां खोदा, वहा खोदा। थकने लगा, घबड़ाने लगा। टुकड़ा भी सोने का नहीं मिला। 

फिर किसी ने कहा, खुदाई गहरी होनी चाहिए। सोना तो है, खोज करने वालों ने कहा, लेकिन गहरे में है; पहाड़ में नीचे दबा है। तो उसने बड़े यंत्र..। और जो कुछ पास था–घर-मकान-द्वार, गहना-जेवरात–सब बेच दिया। बड़े यंत्र लाया, पहाड़ पर बड़ी गहरी खुदाई की। लेकिन आखिर थक गया। सोना न मिला, सो न मिला।

उसने अखबारों में विज्ञापन दिया कि मैं पूरा पहाड़, खोदने के सारे यंत्रों के साथ, बेचना चाहता हूं। उसके मित्रों ने कहा : कौन खरीदेगा? अब तुम बेकार विज्ञापन में पैसा खराब मत करो। तुम्हारी खबर तो सारे अमरीका में पहुंच गयी है। सबको पता हो गया है कि तुम्हें पहाड़ पर कुछ भी नहीं मिला है! सब तुमने गंवा दिया है इसके पीछे। अब कौन पागल गवाएगा?

उसने कहा मैं ही कोई एक अकेला पागल थोड़े ही हूं इतने बड़े मुल्क में, कोई एकाध होगा। और निकल आया एक आदमी! और उसने एक करोड़ रुपए देकर वह पूरा पहाड़ खरीद लिया। उसके मित्रों ने कहा कि तुम महा पागल हो! 

वह आदमी बर्बाद हो गया–तुम देखते नहीं? उसने कहा. जहां तक उसने खोदा है, वहां तक सोना नहीं है, यह ठीक है। लेकिन खुदाई तो आगे भी हो सकती है। एक कोशिश और कर ली जाए।

और तुम जानकर हैरान होओगे कि सिर्फ एक हाथ खुदाई करने पर दुनिया की सबसे बड़ी खदान मिली। सिर्फ एक हाथ और खुदाई करने की बात थी।

तो कभी दिशा गलत होती है, तब तो मिल ही नहीं सकता। कभी दिशा भी ठीक होती है, तो तुम पूरे नहीं जाते! कभी तुम जाते भी हो, तो आख़िर -आख़िर में चूक जाते हो। एक हाथ के फासले से भी आदमी लौट आ सकता है।

इसलिए इतनी जल्दी निर्णय मत लो कि जीवन व्यर्थ है। मैं तुमसे कहता हूं–चश्मदीद गवाह की तरह-जीवन व्यर्थ नहीं है। दिशा बदली। और दिशा बदलने के बाद सारी ऊर्जा को खुदाई में लगा दो। और कभी निराश मत होना। नहीं तो कभी यह हो सकता है कि एक हाथ पहले से लौट आओ। खोदते ही जाना, खोदते ही जाना। आज नहीं कल, कल नहीं परसों–खोदते ही जाना–एक दिन खजाना मिलने ही वाला है। क्योंकि खजाना प्रत्येक के भीतर छिपाया ही गया है।

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